लखनऊ. रामपुर की पूर्व सांसद और अभिनेत्री जया प्रदा (Jaya Prada) ने मंगलवार को समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां पर हमला करते हुए कहा कि वह ऊपर से गिरकर ‘शून्य’ हो गए हैं. सपा नेता को हार को स्वीकार करने की नसीहत देते हुए कहा कि आजम खां अपनी बदजुबानी की वजह से परेशान हैं. आजम खां को उनकी (जयप्रदा )आह लगी है. बहुत सारे लोगों का दिल दुखाया है इसीलिए उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द हुई. अब वह वोट भी नहीं डाल सकते हैं. पूर्व सांसद और अभिनेत्री जया प्रदा मंगलवार को रामपुर नगर पालिका में अध्यक्ष पद के भाजपा उम्मीदवार के लिए रोड शो करने पहुंची थीं. एक सवाल के जवाब में जया प्रदा ने कहा कि आजम खां अपनी जनसभाओं में अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं. कोई भी उन्हें सही नहीं कर सकता. वह आज हार रहे हैं और अभी भी जीतने की उम्मीद कर रहे हैं. क्या वह अब एक मजबूत नेता हैं ? 100 प्रतिशत नेता अब शून्य पर आ गया है.
भ्रष्टाचार और चोरी सहित लगभग 90 मामलों का सामना करने वाले आजम खां को पिछले साल अक्टूबर में एक विधायक के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था, जब रामपुर एमपी-एमएलए अदालत ने उन्हें 2019 के अभद्र भाषा मामले में दोषी ठहराया और उन्हें तीन साल की कैद की सजा सुनाई. वे रिकॉर्ड 10वीं बार रामपुर सदर से जीते थे. जया प्रदा ने कहा, ” उन्हें वोट देने का अधिकार भी नहीं है. मैं उनसे केवल अपील करती हूं कि वह अब गाली देना बंद कर दें और खुद को सुधारने के लिए सही दिमाग लगाएं.” पिछले साल नवंबर में, भाजपा उम्मीदवार आकाश सक्सेना की शिकायत पर रामपुर निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी द्वारा आजम खां का नाम रामपुर में मतदाता सूची से हटा दिया गया था.
सपा उम्मीदवार फातिमा जबीन के लिए प्रचार करते हुए आजम खां ने बिना नाम लिए जया प्रदा पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ” सुना है कि मोहतरमा (जया प्रदा) ने आज रोड शो किया. याद रखें, मैंने न तो संसद और न ही विधानसभा को खोया है. देश को चलाने वाले अच्छी तरह जानते हैं कि मुझे हराया नहीं जा सकता. इसलिए मुझे हटा दिया गया.” आजम आगे कहते हैं कि मेरे खिलाफ दर्ज दो मामलों में निर्णय दिया गया है और उनमें से सैकड़ों अभी भी लंबित हैं. अधिकतम सजा, जो दोनों मामलों में दी जा सकती है, मुझे और (पुत्र) अब्दुल्ला को दी गई है.आजम खां ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सत्ता गंवाने के बाद कोई विकास नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि प्रचार के लिए आने से तहसील कार्यालय से एक ‘हुकुमनामा’ (आदेश) मिला कि आपके मतदान का अधिकार समाप्त हो गया है. हमें याद दिलाया गया कि हमारे पास मतदान का अधिकार नहीं है, लेकिन वोट मांगने का अधिकार अभी खत्म नहीं हुआ है.