Loading election data...

UP Election 2022: अब सपने में आ रहे ‘कृष्ण’, क्या मथुरा में आमने-सामने आएंगे CM योगी और अखिलेश यादव?

कुछ दिनों पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने सपा पर तंज कसा था कि उनकी सरकार में कारसेवकों पर गोलियां चलाई गई. अगली कारसेवा में वो लोग भी कतार में खड़े रहेंगे.

By Prabhat Khabar News Desk | January 4, 2022 12:35 PM
an image

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में स्थानों का बहुत महत्व है. अयोध्या, काशी, मथुरा नाम भर नहीं हैं. इन स्थानों से धार्मिक रूप से एक बड़ी आबादी जुड़ी है. उस बड़ी आबादी के वोटर्स को अपने पाले में करने के लिए राजनीतिक दलों ने भी स्थानों का अपने हिसाब से राजनीतिकरण किया. कुछ दिनों पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने सपा पर तंज कसा था कि उनकी सरकार में कारसेवकों पर गोलियां चलाई गई. अगली कारसेवा में वो लोग भी कतार में खड़े रहेंगे. सीएम योगी अयोध्या, काशी और मथुरा का जिक्र करना नहीं भूलते. वहीं, अखिलेश यादव के सपने में भगवान श्रीकृष्ण आ रहे हैं.

मथुरा से सियासी रिश्ता बनाने में जुटे नेता

श्रीकृष्ण और मथुरा का रिश्ता सबको पता है. लेकिन, अचानक प्रदेश में श्रीकृष्ण और मथुरा का नाम जोरशोर से क्यों लिया जा रहा है? इसका जवाब हम बताते हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ के विधानसभा चुनाव लड़ने की बात हो रही है. बीजेपी के सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी लिखकर सीएम योगी को मथुरा से चुनाव लड़ाने की मांग की. बीजेपी नेताओं को देखें तो वो अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के साथ मथुरा का जिक्र करना नहीं भूलते हैं. रही बात अखिलेश यादव की तो उनके सपने में भगवान श्रीकृष्ण आ रहे हैं. वो कहते हैं कि हर रात सपने में श्रीकृष्ण आते हैं. उनसे कहते हैं कि अगली सरकार समाजवादी पार्टी की ही बनेगी.

किसान आंदोलन के कारण मथुरा का चयन?

क्या मथुरा से सीएम योगी और अखिलेश यादव आमने-सामने होंगे? अखिलेश यादव आजमगढ़ से सांसद हैं. वो कहते हैं कि पार्टी ने आदेश दिया तो वो चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने सीट का चयन भी पार्टी पर छोड़ दिया. दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ हैं. सीएम योगी गोरखपुर पीठ के महंत हैं. वो लगातार पांच बार गोरखपुर से सांसद रह चुके हैं. राजनीति से जुड़े सूत्रों की मानें तो सीएम योगी के आसरे बीजेपी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन के बाद उपजे असंतोष को कम करने की कोशिश में जुटी हुई है.

उत्तर प्रदेश की सियासत से जुड़े खास तथ्य

  • 2007 में मुलायम सिंह यादव चुनाव लड़े और जीते थे

  • प्रदेश में 2007 से सीएम बनने वालों ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा

  • 2007, 2012 में मायावती और 2012, 2017 में अखिलेश यादव चुनाव नहीं लड़े

  • साल 2017 में योगी आदित्यनाथ चुनावी मैदान में नहीं उतरे

मथुरा विधानसभा सीट और बीजेपी का गणित

मथुरा की बात करें तो साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के श्रीकांत शर्मा एक लाख से ज्यादा वोट से जीते थे. खास बात यह थी बीजेपी सिर्फ चार सीटों पर एक लाख से ज्यादा मतों के अंतर से जीती, उसमें एक सीट मथुरा थी. 2002 से 2017 तक मथुरा सीट पर कांग्रेस के प्रदीप माथुर जीतते रहे थे. इस सीट पर 1996 में भी बीजेपी जीती थी. 2017 में बीजेपी ने रिकॉर्ड वोटों से मथुरा में जीत हासिल की थी.

डिप्टी सीएम केशव मौर्य का एक्सीडेंटल ट्वीट?

मथुरा जिले में पांच विधानसभा सीट हैं. हिंदुत्व की राजनीति करने वाली बीजेपी को मथुरा में अपेक्षित सफलता नहीं मिली है. 2002 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को एक सीट से संतोष करना पड़ा. 2007 और 2012 के चुनाव में बीजेपी को एक सीट भी हासिल नहीं हुई थी. मथुरा को वैश्य और ब्राह्मण बहुल आबादी वाला इलाका माना जाता है. यहां पर करीब 70,000 ब्राह्मण हैं. 65,000 वैश्य और 35,000 मुस्लिम भी हैं. यहां ठाकुर 28,000 और जाट की संख्या करीब 30,000 हजार है. माना जाता है कि ब्राह्मणों और वैश्यों के आसरे बीजेपी मथुरा में बड़ी जीत करने की फिराक में है. अगर आपने पिछले दिनों केशव प्रसाद मौर्य के मथुरा वाले ट्वीट को देखा होगा तो समझ सकते हैं वैश्यों-ब्राह्मणों को बीजेपी के पाले में करने के लिए पार्टी ने गेमप्लान को धरातल पर उतार दिया है.

Also Read: यूपी के बदलापुर ने की ब्राह्मणों की चिंता तो किसी ने थामा फरसा, कोई एक्सीडेंटल हिंदू को कर बैठा याद

Exit mobile version