Unnao News: उत्तर प्रदेश के उन्नाव जनपद में बांगरमऊ कोतवाली क्षेत्र में मोटरसाइकिल की टक्कर से घायल बच्ची के इलाज को लेकर शिक्षक की हत्या की वारदात सामने आई है. शिक्षक के सिर में हमला करके हत्या के बाद हाथ-पैर बांधकर शव गंगा की रेती में फेंक दिया गया. शिक्षक का भाई जानकारी मिलने पर बच्ची के परिजनों से गुहार लगाता रहा और वह टालमटोल करते रहे. पीड़ित ने थाने के भी कई चक्कर काटे. लेकिन, पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया. यहां तक की बच्ची के इलाज के दौरान उसके परिजनों के साथ भाई के जाने के सीसीटीवी वीडियो की भी जानकारी दी. इसके बाद भी पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठे रही. आठ दिन बाद शव के क्षत विक्षत हालत में मिलने की सूचना पर मामले का खुलासा हुआ. तब तक मृतक का सिर और पैर के ही अवशेष ही मिले. बाकी अंग को जानवर खा चुके थे. पीड़ित पक्ष ने पुलिस पर बार बार चक्कर काटने के बावजूद लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है.
उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के थाना रसूलाबाद के गांव तिश्ती निवासी 30 वर्षीय आशुतोष रैना प्राइवेट स्कूल में टीचर था. आशुतोष के बड़े भाई अभिलाष के मुताबिक भाई बीती 16 दिसंबर को बिल्हौर में रहने वाले मौसा रामनारायण के घर जाने के लिए निकला था. इसके बाद से वह वापस नहीं लौटा. काफी तलाश के बाद भी उसकी कोई जानकारी नहीं मिली. बताया जा रहा है कि बिल्हौर-रसूलाबाद मार्ग पर बिल्हौर कोतवाली क्षेत्र के खजुरी चौराहे के पास कंजड़न डेरा निवासी मोटू की 6 वर्षीय बेटी प्रियांशी मोटरसाइकिल की टक्कर के बाद मामूली रूप से घायल हो गई थी. इस पर बच्ची के परिजनों ने आशुतोष की मोटरसाइकिल छीन ली और इलाज का दबाव बनाने लगे.
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इसके बाद आशुतोष पैदल मौसा के घर पहुंचा. उसने फोन पर घटना की जानकारी दी. इस बीच बच्ची को इलाज के लिए बिल्हौर के सिटी हॉस्पिटल ले जाया गया. जानकारी होने पर अभिलाष भी अस्पताल पहुंचा. जहां उसे पता चला कि सीटी स्कैन कराने के लिए बच्ची को लेकर कानपुर ले जाया गया है. वहां पहुंचने पर बच्ची के परिजन उस पर रुपए देने का दबाव बनाने लगे. इस पर आशुतोष ने करीब 15 हजार रुपए दिए. इसके बाद बच्ची ने घरवालों ने बाद में मोटरसाइकिल तो लौटा दी, लेकिन भाई की कोई जानकारी नहीं दी.बाद में 23 दिसंबर की रात बांगरमऊ कोतवाली क्षेत्र के गांव मल्लहन पुरवा के सामने शव मिला. ये शव गंगा नदी की धारा के बीच रेत पर एक क्षत विक्षत हालत में था.
पुलिस ने शव को पोस्टर्माटम के लिए भेजा. पोस्टर्माटम रिपोर्ट में सिर पर वजन वाली वस्तु के हमले से मौत की की बात कही गई है. अभिलाष ने प्रकरण को लेकर बिल्हौर कोतवाली में तहरीर दी. अभिलाष ने आरोप लगाया कि इस प्रकरण में थाना बिल्लौर पुलिस घटना के बाद से टालमटोल कर रही थी. अगर पुलिस ने लापरवाही नहीं बरती होती तो और प्रकरण की गंभीरता से जांच की जाती तो शायद उसके भाई की मौत नहीं होती.
अभिलाष के मुताबिक मामा के यहां बिल्हौर जाते समय रास्ते में खजुरी ग्राम के पास भाई की मोटरसाइकिल से टक्कर होने पर बच्ची मामूली रूप से जख्मी हो गई थी. उसके इलाज के रुपए देने के बाद भी भाई नहीं मिला. बच्ची के पिता मोटू से जानकारी करने पर बार बार यही बात कही जाती रही कि वह आ जाएगा. लेकिन, ऐसा नहीं हआ. घटना को लेकर बिल्हौर थाना पुलिस को जानकारी दी गई. इस पर मामला रसूलाबाद थाना का बताकर टाल मटोल की जाती रही. पुलिस के कोई कदम नहीं उठाने पर उन्होंने स्वयं भाई की तलाश शुरू की. इस दौरान अस्पताल के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज चेक करने पर घटना वाले दिन 16 दिसंबर को रात में घायल बच्ची का पिता मोटू, उसका भतीजा विकास और एक अन्य युवक फुटेज में भाई आशुतोष के साथ नजर आए.
इसके बाद देर रात विकास और मोटू उसके भाई आशुतोष को पैदल अस्पताल से बाहर अपने साथ लेकर जाते नजर आए. रात में फिर सभी अस्पताल लौटे. इसके कुछ देर बाद मोटू का भतीजा विकास अपने साथ आशुतोष को मोटरसाइकिल में बैठाकर निकला. रास्ते में एक ढाबे के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में भी दोनों साथ में नजर आए. अभिलाष के मुताबिक उसने पुलिस को ये सारी जानकारी दी. लेकिन, पुलिस कोई कदम उठाने के बजाय उस पर ही एफआईआर दर्ज कर जेल भेजने की धमकी देती रही. कई बार गुहार लगाने पर घटना बिल्हौर थाना के बजाय रसूलाबाद थाना की बताकर वहां एफआईआर दर्ज कराने को कहा गया. अभिलाष के मुताबिक अगर बिल्हौल थाना पुलिस वक्त रहते सक्रिय होती तो उसके भाई की जान बच सकती थी. अभिलाष के मुताबिक उसके रिश्तेदार ने जौनपुर जनपद के पुलिस अधीक्षक से फोन कराया, इसके बाद भी पुलिस जांच के नाम पर हाथ पर हाथ धरे बैठे रही.