UP MLC Chunav Result 2022: बीजेपी उच्च सदन में सबसे बड़ी पार्टी हो गई है. यूपी एमएलसी चुनाव 2022 का रिजल्ट 12 अप्रैल को घोषित होने के बाद बीजेपी को बहुमत मिल गया है. 27 सीटों के लिए हुए चुनाव में बीजेपी ने 24 में जीत हासिल की है. इससे पहले वह 9 सीटें निर्विरोध जीत चुकी है. इस तरह बीजेपी ने 36 में से कुल 33 सीटें जीती हैं. इसी के साथ अब विधान परिषद यानी की उच्च सदन में उसकी 68 सीटें हो गई हैं.
यूपी एमएलसी चुनाव 2022 में बीजेपी का दबदबा हो गया है. वहीं समाजवादी पार्टी इस चुनाव में शून्य पर पहुंच गई है. दो निर्दलीय सदस्य जीते घोषित किए गए हैं. इनमें एक को बीजेपी ने हाल ही में पार्टी से निकला है. जबकि दूसरा जीता सदस्य एक माफिया की पत्नी हैं. एक अन्य सदस्य राजा भैया के जनसत्ता दल का जीता है.
यूपी विधान परिषद में अब सपा के 17 सदस्य बचे हैं. यूपी की सीटे उच्च सदन में लगातार घट रही हैं. वहीं बीजेपी ने लगातार अपने सदस्यों की संख्या बढ़ाई है. कांग्रेस की स्थिति सबसे खराब है. उच्च सदन में मौजूद उनके एकमात्र सदस्य का कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है. बसपा के चार, अपना दल एस एक और निषाद पार्टी का एक सदस्य उच्च सदन में है.
यूपी एमएलसी चुनाव में आमतौर पर सत्ता पक्ष का ही बोलबाला रहता है. यूपी में इससे पहले हुए चुनावों को देखें तो पता चलता है कि जो भी पार्टी सत्ता में रहती है, वहीं इस चुनाव में सफलता पाती है. 2004 में यूपी में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी को 36 में से 24 सीटों पर सफलता मिली थी. इसके बाद 2010 में यूपी में बसपा की सरकार थी. मायावती के नेतृत्व में बसपा ने 36 में से 34 सीटों पर कब्जा किया था.
यूपी में 2016 में समाजवादी पार्टी की सरकार थी. इस दौरान अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे. उनके नेतृत्व में स्थानीय निकाय के चुनाव में उस दौरान 36 में से 31 प्रत्याशी सपा के जीते थे. इसमें से आठ उम्मीदवार निर्विरोध जीते थे. इस बार समाजवादी पार्टी का एक भी प्रत्याशी नहीं जीता है. अखिलेश यादव के खास सिपहसालार उदयवीर का पर्चा छीने जाने और उनकी पिटाई होने से अन्य प्रत्याशी भी दबाव में आ गए थे.
यूपी में विधान परिषद को उच्च सदन भी कहा जाता है. इसमें कुल 100 सीटें हैं. इसमें से 36 सीटें स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि चुनते हैं. 38 सीटों पर प्रतिनिधि विधानसभा सदस्यों के वोट से चुने जाते हैं. 8 सीटें शिक्षक निर्वाचन कोटे की हैं और 8 सीटें स्नातक वोटर मतदान के माध्यम से चुनते हैं. 10 सीटों पर राज्यपाल की संस्तुति से अलग-अलग क्षेत्रों के सदस्य नामित होते हैं.