बरेली: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच पार्टी के मुख्य जोन प्रभारी ब्रह्म स्वरूप सागर को अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निष्कासित कर दिया गया है. बसपा सुप्रीमो के निर्देश पर बसपा के बरेली के जिलाध्यक्ष डॉ.जयपाल सिंह ने निष्कासन पत्र जारी किया है. ब्रह्मस्वरूप सागर का बसपा से निष्कासन होने के बाद हर किसी की निगाह उनके अगले कदम पर है. वह किस पार्टी में जाएंगे.इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई.हालांकि, वह भाजपा को छोड़कर सभी बड़े सियासी दलों में रह चुके हैं.
इस मामले में ब्रह्मस्वरूप सागर का कहना है कि पार्टी में कुछ स्थानीय लोग अपने अपने हित साध रहे हैं. इससे पार्टी को बड़ा नुकसान हो रहा है. उनकी बातों का विरोध किया.जिसके चलते मेरे खिलाफ साजिश रची गई है.’बहन जी ‘ को भी गुमराह किया है.ब्रह्मस्वरूप सागर ने अपने खिलाफ पार्टी द्वारा की गई कार्रवाई को स्वीकार कर लिया है. उनका कहना है कि मुझे फैसला कुबूल है. मैं बाबा साहब और कांशीराम के मिशन को आगे बढ़ाने के काम में जुटा रहूंगा. बहुजन समाज के मिशन का काम आगे भी करता रहूंगा. बहुजन समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष डॉ.जयपाल सिंह ने बताया कि पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के निर्देश पर अनुशासनहीनता के लिए ब्रह्मस्वरूप सागर पर कार्रवाई की गई है. पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने की उनको कई बार सूचना दी गई. इसके बाद भी ब्रह्म स्वरूप सागर की कार्यशैली में कोई सुधार नहीं आया. पार्टी, और मूवमेंट हित में उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है.
Also Read: नेपाल बार्डर पर टमाटर की तस्करी कराने वाले सीमा शुल्क अधीक्षक सहित 4 अफसर निलंबित, ऑपरेशन कवच से बढ़ी कीमतेंबरेली की राजनीति में ब्रह्मस्वरूप सागर पुराना चेहरा हैं. सागर ने समाजवादी पार्टी से अपनी राजनीति शुरू की थी. वह सपा में जिला महासचिव समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे थे. इसके बाद बसपा में आ गए.बसपा में जिलाध्यक्ष और जोनल कोआर्डिनेटर भी रहे थे. पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी का करीबी माना जाता था. नसीमुद्दीन सिद्दीकी के जाने के बाद ब्रह्मस्वरूप सागर ने भी पार्टी छोड़ दी और सिद्दीकी के साथ कांग्रेस में चले गए. कांग्रेस की प्रदेश कमेटी के महत्वपूर्ण पदों पर रहे .कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव शाहजहांपुर सीट से लड़ा था. 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले वह सपा में आ गए. फरीदपुर सुरक्षित विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की कोशिश की लेकिन टिकट नहीं मिला.विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने एक बार फिर बसपा की सदस्यता ली. पार्टी ज्वाइन करने के बाद से ही पार्टी के कुछ लोग उनके विरोध में थे.
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद