लखनऊ. राम की नगरी अयोध्या में मस्जिद के निर्माण की एक बड़ी बाधा दूर होने जा रही है. मस्जिद निर्माण के लिए हाई कोर्ट के आदेश पर अयोध्या के धन्नीपुर में जो जमीन मिली है उसके उपयोग परिवर्तन ( लैंड यूज चेंज ) पर निर्णय लेने के लिये सोमवार को बैठक होने जा रही है. अयोध्या विकास प्राधिकरण के निर्णय पर पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई हैं. मस्जिद के लिये मिली पांच एकड़ जमीन पर इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) ट्रस्ट ने एक मस्जिद, अस्पताल, शोध संस्थान, सामुदायिक रसोई और पुस्तकालय के निर्माण की योजना बनायी है.
यूपी सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश पर अयोध्या के धन्नीपुर गांव में पांच एकड़ जमीन इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) ट्रस्ट को आवंटित कर दी थी. नियमानुसार निर्माण शुरू करने के लिये कृषि भूमि का उपयोग परिवर्तन कराया जाना अनिवार्य है. यह प्रक्रिया चार महीने से लंबित है. अयोध्या विकास प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में इस पर निर्णय लिया जाना है. सोमवार को इसे हरी झंडी मिलने की संभावना है. प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं अयोध्या के मंडलायुक्त गौरव दयाल ने एक न्यूज एजेंसी को दिये साक्षात्कार में जानकारी दी है.
ट्रस्ट के स्थानीय न्यासी अरशद खान ने अयोध्या विकास प्राधिकरण पर भेदभाव का आरोप लगाते हैं. मीडिया को दिये एक बयान में वह कहते हैं कि जब हमने आवेदन किया तो अयोध्या विकास प्राधिकरण ने कहा कि आप ऑफलाइन के बजाय ऑनलाइन आवेदन कर दें. ट्रस्ट के लोगों ने जानकारी का अभाव होने के कारण असमर्थता प्रकट की थी, लेकिन प्राधिकरण के लोगों ने ही अपने यहां के कर्मचारियों से कहकर आवेदन को ऑनलाइन कराया. ऑनलाइन आवेदन होने से पोर्टल ने 15-16 अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) मांग लिये.
आईआईसीएफ को एनओसी हासिल करने में एक साल लग गया. अयोध्या के तत्कालीन जिलाधिकारी नीतीश कुमार के संज्ञान में जब यह मामला आया तो उन्होंने अनापत्ति प्रमाण पत्र भेजवाने में मदद की. अरशद खान कहते हैं कि जब एनओसी मिली तो अक्टूबर 22 में भू-उपयोग परिवर्तन का मामला आ गया. ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन को उम्मीद थी कि भू-उपयोग परिवर्तन नवंबर के अंत तक पूरा हो जायेगा. दिसंबर में मस्जिद तथा अन्य सुविधाओं का निर्माण शुरू कर दिया जायेगा. दिसंबर 2023 तक मस्जिद का ढांचा तैयार करने की योजना थी.
हाई कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में नौ नवंबर 2019 को ऐतिहासिक फैसला दिया था. कोर्ट ने विवादित स्थल पर राम मंदिर बनवाने और मस्जिद निर्माण के लिए मुसलमानों को अयोध्या में किसी प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था. मस्जिद निर्माण के लिए गठित इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट ने दी गई जमीन पर मस्जिद के साथ-साथ एक अस्पताल, सामुदायिक रसोई, पुस्तकालय और शोध संस्थान बनाने का ऐलान किया था.