बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, आला हजरत उर्स, ईद मिलादुन्नबी, चेहलुम, गांधी जयंती आदि को लेकर धारा 144 लागू कर दी गई है.डीएम शिवाकांत द्विवेदी ने इस संबंध में आदेश जारी की दिया है. यानि शहर में 27 अक्टूबर तक धारा 144 के तहत पाबंदियां लगी रहेंगी. कर्मचारी चयन आयोग और लोक सेवा आयोग संघ आदि की परीक्षा भी इसी दौरान हैं. अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई है. इसके साथ ही नगर निकाय चुनाव में आचार संहिता का पालन करना के निर्देश दिए गए हैं. धारा 144 लागू होना का नोटिस सभी तहसील मुख्यालयों पर चस्पा कर दिया गया है.
जिला बरेली में धारा 144 लागू होने के बाद शहर से लेकर देहात तक किसी भी जुलूस और जनसभा आदि कार्यक्रम के लिए प्रशासन से अनुमति लेनी होगी. इसके साथ ही पांच से अधिक लोगों के सार्वजनिक स्थान पर एकत्र होने पर पाबंदी लगाई गई है. जनसभा, जलसा, जुलूस, धरना प्रदर्शन आदि के लिए सक्षम अधिकारी से अनुमति लेनी होगी. जुलूस,शोभायात्रा, जलसा, कथा, कीर्तन और जागरण की भी अनुमति लेनी पड़ेगी. बिना लाइसेंस तेजाब या किसी भी तरह का पदार्थ और विस्फोटक सामग्री को एकत्र नहीं कर सकेगा. शीशे की बोतल के टुकड़े, पत्थर एकत्र करने पर भी पाबंदी है.
छात्र और लोगों को परेशानी न उठानी पड़े इसके लिए जुलूस, जनसभा और रैली सुबह 6 बजे से रात 10:00 बजे के बीच में होंगी. सरकारी कर्मचारी और पुलिस कर्मियों को छोड़कर कोई भी व्यक्ति हथियार बंदूक, पिस्तौल रिवाल्वर तलवार, कांता, बल्लम, चाकू एवं तेज धार वाला हथियार लेकर मार्ग पर लेकर नहीं चलेगा. हालांकि अंधे और कमजोर व्यक्तियों को सहारे के लिए डंडा लेकर चलने की अनुमति है. परीक्षा के दौरान 200 मीटर की परिधि में कोई भी फोटो स्टेट , फोटो , कंप्यूटर की दुकान नहीं खुलेगी. इसके साथ ही किसी तरह के लेख और पोस्टर छपवाने पर भी रोक है.कोई भी ऐसा भाषण नहीं देगा. जिससे दंगा या माहौल खराब होने का डर हो. किसी भी धर्म एवं महापुरुष के खिलाफ कोई टिप्पणी या विवादित बयान नहीं देगा.
144 की आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 1973 किसी भी राज्य या क्षेत्र के कार्यकारी मजिस्ट्रेट डिस्टिक्ट मजिस्ट्रेट या डिप्टी कमिश्नर अथवा समकक्ष मजिस्ट्रेट को किसी क्षेत्र में चार या उससे अधिक लोगों की सभा को प्रतिबंधित करने का आदेश जारी करने के लिए अधिकृत करती है. कानून के अनुसार, इस तरह की ‘गैरकानूनी सभा’ के प्रत्येक सदस्य पर दंगों में शामिल होने के लिए मामला दर्ज किया जा सकता है.
धारा 144 किसी घटना के उपद्रव या संभावित खतरे के तत्काल मामलों में लगाया जाता है जिसमें मानव जीवन या संपत्ति को परेशानी या क्षति पहुंचाने की क्षमता होती है. सीआरपीसी की धारा 144 आम तौर पर सार्वजनिक सभा को प्रतिबंधित करती है . 144 सीआरपीसी कुछ गतिविधियों या कार्यों या घटनाओं के संचालन पर रोक लगाता है जिन्हें नियमित पाठ्यक्रम में करने की अनुमति है. यह एक क्षेत्र में शांति और शांति बनाए रखने के लिए लगाया जाता है .
धारा 144 का इस्तेमाल अतीत में अशांति या दंगे पैदा करने वाले प्रदर्शनों को रोकने के लिए प्रतिबंध लगाने के लिए किया गया है. आपात स्थिति होने पर कार्यकारी मजिस्ट्रेट को धारा 144 लगाने के आदेश दिए गए हैं.धारा 144 उस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के हथियार ले जाने पर भी प्रतिबंध लगाती है जहां इसे लगाया गया है. इसका उल्लंघन करने के लिए लोगों को हिरासत में लिया जा सकता है . इस तरह के कृत्य के लिए अधिकतम सजा तीन साल है.
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इस धारा के तहत आदेश के अनुसार, जनता का कोई आंदोलन नहीं होगा और सभी शैक्षणिक संस्थान भी बंद रहेंगे और इस आदेश के संचालन की अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की सार्वजनिक बैठकें या रैलियां आयोजित करने पर पूरी तरह से रोक होगी.इसके अलावा, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को गैरकानूनी सभा को फैलाने से रोकना एक दंडनीय अपराध है. धारा 144 भी अधिकारियों को इंटरनेट एक्सेस को ब्लॉक करने का अधिकार देती है .
धारा 144 के तहत कोई भी आदेश दो महीने से अधिक समय तक लागू नहीं रहेगा, लेकिन राज्य सरकार इसकी वैधता दो महीने और अधिकतम छह महीने तक बढ़ा सकती है . स्थिति सामान्य होने पर इसे किसी भी समय वापस लिया जा सकता है.
धारा 144 संबंधित क्षेत्र में चार या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाती है, जबकि कर्फ्यू के दौरान लोगों को एक विशेष अवधि के लिए घर के अंदर रहने का निर्देश दिया जाता है. सरकार यातायात पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगाती है. कर्फ्यू के तहत बाजार, स्कूल, कॉलेज और कार्यालय बंद रहेंगे और केवल आवश्यक सेवाओं को पूर्व सूचना पर चलाने की अनुमति है.
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद