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UP Panchayat Chunav 2021: आरक्षण पर हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब क्या करेगी योगी सरकार? यहां जानें पूरी बात

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव (Uttar Pradesh panchayat Chunav) में आरक्षण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के फैसले के बाद मामला अजीब मोड़ पर आ गया है. अब जबकि आरक्षण लिस्ट तैयार कर लिया गया है तो इस फैसले के बाद उसमें बड़ा बदलाव करना पड़ेगा. केवल इतना ही नहीं कई जगहों पर पूरा चुनावी समीकरण बदलने का भी अंदेशा है. कई पार्टियों को इसकी चिंता सता रही है. इससे कुछ पंचायत के लोगों में खुशी की लहर है तो कई लोग दुखी हैं.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव (Uttar Pradesh panchayat Chunav) में आरक्षण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के फैसले के बाद मामला अजीब मोड़ पर आ गया है. अब जबकि आरक्षण लिस्ट तैयार कर लिया गया है तो इस फैसले के बाद उसमें बड़ा बदलाव करना पड़ेगा. केवल इतना ही नहीं कई जगहों पर पूरा चुनावी समीकरण बदलने का भी अंदेशा है. कई पार्टियों को इसकी चिंता सता रही है. इससे कुछ पंचायत के लोगों में खुशी की लहर है तो कई लोग दुखी हैं.

क्या कहा हाईकोर्ट ने अपने फैसले में

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सोमवार को राज्य सरकार को उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण को अंतिम रूप देने के लिए 2015 को आधार वर्ष के रूप में रखने का आदेश दिया और कहा कि राज्य में 25 मई तक पंचायत के चुनाव करा लिए जाएं. राज्‍य सरकार के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने अदालत को अवगत कराया कि राज्‍य सरकार आधार वर्ष के रूप में 2015 का पालन करने के लिए तैयार है. न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश सुनाया.

क्या कहा गया था याचिका में

अजय कुमार के द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि राज्‍य सरकार ने वर्ष 1995 को आधार वर्ष मानकर चुनाव क्षेत्रों का आरक्षण किया था. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मोहम्मद अल्ताफ मंसूर ने राज्य सरकार के 1995 को आधार वर्ष के रूप में पालन करने के फैसले की वैधता पर सवाल उठाया था और उसे सितंबर 2015 की अधिसूचना के खिलाफ बताया था. बता दें कि इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया पूरी करने की समय सीमा 15 मई निर्धारित की थी.

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अब क्या करेगा प्रशासन

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला ऐसे समय में आया है जब उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जारी आरक्षण लिस्ट को फिर से तैयार करना होगा. इससे कई राजनीतिक दलों का समीकरण बिगड़ सकता है. इसके साथ ही पंचायत चुनाव में खड़े होने वाले उममीदवारों को भी झटका लग सकता है. कई राजनीतिक दलों ने आरक्षण सूची के आधार पर अपने उम्मीदवार भी तय कर लिये थे. अब उन्हें भी बदलना पड़ेगा. चुनाव में देरी होने की संभावना है और ऐसे में रिजल्ट भी देर से आयेगा.

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव को 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के ट्रेलर के रूप में देखा जा रहा है. सभी पार्टियां चुनाव में अपने उम्मीदवार उठाने के लिए कमर कस चुके हैं. जाति का कार्ड खेलने के लिए कई दलों ने तो आरक्षण लिस्ट के आधार पर अपने उम्मीदवार भी तय कर लिए थे. अब कई जगहों पर उम्मीदवारों को बदलना होगा और इससे कुछ दलों को बड़ा नुकसान हो सकता है.

Posted By: Amlesh Nandan.

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