UP: घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तैयारी, भाजपा की सेंधमारी से अखिलेश यादव का PDA फॉर्मूला अभी से हुआ फेल!

दारा सिंह चौहान के पास योगी सरकार में वन विभाग की जिम्मेदारी थी. इसके बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें घोसी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया, जिसमें उन्होंने जीत दर्ज की. कुछ समय पहले से वह सपा नेतृत्व से नाराज चल रहे थे और इसके बाद वह मंगलवार को भाजपा में शामिल हो गए.

By Sanjay Singh | July 18, 2023 6:28 AM
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Lucknow: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भाजपा यूपी में सियासी समीकरण अपने पाले में करने में जुट गई है. इसके लिए विपक्षी दलों में सेंधमारी की उसकी कोशिशें अभी से तेज हो गई हैं. ताजा मामला दारा सिंह चौहान का है, जो सपा विधायक के तौर पर अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद भाजपा में शामिल हुए हैं. इसके बाद मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराया जाएगा.

उत्तर प्रदेश में जल्द ही घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव की लड़ाई देखने को मिल सकती है. समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक दारा सिंह चौहान के इस्तीफे से खाली हुई मऊ जनपद की घोसी विधानसभा सीट पर जल्द उप चुनाव कराया जाएगा. इसके लिए विधानसभा सचिवालय की ओर से मंगलवार को घोसी विधानसभा सीट रिक्त होने की सूचना भारत सूचना निर्वाचन आयोग को भेजी जाएगी.

दारा सिंह चौहान ने सोमवार को यूपी विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपा. महाना ने इस्तीफा स्वीकार करते हुए विधानसभा सचिवालय को सीट रिक्त घोषित करने की कार्यवाही के निर्देश दिए. विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि मंगलवार को सीट रिक्त घोषित कर निर्वाचन आयोग को इसकी सूचना भेजी जाएगी.

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मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के मुताबिक विधानसभा की ओर से घोसी सीट रिक्त होने की सूचना मिलने के बाद आयोग जल्द यहां उपचुनाव कराने का कार्यक्रम जारी कर सकता है. इस तरह लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में उपचुनाव की लड़ाई देखने को मिलेगी. संभावना जताई जा रही है कि आगामी दो महीने में घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराए जा सकते हैं.

सबसे अहम बात है कि सियासी चर्चा के मुताबिक घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव में भाजपा दारा सिंह चौहान को ही उम्मीदवार बनाएगी. उनके योगी कैबिनेट में शामिल होने की भी चर्चाएं हैं. कहा जा रहा है कि जातीय समीकरण साधने के साथ पूर्वांचल में अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए भाजपा दारा सिंह चौहान को कैबिनेट मंत्री बना सकती है.

दरअसल दारा सिंह चौहान ने जब जनवरी 2022 में भाजपा से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी का दामन थामा था तब, वह योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री थी. उनके पास वन एवं पयार्वरण विभाग की जिम्मेदारी थी. इसके बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें घोसी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया. दारा सिंह चौहान ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर घोसी सीट पर जीत दर्ज की. हालांकि, कुछ समय पहले से वह सपा नेतृत्व से नाराज चल रहे थे.

उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के बाद से माना जा रहा था कि दारा सिंह चौहान भविष्य की सियासत को लेकर कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं. इसके बाद उन्होंने पहले समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दिया. इसके बाद घोसी विधानसभा सीट के विधायक के तौर पर भी अपना इस्तीफा अध्यक्ष सतीश महाना को सौंप दिया.

दारा सिंह चौहान ने मंगलवार को भाजपा कार्यालय पर पहुंचकर पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने दारा सिंह चौहान को पार्टी की सदस्यता दिलाई. इस दौरान यूपी के दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक मौजूद रहे. उन्होंने दारा सिंह चौहान का एक बार फिर पार्टी में स्वागत किया.

दारा सिंह चौहान के इस कदम से लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा है. माना जा रहा है कि दारा सिंह चौहान की भाजपा में घर वापसी से अखिलेश यादव को चुनावी समीकरण साधने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

दारा सिंह चौहान पूर्वांचल में ओबीसी राजनीति का एक अहम चेहरा माने जाते हैं. अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर यूपी में ‘अस्सी हराओ, भाजपा हटाओ’ का नारा दिया है. इसके लिए वह आने वाले चुनाव में ‘पीडीए’ फॉर्मूला पर काम करते हुए देश के सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में एनडीए को धूल चटाने का दावा कर चुके हैं. अखिलेश यादव के पीडीए फॉर्मूला में पिछड़े वर्ग, दलित और अल्पसंख्यक वोटर्स आते हैं.

ऐसे में अखिलेश यादव जिस तरह से पिछड़े और दलित समाज को एकजुट कर फ्रंट बनाकर भाजपा को प्रदेश में चुनौती देने की रणनीति पर काम कर रहे थे, उसे बड़ा झटका लगा है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि इस राजनीतिक समीकरण में दारा सिंह चौहान की भूमिका को भी अहम माना जा रहा था. उनकी पूर्वांचल में सियासी पकड़ मजबूत मानी जाती है. दो बार के राज्यसभा और एक बार के लोकसभा सांसद और यूपी सरकार के पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान का सपा छोड़ना पार्टी के लिए पूर्वांचल के राजनीतिक समीकरण को साधने में दिक्कत पैदा करने वाला हो सकता है.

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