यूपी में शहरवासियों की जेब पर पड़ेगा अतिरिक्त बोझ, 17 नगर निगमों में हाउस टैक्स-लाइसेंस शुल्क बढ़ाने की तैयारी
यूपी में नगर निगमों में हाउस टैक्स और लाइसेंस शुल्क में वृद्धि को लेकर बोर्ड की पहली बैठक में प्रस्ताव लाया जाएगा. सदन में मंजूरी मिलने पर इसे शासन का भेजा जाएगा, जिसके बाद हरी झंडी मिलते ही सरकार इस पर अपना निर्णय करेगी.
Lucknow: यूपी के सभी 17 नगर निगमों में हाउस टैक्स और लाइसेंस शुल्क बढ़ाने की तैयारी शुरू हो गई है. नगर निगमों की खराब माली हालत को देखते हुए सरकार इनकी आय बढ़ाने के प्रयास में जुट गई है. इसके मद्देनजर ये अहम निर्णय किया गया है.
प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने इस संबंध में आदेश जारी किया है. इसमें उन्होंने यूपी के सभी नगर निगमों से सदन और बोर्ड की पहली बैठक में प्रस्ताव पारित कर शासन को भेजने को कहा है.
दरअसल यूपी के नगर निगमों की आर्थिक स्थिति काफी खराब है. लखनऊ सहित प्रदेश के सभी 17 नगर निगम बेहद घाटे में चल रहे हैं. लखनऊ नगर निगम पर ही 300 करोड़ से अधिक की देनदारियां हैं. इसका असर आम जनता की सुविधाओं से जुड़े कार्यों पर भी पड़ता है.
ऐसे में प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने आदेश जारी कर नगर निगमों को अपनी आय बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. इसके लिए कर एवं करेत्तर राजस्व में इजाफा करने को कहा गया है. वहीं आधुनिक तकनीक का प्रयोग करते हुए शहरी आवासों का सर्वेक्षण किया जाएगा. इसके तहत हाउस टैक्स की दरों को भी पुनरीक्षित किया जाएगा. वहीं लाइसेंस शुल्क की दरों में भी वृद्धि तय मानी जा रही है.
बताया जा रहा है कि सभी नगर निगम सदन अपने वहां इसका प्रस्ताव पारित करेंगे. इसके बाद इसे शासन को भेजा जाएगा, जहां से मंजूरी मिलने के बाद नई दरों लागू हो जाएंगी. इससे आम जनता के जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ना तय है.
इसी कड़ी में घरों में डोर टू डोर कलेक्शन का यूजर चार्ज भी बढ़ाया जाएगा. नगर निगम घरों से कूड़ा उठाने के लिए यूजर चार्ज वसूलता है, अब इसमें इजाफा होने से लोगों को अतिरिक्त धनराशि देनी होगी. फिलहाल मंजूरी मिलने तक पुरानी दरें ही लागू रहेंगी.
इस बीच मेयर ने सदन की बैठक बुला ली है. इस संबंध में पत्र जारी कर दिया गया है. हालांकि अभी तारीख तय नहीं है. कहा जा रहा है कि 20 जुलाई से पहले सदन की बैठक होगी. इसमें हाउस टैक्स की दरों को पुनरीक्षित करने पर निर्णय किया जाएगा. लखनऊ में इससे पहले 2014 में गृहकर की दरों को रिवाइज किया गया था. इसके बाद कई बार अफसरों ने टैक्स में इजाफे को लेकर सदन में प्रस्ताव रखा. लेकिन, सदन से इसे पारित नहीं कराया जा सका.