UP: निलंबित आईपीएस अफसर मणिलाल पाटीदार की जमानत अर्जी खारिज, दो साल फरार रहने के बाद कोर्ट में किया था सरेंडर
भ्रष्टाचार, रंगदारी मांगने और खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले में जेल में बंद निलंबित आईपीएस अफसर मणिलाल पाटीदार को फिलहाल जेल में ही रहना होगा. कोर्ट ने अफसर की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. महोबा के चर्चित इंद्रकांत त्रिपाठी मामले में फरार रहने के बाद मणिलाल पाटीदार ने कोर्ट में सरेंडर किया था.
Lucknow: निलंबित आईपीएस अफसर मणिलाल पाटीदार को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. लखनऊ की एंटी करप्शन कोर्ट ने पाटीदार की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. जज शालिनी सागर ने सुनवाई के बाद जमानत के लिए दिए गए तर्कों को सुनकर सहमत नहीं हुईं और उन्होंने अजी को खारिज किर दिया. उन्होंने अपने आदेश में कहा कि पाटीदार पर लोक सेवक के पद पर रहते हुए गंभीर प्रकृति के अपराध को अंजाम देने का आरोप है, लिहाजा उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती.
यूपी के जनपद महोबा में कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी का सात सितंबर 2020 को तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार पर छह लाख रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया में वीडियो वायरल हुआ था. आठ सितंबर को उनके गले में गोली लगी थी और 13 सितंबर को मौत हो गई थी. परिजनों ने मामले में हत्या का आरोप लगाया था.
इसके बाद प्रदेश सरकार ने तीन आईपीएस अफसरों की एसआईटी गठित की थी. एसआईटी जांच में त्रिपाठी की मौत को आत्महत्या तो बताया गया. लेकिन, महोबा में थानेदारों की ट्रांसफर पोस्टिंग में बड़े खेल की पुष्टि की गई. एसआईटी की जांच में तत्कालीन एसपी, थानाध्यक्ष कबरई समेत पांच लोग आत्महत्या के लिए उकसाने और भ्रष्टाचार के दोषी पाए गए.
इसके बाद शासन ने विजिलेंस जांच के आदेश दिए. पांचों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था. वहीं मणिलाल पाटीदार को 9 सितंबर 2020 को निलंबित कर पुलिस महानिदेशक मुख्यालय से संबद्ध किया गया. लेकिन, वह डीजीपी मुख्यालय में आमद कराने के बजाय फरार हो गया था. जबकि चार आरोपी पहले से जेल में थे.
काफी तलाश के बाद भी मणिलाल पाटीदार का सुराग नहीं मिलने पर एक लाख का इनाम घोषित किया गया. इसके बाद मणिलाल पाटीदार ने 15 अक्तूबर, 2022 को लखनऊ की कोर्ट में आत्मसमर्पण किया.
इस प्रकरण में आईपीएस अफसर से जांच टीम पूछताछ भी कर चुकी है. वहीं मणिलाल पाटीदार जेल से बाहर निकलने की कोशिश में है. एक बार फिर उसने वकील के जरिए जमानत अर्जी दाखिल की और दलील दी. हालांकि कोर्ट इससे सहमत नहीं हुआ और अर्जी खारिज कर दी गई.