उप्र विधान सभा चुनाव: कर्मचारी राजनीति के धुरंधरों ने भी चुनावी मैदान में ठोंकी ताल

दो बड़े संगठनों के कर्मचारी नेता थाम चुके हैं समाजवादी पार्टी का दामन, यूपी के विधान सभा चुनाव में इस बार कर्मचारी नेता भी ताल ठोकते नजर आएंगे, इन नेताओं ने राजनीति के अखाड़े में दमखम आजमाने के लिए अपनी नौकरी को छोड़ दिया है

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2021 7:24 PM

UP Election 2022: यूपी के विधान सभा चुनाव में इस बार कर्मचारी नेता भी ताल ठोंकते नजर आएंगे. इन नेताओं ने राजनीति के अखाड़े में दमखम आजमाने के लिए अपनी नौकरी को छोड़ दिया है. अभी तक आईएएस-पीएससी सेवानिवृत्त होने के बाद ही सक्रिय राजनीति में उतरने का इतिहास ही सामने है.

लेकिन नौकरी छोड़कर माननीय बनने का दौर पहली बार देखा जा रहा है. वर्तमान में दो कर्मचारी नेताओं ने समाजवादी पार्टी का दामन थामा है. इनमें से एक का इटावा सदर सीट से टिकट लगभग पक्का माना जा रहा है.

उप्र के 2022 में होने वाले विधान सभा चुनाव में राज्य कर्मचारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. विभिन्न संगठनों में बंटे प्रदेश के लगभग 14 लाख कर्मचारी लंबे समय पुरानी पेंशन बहाली सहित कई मांगों को लेकर सरकार के सामने डटे हुए हैं. कर्मचारियों की नाराजगी को देखते हुए यह माना जा रहा है कि वर्तमान सरकार को कर्मचारियों की नाराजगी की कीमत चुकानी पड़ सकती है.

कर्मचारियों के रुख को देखते हुए जिन कर्मचारी नेताओं ने सक्रिय राजनीति में दस्तक दी है, उनमें प्रमुख नाम इंजीनियर हरि किशोर तिवारी का है. डिप्लोमा इंजीनियर संघ के प्लेटफार्म से कर्मचारी राजनीति में कूदे हरि किशोर 1986 में प्रदेश अध्यक्ष बने. इसके बाद 2012 में राज्य कमर्चारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष की कमान उन्होंने संभाली.

इंजीनियर हरि किशोर तिवारी ने वर्ष 2021 के स्नातक एमएलसी चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई थी. लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे इंजीनियर साहब को कुछ खास सफलता नहीं मिली. अपनी इस हार से सबक लेकर उन्होंने लंबे मंथन के बाद 19 अक्तूबर को समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया.

इसी तरह 26 नवंबर को कर्मचारी नेता सुरेंद्र श्रीवास्तव ने भी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर समाजवादी पार्टी का दामन थामा है. सुरेंद्र उत्तर प्रदेश कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रहे हैं. वह कहां से चुनाव लड़ेंगे, यह भी तय नहीं है. पूर्व में वर्ष 1966-67 कर्मचारी नेता पीएन शुक्ला को कांग्रेस ने राज्य सभा भेजा था। जबकि एक अन्य बड़े कर्मचारी नेता स्व. बीएन सिंह विधान परिषद के लिए मनोनीत हुए थे.

Also Read: UP Election 2022: अपर्णा यादव ने कृषि कानूनों को वापस लेने का श्रेय अखिलेश को दिया, बोलीं- फिर बनाएं सपा सरकार

Next Article

Exit mobile version