UP Vidhan Sabha: यूपी विधानसभा में बसपा-कांग्रेस से पुराने कार्यालय लिए गए वापस, सपा को मिला बड़ा दफ्तर

यूपी विधानमंडल में बसपा और कांग्रेस के कार्यालय लंबे समय से आवंटित थे. दोनों दल सत्ता में रह चुके हैं. हालां​कि अब तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है. समाजवादी पार्टी प्रमुख विपक्षी दल है. सदन में सत्तारूढ़ दल के बाद उसके विधायकों की संख्या सबसे अधिक है. अखिलेश यादव नेता प्रतिपक्ष भी हैं.

By Sanjay Singh | November 26, 2023 4:00 PM

Lucknow News: यूपी विधानसभा का शीतकालीन सत्र आगामी 28 नवंबर से शुरू होने जा रहा है. 66 साल बाद विधानसभा सत्र जहां नये नियमों के साथ संचालित किया जाएगा. वहीं इससे पहले पार्टी कार्यालयों की तस्वीर भी बदली नजर आएगी. शीतकालीन सत्र से पहले विपक्षी दलों के कार्यालयों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. सदन के अंदर और बाहर प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी भले ही सत्तारूढ़ दल भाजपा की आलोचना करती रहे. लेकिन, वर्तमान सरकार में उसे बड़ा लाभ मिला है. विधानमंडल में सपा का कार्यालय अब पहले की अपेक्षा कहीं ज्यादा बढ़ा हो गया है, जबकि कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी को पहले से आवंटित किए गए बड़े दफ्तर वापस ले लिए गए हैं. अब दोनों दलों को छोटे कमरे से ही अपने कार्य पूरे करने होंगे. ये कमरे विभिन्न दलों को विधानमंडल में कार्यालय के रूप में इस्तेमाल करने के लिए आवंटित किए जाते हैं. इनमें विधायक और विधान परिषद सदस्य बैठते हैं. सत्र के दौरान यहां सबसे ज्यादा चहलकदमी देखने को मिलती है. वहीं अब विधानमंडल सचिवालय की ओर से कांग्रेस और बसपा को पूर्व में आवंटित बड़े कमरे वापस ले लिए गए हैं. इसके पीछे इन दलों के सदस्यों की संख्या पहले की अपेक्षा काफी कम होना है. जब इन दलों को कमरे आवंटित किए गए थे, तब इनके विधायक और विधान परिषद सदस्यों की संख्या काफी ज्यादा थी. लेकिन, अब बसपा का सिर्फ एक और कांग्रेस के दो विधायक हैं. ऐसे में इन दलों से बड़े कार्यालय वापस ले लिए गए हैं. इनमें आराधना मिश्रा मोना व वीरेंद्र चौधरी कांग्रेस के सदस्य हैं, वहीं उमा शंकर सिंह बसपा के सदस्य हैं. कार्यालय छीनने पर कांग्रेस और बसपा के नेताओं ने नाराजगी जताई है. विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने कहा कि दोनों दलों के लिए नए ऑफिस बनाए जाएंगे.


कांग्रेस को लगा बड़ा झटका

देश के साथ कभी यूपी में सत्ता का केंद्र रही कांग्रेस को इससे बड़ा झटका लगा है. उसके पास शुरुआत से बड़ा कार्यालय रहा. लेकिन, अब ये बेहद छोटा हो गया है. यूपी विधानसभा सदस्य नियमावली 987 की धारा 157 (2) के मुताबिक ऐसे दल जिनकी संख्या 25 या उससे अधिक है, उन्हें सचिवालय की ओर से कमरा, चपरासी, टेलीफोन आदि उन शर्तों के साथ दिए जा सकते हैं जैसा विधानसभा अध्यक्ष निर्धारित करें. नियमावली के मुताबिक 25 से कम सदस्य वाले दूसरे दलों को कमरा और अन्य सुविधाएं प्राप्त करने का अधिकार नहीं है. इस संबंध में अंतिम निर्णय का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास है.

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सपा को इस वजह से मिला बड़ा कार्यालय

यूपी विधानमंडल में बसपा और कांग्रेस के कार्यालय लंबे समय से आवंटित थे. दोनों दल सत्ता में रह चुके हैं. हालां​कि अब तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है. समाजवादी पार्टी प्रमुख विपक्षी दल है. सदन में सत्तारूढ़ दल के बाद उसके विधायकों की संख्या सबसे अधिक है. अखिलेश यादव नेता प्रतिपक्ष भी हैं. ऐसे में संख्या बल अधिक होने के कारण उनकी पार्टी का कार्यालय अब बड़ा कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि भाजपा के सहयोगी दल निषाद पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी सहित अन्य दलों में रालोद और राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को भी छोटे कार्यालय अलॉट किए गए हैं.

विधानसभा अध्यक्ष से मिलेंगे बसपा नेता

उधर इस मामले में बसपा विधानमंडल दल के नेता उमाशंकर सिंह ने कहा कि इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर पार्टी के लिए कार्यालय आवंटित करने की मांग की जाएगी. फिलहाल पार्टी को एक छोटा केबिन दिया गया है. विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यालय देने का आश्वासन पूर्व में दिया था.

यूपी विधानसभा शीतकालीन सत्र 28 नवंबर से

यूपी विधानसभा के मंगलवार से शुरू होने जा रहे शीतकालीन सत्र के पहले दिन सदन के वर्तमान और भूतपूर्व सदस्यों के निधन पर शोक व्यक्त किया जाएगा. वहीं 29 नवंबर को प्रथम पहर में सदन में अध्यादेशों, अधिसूचनाओं, नियमों आदि को पटल पर रखा जाएगा. दोपहर 12.30 के बाद वित्तीय वर्ष 2023-24 के अनुपूरक अनुदानों की मांगों का प्रस्तुतिकरण व अन्य विधाई कार्य निपटाए जाएंगे. इस सत्र की सबसे खास बात ये रहेगी कि महिला सदस्यों को बोलने में वरीयता दी जाएगी.

सत्र के तीसरे दिन 30 नवंबर को वित्तीय वर्ष 2023-24 के अनुपूरक अनुदानों पर चर्चा होगी. सदस्यगणों की मांगों पर विचार एवं मतदान होगा. साथ ही विनियोग विधेयक का सदन की अनुज्ञा से पुर:स्थापन का कार्य होगा. इसके अलावा अन्य विधाई कार्य निपटाए जाएंगे. वहीं शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन 1 दिसंबर को विधायी कार्य निपटाए जाएंगे.

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