UP AQI Today: नोएडा, गाजियाबाद सहित यूपी के कई शहरों में हवा की सेहत में नहीं हो रहा सुधार, बढ़ रही बीमारियां

प्रदेश में नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ समेत कई जिलों की हवा सांस लेने के लायक नहीं है. मौसम में इसका दुष्प्रभाव देखने को मिल रहा है. यूपी के नोएडा की हवा दिल्ली से भी अधिक जहरीली है. नोएडा दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में 13 वें नंबर पर है. नोएडा का वायु गुणवत्ता सूचकांक 371 है.

By Sanjay Singh | November 15, 2023 10:45 AM

UP AQI Today: यूपी के मौसम में प्रदूषण का स्तर अभी भी खतरनाक स्थिति में बना हुआ है. बुधवार सुबह की शुरुआत भी प्रदूषण से हुई, इस वजह से बाहर निकलने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. प्रदूषण के कारण धुंध का स्तर कम होने का नाम नहीं ले रहा है. हालत ये है कि कई शहरों का AQI 200 के पार है. जहां इसका स्तर नीचे है, वहां भी हवा साफ नहीं है. तापमान में हल्का उतार-चढ़ाव है. दिन का तापमान सामान्य से कम है. हवा बेहद धीमी गति से चल रही है. इसलिए अभी प्रदूषणकारी तत्व सतह पर बने रहेंगे. तेज धूप निकलने पर यह ऊपर उठते हैं, लेकिन नमी बढ़ने पर फिर बैठ जाते हैं. जब तक तेज हवाएं नहीं चलेंगे तब तक प्रदूषण का स्तर यही बना रह सकता है. एक हफ्ते तक की इस तरह की स्थिति झेलनी पड़ सकती है. प्रदेश में औसत न्यूनतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस के बीच मापा जा रहा है. मौसम विभाग के मुताबिक ठंड का असर भी धीरे धीरे बढ़ रहा है. वर्तमान में शहरों में सुबह की शुरुआत सफेद चादर से हो रही है, इसमें स्मॉग और कोहर का अंतर कर पाना मुश्किल हो रहा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जारी आंकड़ों के मुताबिक हवा की गुणवत्ता का सूचकांक एक्यूआई कई इलाकों में खराब दर्ज किया गया है. ऐसे में ठंड और खराब हवा के कारण सांस के मरीजों को ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है. शहरों में प्रदूषण का उच्चतम स्तर देर रात से सुबह के वक्त ज्यादा देखने को मिल रहा है. मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक सुबह आठ बजे से दोपहर 12 बजे तक की हवाएं सबसे ज्यादा खराब है. इस दौरान पीएम 2.5 सूक्ष्म कणा, पीएम 10 धूल और कार्बन मोनोऑक्साइड की मौजूदगी सबसे अधिक मापी गई है. इस बीच बाहर निकलते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए. सांस के मरीजों को बाहर निकलने से परहेज करना चाहिए. इस दौरान बाहर निकलने पर आंख में जलन जैसी समस्या भी बढ़ सकती है.


कई जिलों की हवा सांस लेने के लायक नहीं

प्रदेश में नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ समेत कई जिलों की हवा सांस लेने के लायक नहीं है. मौसम में इसका दुष्प्रभाव देखने को मिल रहा है. यूपी के नोएडा की हवा दिल्ली से भी अधिक जहरीली है. नोएडा दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में 13 वें नंबर पर है. नोएडा का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 371 है. नई दिल्ली का AQI 502 है. यह दुनिया की टॉप 100 सिटी में 6वें स्थान पर है. यूपी के गाजियाबाद का AQI 353 है. यह 15वें स्थान पर है. 64वें स्थान पर कानपुर का AQI 309, 71वें स्थान पर फतेहपुर का 293, 83वें स्थान पर इलाहबाद का 274 आदि है. इसके साथ ही सहारनपुर, यूपी की राजधानी लखनऊ, फैजाबाद, बुलंदशहर का भी AQI खराब स्थिति में है. इसी तरह बुधवार को बरेली का AQI 251 तक आ गया है. शहर में प्रदूषण से लोगों का दम घुटने लगा है, जिसके चलते अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है.सबसे अधिक सांस के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है.

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जानें प्रदूषण के दौरान स्टीम लेने के फायदे

प्रदूषण में ज्यादातर लोगों को गले में खराश की दिक्कत होती है.ऐसे में स्टीम लेना फयदेमंद हो सकता है.आप रोजाना स्टीम लेंगे, तो इससे गले में आराम मिलता है और गले की खराश से छुटकारा मिलता है. प्रदूषण की वजह से सबसे ज्यादातर लोगों लग्स (फेफड़ों) की दिक्कत होने लगती है. जिन लोगों को पहले से ही फेफड़ों से जुड़ी दिक्कत है, तो उनको इस दौरान दिक्कत और बढ़ जाती है. ऐसे में अगर आप फेफड़ों को हेल्दी रखना चाहते हैं,तो रोजाना स्टीम जरूर लें. स्टीम लेने से फेफड़े सही रहते हैं और आपके फेफड़े हेल्दी रहते हैं. इसके साथ ही सर्दी-जुकाम और गले के दर्द में राहत मिलती है. सर्दी-जुकाम और बुखार में रहात मिलती है. आप रोजाना स्टीम लेना शुरू कर दें. कफ बाहर आ जाएगा. आपको गले दर्द, सर्दी -जुकाम से रहात मिलेगी.

कागजों में प्रदूषण रोकने का प्लान

यूपी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर प्लान बनाया गया था. मगर, यह कागजों तक ही सीमित है. इसका स्थायी समाधान निकालने के लिए पहली बार प्रदूषण के खात्मे को प्रोजेक्ट बनाया गया. प्रत्येक इलाके में प्रदूषण के मुख्य कारणों की खोज के लिए शोध करने का प्लान है. प्रत्येक क्षेत्र की रिपोर्ट तैयार होगी. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग गांव से लेकर शहरों तक के प्रदूषण को विभिन्न श्रेणी में बांटेगा. प्रदूषण में किस कारक का कितना योगदान है, और किस शहर में किस तरह का प्रदूषण है. इस पर विश्वविद्यालयों के पर्यावरण विभाग प्रोजेक्ट तैयार करेंगे. इसके बाद डाटा को मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी से तैयार कर जिले वार प्रदूषण की रिपोर्ट तैयार होगी.जिससे जड़ से खात्मा हो सके. लेकिन, इस पर कोई काम नहीं हो रहा है.

रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद

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