Lucknow: योगी आदित्यनाथ सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ बेंच में तैनात शासकीय अधिवक्ताओं को लेकर बड़ा फैसला किया है. सरकार ने यहां तैनात सभी अधिवक्ताओं को हटाकर इनकी जगह 1623 सरकारी वकीलों को नियुक्त किया है. इनमें कुछ को दोबारा नियुक्ति दी गई है.
न्याय विभाग ने इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ बेंच को लेकर अपर महाधिवक्ता, चीएफ स्टैंडिंग काउंसिल, सहायक चीएफ स्टैंडिंग काउंसिल, ब्रीफ होल्डर (बीएच) सिविल, बीएच क्रिमिनल और स्टैंडिंग काउंसिल सहित कुल 1623 पदों पर वकीलों की नियुक्ति के आदेश जारी किए हैं.
सरकार की ओर से जिन लोगों को जिम्मेदारी सौंपी गई है, उनमें विनोद कुमार शाही, कुलदीप पति त्रिपाठी, अशोक शुक्ल, अनिल प्रताप सिंह, विमल श्रीवास्तव को लखनऊ खंडपीठ में अपर महाधिवक्ता नियुक्त किया गया है.
वहीं शैलेंद्र कुमार को चीफ स्टैंडिंग काउंसिल, प्रशांत सिंह पटेल सीएससी प्रथम, दीपशिखा को सीएससी-2, अखिलेश कुमार सिंह को सीएससी-3 ज्योत्सना पाल को सीएससी-4 अजय कुमार पांडेय की सीएससी-5 और रवि सिंह सिसोदिया को सीएससी -6 नियुक्त किया है. जबकि 74 एसीएससी, 198 बीएच सिविल, 195 बीएच क्रिमिनल, 187 स्टैंडिंग काउंसिल की नियुक्ति की गई है.
इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में तीन अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम, 28 अपर शासकीय अधिवक्ता नियुक्त किए गए हैं. वहीं अशोक मेहता, मनीष गोयल, नीरज त्रिपाठी, महेश चंद्र चतुर्वेदी, वी.के. गिरी, अजीत कुमार सिंह, शिव कुमार पाल और पी.के.श्रीवास्तव को इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपर महाधिवक्ता नियुक्त किया गया है.
इसके अलावा कुणाल रवि सिंह को चीफ स्टैंडिंग काउंसिल, जेएन मौर्य को सीएससी प्रथम, राजेश्वर त्रिपाठी को सीएसची द्वितीय, मनोज कुमार सिंह को एसएसची तृतीय, शीतला प्रसाद गौड को सीएससी चतुर्थ, आलोक कुमार त्रिपाठी को सीएससी पंचम, विजय शंकर मिश्रा को एसएसची 6, अभिभेष श्रीवास्तव को सीएससी -7 और बिपिन बिहारी पांडेय को सीएसस-8 नियुक्त किया गया है.
वहीं 120 एसीएससी, 187 बीएच- सीएससी, 175 बीएच- क्रिमिनल, 330 स्टैंडिंग काउंसिल की नियुक्ति की गई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में 18 अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम, 107 अपर शासकीय अधिवक्ता नियुक्त किए गए हैं. वहीं अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल को इलाहाबाद हाईकोर्ट में शासकीय अधिवक्ता की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है.
सरकार के इस फैसले के बाद वकीलों में हलचल की स्थिति है. जिन सरकारी वकीलों को हटा दिया गया है, उन्हें जहां झटका लगा है, वहीं नियुक्ति पाने वाले नए चेहरे जिम्मेदारी मिलने से प्रसन्न हैं. योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल के बाद से ही हाईकोर्ट में अपर महाधिवक्ता सहित अन्य पदों पर नियुक्ति को लेकर चर्चाएं तेज थी. नियुक्ति पाने वाले अधिकांश वकील भाजपा संगठन और सत्तापक्ष के करीबी बताए जा रहे हैं.