उसरी चट्टी हत्याकांड: माफिया बृजेश सिंह और त्रिभुवन को मुख्तार अंसारी से जान का खतरा, लखनऊ ट्रांसफर हुआ केस
यूपी में माफिया मुख्तार अंसारी, बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह बहुचर्चित उसरी चट्टी केस को लेकर एक बार फिर चर्चा में हैं. 2001 में हुए इस हत्याकांड में आरोपी बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह ने मुख्तार अंसारी से अपनी जान को खतरा बताया है. उनकी याचिका पर अब इस केस की सुनवाई गाजीपुर के बजाय लखनऊ में होगी.
यूपी में गाजीपुर के बहुचर्चित उसरी चट्टी हत्याकांड केस की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एमपी एमएलए कोर्ट गाजीपुर से एमपी एमएलए कोर्ट लखनऊ के लिए स्थानांतरित कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने मुकदमे में अभियुक्त माफिया बृजेश सिंह और सह अभियुक्त त्रिभुवन सिंह की अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया.
हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि मुकदमे का वादी चर्चित माफिया और अपराधी मुख्तार अंसारी है. गाजीपुर में केस की सुनवाई होने से याची और उसके साथियों की जान का खतरा है. इसके पीछे मुख्तार अंसारी, उसके भाई और भतीजे के दुर्दांत अपराधी होने की वजह बताई गई. कहा गया कि याची के पिता, भाई और भतीजे की पहले ही हत्या हो चुकी है.
याचिका में कहा गया कि मुख्तार अंसारी विधायक होने के साथ गाजीपुर का निवासी है. ऐसे में हर बार केस की सुनवाई के दौरान उसके हजारों समर्थक अदालत आ जाते हैं. इस माहौल में याची को अपनी हत्या किए जाने की आशंका है.
कोर्ट को बताया गया कि पूर्व में यह मुकदमा एमपी एमएलए कोर्ट इलाहाबाद में चल रहा था. लेकिन, बाद में हर जनपद में एमपी एमएलए कोर्ट का गठन होने के बाद केस का ट्रायल गाजीपुर स्थानांतरित कर दिया गया. लेकिन, गाजीपुर में मुकदमे की सुनवाई से याची की जान को खतरा है. इसके मद्देनजर याचिका दायर की गई है.
इस पर कोर्ट ने सभी तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर मुकदमा लखनऊ की एमपी एमएलए कोर्ट स्थानांतरित करने का आदेश दिया. इसके साथ ही जिला जज लखनऊ को मुकदमे की सुनवाई के दौरान सुरक्षा का पूरा प्रबंध कराया जाने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे किसी प्रकार की घटना नहीं होने पाए.
मुख्तार ने बृजेश और त्रिभुवन के खिलाफ दर्ज कराई थी एफआईआर
15 जुलाई 2001 को मुख्तार अंसारी का काफिला मऊ जा रहे था. दोपहर 12.30 बजे उसरी चट्टी पर काफिले पर हमलावरों ने फायरिंग की थी. इसमें मुख्तार अंसारी के सरकारी गनर रामचंदर उर्फ प्रदीप की मौके पर मौत हो गई थी. अन्य दो की भी मौत हुई थी. इस मामले में मुख्तार अंसारी ने बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह को नामजद करते 15 अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था.
यह घटना यूपी की क्राइम हिस्ट्री में उसरी चट्टीकांड नाम से दर्ज हो गई. इसके बाद बृजेश और मुख्तार अंसारी की दुश्मनी और बढ़ गई. बाद में बृजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को चुनाव में हराने वाले भापा नेता और विधायक कृष्णानंद राय से भी नजदीकियां बढ़ाई. वहीं 29 नवंबर 2005 को कृष्णानंद राय की मुख्तार गैंग ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर हत्या कर दी.
इसके बाद से बृजेश सिंह यूपी से फरार हो गया. वर्ष 2008 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम ने उसे उड़ीसा के भुवनेश्वर से गिरफ्तार किया. बृजेश सिंह के वहां अरुण कुमार नाम से रहने की बात सामने आई. वर्ष 2022 में 13 साल बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसे रिहा कर दिया.