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Newborn Care Week: यूपी बना बाल स्वास्थ्य सेवा संबंधी नए अंतर्राष्ट्रीय मानक निर्धारण का केंद्र

यूपी में जन्म के समय ज्यादा गंभीर अवस्था वाले नवजात शिशुओं की देखभाल सुनिश्चित करने के लिए अस्पतालों और मेडिकल कालेज में 98 एसएनसीयू (सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट) क्रियाशील हैं. समुदाय स्तर पर 1 लाख 70 हजार आशा के माध्यम से होम बेस्ड न्यूबॉर्न केयर कार्यक्रम से नवजात देखभाल सुनिश्चित की जा रही है.

लखनऊ: बाल स्वास्थ्य सेवा संबंधी नए अंतर्राष्ट्रीय मानक निर्धारित करने के लिए होने वाले शोध में यूपी को शामिल किया गया है. इस शोध में एक केंद्र कानपुर का जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज है. वहीं दूसरा केंद्र हरियाणा है. इथोपिया से प्रशिक्षण प्राप्त कर लौटे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के बाल स्वस्थ्य महाप्रबंधक डॉ. वेद प्रकाश ने नवजात शिशु देखभाल सप्ताह की पूर्व संध्या पर ये जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस अंतर्राष्ट्रीय शोध में उत्तर प्रदेश का शामिल होना गर्व की बात है.

उन्होंने बताया कि यूपी में 15 नवंबर बुधवार से नवजात शिशु देखभाल सप्ताह शुरू होगा. इस दौरान नवजात शिशु मृत्यु दर कम करने के उद्देश्य से कार्यक्रम होंगे. यह कार्यक्रम 21 नवंबर तक चलेगा. एसआरएस 2020 के आंकड़ों के मुताबिक यूपी की नवजात शिशु मृत्यु दर 28 प्रति 1000 जीवित जन्म है. जबकि राष्ट्रीय नवजात शिशु मृत्यु दर 20 है. उत्तर प्रदेश में लगभग 1,68,000 नवजात की मृत्यु एक माह की आयु पूरी होने से पहले हो जाती है. जो कि पांच वर्ष से कम आयु में शिशु मृत्यु का 65 प्रतिशत से अधिक है.राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक पिंकी जोवल ने जनपदों को निर्देश जारी किया है.

98 सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट बने

यूपी में जन्म के समय ज्यादा गंभीर अवस्था वाले नवजात शिशुओं की देखभाल सुनिश्चित करने के लिए बड़े अस्पतालों और मेडिकल कालेज मे 98 एसएनसीयू (सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट) क्रियाशील हैं. वहीं ब्लॉक स्तर पर एनबीएसयू (न्यूबॉर्न केयर यूनिट) के माध्यम से और समुदाय स्तर पर 1 लाख 70 हजार आशाओं के माध्यम से होम बेस्ड न्यूबॉर्न केयर कार्यक्रम से नवजात देखभाल सुनिश्चित की जा रही है. इसके अलावा ई-कवच के माध्यम से सभी नवजातों के स्वास्थ्य का अनुश्रवण और मंत्रा एप के माध्यम से नवजात पंजीकरण सुनिश्चित किया जा रहा है.

समुदाय को सलाह

नवजात देखभाल सप्ताह में समुदाय को नवजात के जन्म के एक घंटे के अंदर मां का गाढ़ा पीला दूध, छह माह तक केवल स्तनपान और छह माह के बाद ऊपरी आहार देने के लिए जागरूक किया जाएगा. इससे नवजात को कुपोषण से बचाने में मदद मिलेगी. साथ ही कम वजन के नवजात व अधिक जोखिम वाली गर्भवती माताओं की पहचान कर उनके देखभाल के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे. समय से पहले जन्मे नवजात की विशेष देखभाल व सभी शिशुओं का समय से नियमित टीकाकरण करें. इस वर्ष इस दिवस की थीम ‘नवजात जीवन की देखभाल-सामुदायिक एवं स्वास्थ्य इकाई की सहभागिता से’ निर्धारित की गई है.

ये भी करें

  • प्रसव चिकित्सालय में ही कराएं और प्रसव पश्चात 48 घण्टे तक मां एवं शिशु की उचित देखभाल के लिए चिकित्सालय में रुकें

  • नवजात को तुरन्त न नहलाएं, शरीर को पोंछ कर नर्म साफ कपड़े पहनाएं

  • जन्म के एक घण्टे के भीतर मां का गाढ़ा पीला दूध (कोलेस्ट्रम) जरूर पिलाएं

  • कुपोषण और संक्रमण से बचाव के लिए छह माह तक केवल मां का दूध पिलाएं

  • शहद, घुट्टी, पानी इत्यादि बिल्कुल न पिलाएं

  • जन्म के तुरन्त बाद नवजात का वजन लें और विटामिन-के का इन्जेक्शन लगवाएं

  • नवजात शिशु का नियमित और सम्पूर्ण टीकाकरण कराएं

  • नवजात की नाभि सूखी एवं साफ रखे, संक्रमण से बचाएं

  • मां एवं शिशु की व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें

  • कम वजन एवं समय से पूर्व जन्मे शिशुओं का विशेष ध्यान रखें

  • शिशु का तापमान स्थिर रखने के लिए कंगारू मदर केयर (केएमसी) विधि अपनाएं

  • शिशु जितनी बार चाहे दिन अथवा रात में बार-बार स्तनपान कराएं

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