India Donkey News: अक्सर गधों को गधे की तरह देखा जाता है. लेकिन, गधे तो गधे हैं, शांति से अपना काम करते हैं. जितना बोझ लाद दिया, वो कुछ भी नहीं कहते. गधा को हिंदी में वैशाखनंदन कहा जाता है. हम लोग बातचीत में एक-दूसरे को गधा भी कहते हैं. भले ही लोगों को गधा कहा जाए, सच्चाई में गधे मेहनतकश जानवर होते हैं. अभी यूपी में चुनाव की हलचल है. तीसरे चरण के लिए प्रचार जारी है. सोशल मीडिया पर एक रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट वायरल हुआ. इसमें देश में गधों की गिरती संख्या का जिक्र किया गया है. जिस पर सोशल मीडिया यूजर्स चिंता भी जताते दिखे.
पशुधन जनगणना 2019 के अनुसार भारत में कुल गधों की संख्या 1.12 लाख है. भारत के कई राज्यों के साथ ही उत्तर प्रदेश में गधों की संख्या में भारी कमी आई है. एबीपी की रिपोर्ट में सात सालों (2012 से 2019) के आंकड़ों को शामिल किया गया है. इसमें यूपी, गुजरात, राजस्थान को भी शामिल किया गया है.
रिपोर्ट की मानें तो देश के कई राज्यों में गधे की संख्या लगातार कम हो रही है. ट्रैफिक के बढ़ते साधनों और गांव-गांव में सड़कों पर फर्राटा भरते हर तरह की गाड़ियों से इनकी संख्या घट रही है. बदलते दौर में गधों का इस्तेमाल भी घटा है. इस कारण देशभर में गधों की संख्या में रिकॉर्ड गिरावट आई है. मीडिया रिपोर्ट में जिक्र है 2012 से 2019 के बीच गधों की संख्या में 61.23 फीसदी की गिरावट हुई है.
उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां गधों की संख्या में 71.72% गिरावट दर्ज की गई है. प्रदेश में साल 2012 में गधों की संख्या 57 हजार थी. 2019 में गधों की संख्या घटकर 16 हजार हो गई. उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य राजस्थान में गधों की संख्या में 71% की गिरावट आई है. राजस्थान में 2012 में गधों की संख्या 81 हजार थी, जो 2019 में 39 हजार पहुंच गई है. गुजरात में गधों की संख्या 2012 में 39 हजार के मुकाबले 2019 में 11 हजार हो गई. बिहार, महाराष्ट्र में गधों की संख्या में रिकॉर्ड गिरावट हुई है.
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यूपी – 2012 में 57,000 – 2019 में 16,000
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राजस्थान- 2012 में 81,000 – 2019 में 39,000
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गुजरात- 2012 में 39,000 – 2019 में 11,000
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अवैध तरीकों से दूसरे देशों में निर्यात
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कई देशों में गधों की मीट की खपत
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गधों के चमड़े से सामान बनता है