गरीबी हटाने में यूपी के गांवों ने पछाड़ दिए शहर, महाराजगंज, गोंडा और बलरामपुर में घटे सबसे अधिक गरीब

नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 2015-16 और 2019-21 के बीच 3.43 करोड़ लोग गरीबी से उबरने में कामयाब रहे. रिपोर्ट में कई पैरामीटर्स पर यूपी में गरीबों की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है.

By अनुज शर्मा | July 19, 2023 12:16 AM

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गरीबों की आय बढ़ाकर उन्हें गरीबी रेखा से बाहर निकालने के लिए किए जा रहे प्रयासों का सुखद परिणाम सामने आया है. नीति आयोग की रिपोर्ट ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: एक प्रगति समीक्षा 2023’ के अनुसार 2015-16 और 2019-21 के बीच जहां भारत मे रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं तो वहीं उत्तर प्रदेश में गरीबों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई और 3.43 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से उबरने में कामयाब रहे हैं. 36 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और 707 प्रशासनिक जिलों के लिए बहुआयामी गरीबी अनुमान प्रदान करते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे तेज कमी उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई है. बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान जैसे राज्यों का नंबर यूपी के बाद आता है.

शहरों से अधिक गांवों में कम हो रही गरीबों की संख्या

रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में, 2015-16 और 2019-21 के बीच 3,42,72,484 लोग गरीबी से बाहर निकले हैं. परिणामस्वरूप, प्रदेश में गरीबी में रहने वाले लोगों का अनुपात 2015-16 में 37.68% से घटकर 2019-21 में 22.93% हो गया है. उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी का अनुपात 2015-16 में 44.29% से घटकर 2019-21 में 26.35% हो गया, जबकि शहरों में यह 2015-16 के 17.72% से हटकर 2019-21 में 11.57 पर आ गया.

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कई और पैरामीटर्स पर भी रहे सकारात्मक परिणाम

गरीबी के साथ ही यूपी में गरीबों की हेल्थ, एजुकेशन और स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग संबंधित पैरामीटर्स में भी सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं. रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 में न्यूट्रीशन से वंचित गरीबों की संख्या 30.40% थी जो 2019-21 में घटकर 18.45% पर आ गई. इसी तरह, बच्चों और किशोरों की मृत्यु दर में भी सुधार हुआ है. 2015-16 में यह 3.81% थी जो 2019-21 में घटकर 2.20% पर आ गई. मैटरनल हेल्थ में भी काफी सुधार हुआ और 2015-16 के 25.20% से घटकर यह 2019-21 में 15.97% पर आ गई. स्टैण्डर्ड ऑफ लिविंग के तहत 2015-16 में कुकिंग फ्यूल से वंचित गरीबों का प्रतिशत 34.24 था जो 2019-21 में 17.95% रह गया. 2015-16 में 2.09% पीने के पानी से वंचित थे जो आंकड़ा 2019-21 में घटकर 0.93% रह गया.

गरीबी में सर्वाधिक कमी वाले दस जिले

महाराजगंज- 29.64

गोंडा- 29.55

बलरामपुर- 27.90

कौशाम्बी- 25.75

खीरी-25.33

श्रावस्ती- 24.42

जौनपुर-26.65

बस्ती- 23.36

गाजीपुर- 22.83

कुशीनगर- 22.28

चित्रकूट- 21.40

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