Lucknow : उत्तर प्रदेश के मऊ से सदर विधायक रहे माफिया मुख्तार अंसारी पर 61 केस दर्ज हैं. उसके नाम की जयराम की दुनिया में ऐसा खौफ है कि जेल के अंदर रहने के बाद भी दहशत कायम है. मुख्तार अंसारी बीते 18 साल से जेल में बंद है. इसके बावजूद भी उसका नाम अक्सर किसी न किसी वजह से सुर्खियों में रहता है. मुख्तार पर अब तक गाजीपुर, वाराणसी, मऊ और आजमगढ़ के विभिन्न थानों में जेल में रहते हत्या के कई मामले दर्ज हुए हैं.
इस प्रकार करीब 60 साल के मुख्तार अंसारी पर कुल 61 मुकदमे दर्ज हैं. इसमें से सबसे ज्यादा मुकदमे उसके गृह जनपद गाजीपुर में दर्ज हैं. जनवरी में 61वां मुकदमा उसके गृह जिले के मुहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र में उसरी चट्टी हत्याकांड में दर्ज हुआ था.
दरअसल 90 के दशक में अपराधी, अफ़ीम और आईएएस अफसर एक साथ पैदा करने वाला गाजीपुर हमेशा से पूर्वांचल के गैंगवार की धुरी रहा है. उसी दौरान मुख्तार अंसारी, बृजेश सिंह समेत अन्य अपराधियों के नाम गाजीपुर और आस-पास के जनपदों में फैलने लगे. इस दौरान कई गैंग बने. इनकी आपस में रंजिश भी हुई. वहीं अपराध की दुनिया में बड़ा नाम होने पर मुख्तार अंसारी ने सियासत में कदम रखे और 1996 में पहली बार बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़कर जीत हासिल की.
इसके बाद 2017 तक लगातार मऊ सदर विधानसभा की सीट पर पांच बार विरोधियों को शिकस्त दी. इनमें से आख़िरी तीन चुनाव उसने देश की अलग-अलग जेलों में बंद रहते हुए लड़े. इस दौरान उसने निर्दलीय और बाद में खुद की पार्टी कौमी एकता दल से विधायक रहा. वर्ष 2022 में उसने सियासत से दूरी बनाते हुए अपने बेटे अब्बास अंसारी को इसमें उतारा और उसने भी जीत दर्ज की. हालांकि पिता मुख्तार की तरह विधायक बेटा अब्बास अंसारी भी इस समय जेल की सलाखों के पीछे है.
गाज़ीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर 17 साल से काबिज अंसारी परिवार से 2002 के विधानसभा के चुनाव में बीजेपी के कृष्णानंद राय ने छीन ली. लेकिन वे विधायक के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके, तीन साल बाद उनकी हत्या कर दी गई. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वे एक कार्यक्रम का उद्घाटन करके लौट रहे थे कि तभी उनकी बुलेट प्रूफ टाटा सूमो गाड़ी को चारों तरफ से घेर कर अंधाधुंध फायरिंग की गई.
जिसमें कृष्णानंद के साथ कुल 6 और लोग गाड़ी में थे. एके-47 से तकरीबन 500 गोलियां चलाई गईं, सभी सातों लोग मारे गए. कृष्णानंद हत्याकांड के वक्त में जेल में बंद होने के बावजूद मुख्तार अंसारी को इस हत्याकांड में नामजद किया गया.
माफिया मुख्तार के परिवार की गिनती गाजीपुर में बड़े सियासी घराने के रूप में होती थी. मुख्तार से पहले उसके परिवार में आपराधिक पृष्ठभूमि का कोई नहीं था. मुख्तार के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. वहीं मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र से नवाजा गया था.
लेकिन उनकी विरासत को आगे बढ़ाने के बजाय मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया में शोहरत हासिल करना ज्यादा बेहतर समझा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गाजीपुर में साफ-सुथरी छवि रखने वाले और कम्युनिस्ट बैकग्राउंड से आने वाले मुख्तार के पिता सुभानउल्ला अंसारी स्थानीय राजनीति में सक्रिय थे. भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख्तार अंसारी के चाचा हैं.
मुख्तार अंसारी ने जेल के अंदर रहते हुए भी अपराध की दुनिया में गुर्गों के जरिए कई वारदातों को अंजाम दिया. वहीं 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद उस पर शिकंजा कसना शुरू हुआ. मुख्तार अंसारी को पंजाब जेल से यूपी लाने के बाद बांदा कारागार में रखा गया है. वहीं मऊ, गाजीपुर और लखनऊ में लगभग कई सौ करोड़ रुपये की उसकी संपत्ति जब्त और ध्वस्त की जा चुकी है.
उसके दर्जनों गुर्गों को सख्त कानून के तहत जेल में डाला गया है. मुख्तार के बेटों समेत परिवार के दूसरे लोगों पर भी गम्भीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हुए हैं. एक दौर था जब तीन-चार साल पहले तक मुख्तार लखनऊ जेल में बन्द था, लेकिन बीमारी के नाम पर उसका दरबार किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में लगता था. लेकिन ये सब अब बीते दौर की बाते हो गई है.