World Asthma Day 2023: ‘विश्व अस्थमा दिवस 2023′ हर साल 2 मई को मनाया जाता है. आज यानी मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस है. आज के दिन लोगों को अस्थमा रोग के प्रति जागरूक किया जाता है. अस्थमा सांस और फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है. डॉक्टरों की माने तो सही समय पर मरीज को इलाज ना मिलने पर उसकी जान भी चली जाती है. यह रोग बच्चों से लेकर बुजुर्गों में सबसे ज्यादा देखने को मिला है. आइए जानते हैं विश्व अस्थमा दिवस का इतिहास, थीम, अस्थमा का लक्ष्ण.
विश्व अस्थमा दिवस 2023 हर साल आज ही के दिन 2 मई को मनाया जाता है. इस दिनों लोगों को अस्थमा के प्रति जगरुक किया जाता है. हर साल अस्थमा से भारत में एक लाख 98 हजार से अधिक लोगों की मौत होती है. जबकि पूरी दुनिया में चार लाख 61 हजार लोगों की मौत होती है. विश्व अस्थमा दिवस ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (GINA) आयोजित करता है. सबसे पहले विश्व अस्थमा दिवस 1998 में बार्सिलोना, स्पेन में मनाया गया था.
इस साल 2023 में विश्व अस्थमा दिवस की थीम ‘अस्थमा केयर फॉर ऑल’ है. इस थीम के जरिए अस्थमा के प्रति जागरूकता किया जाएगा.
विश्व अस्थमा दिवस पर आगरा एसएन मेडिकल कॉलेज की टीवी एवं चेस्ट डिपार्टमेंट के डॉक्टर गजेंद्र विक्रम सिंह ने अस्थमा से जुड़ी समस्याओं और उपचार के बारे में बताया, उन्होंने कहा कि अस्थमा को आम भाषा में दमा भी कहा जाता है. यह फेफड़ों को प्रभावित करने वाली एक ऐसी बीमारी है जो अगर किसी व्यक्ति को हो जाए तो जिंदगी भर बनी रहती है.
डॉक्टर गजेंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार विश्व में अस्थमा के लगभग 26.2 करोड रोगी हैं. ग्लोबल बर्डन ऑफ़ डिसीसेस स्टडी 2019 के अनुसार भारत में लगभग 3.4 करोड व्यक्ति अस्थमा से पीड़ित हैं. इस प्रकार दुनिया के 13% रोगी भारत में मौजूद हैं. वही देश के विभिन्न शहरों में किए गए शोध में 5 से 18% तक बच्चे इस लाइलाज रोग से पीड़ित मिले हैं और आगरा के लगभग 7 फीसद बच्चों में यह रोग पाया गया है. हर साल ढाई लाख लोगों की मौत इस बीमारी के कारण हो जाती हैं. अस्थमा में श्वसन मार्ग में सूजन के कारण श्वास नली सिकुड़ जाती है. इससे रोगी को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है और इसे ही अस्थमा कहते हैं.
अस्थमा होने वाले लोगों को मौसम में बदलाव के समय कभी-कभी लक्षण महसूस होते हैं. जबकि अन्य लोगों को लगातार लक्षणों का सामना करना पड़ता है. अधिकांश रोगियों को दिक्कत देर रात या सुबह में ही होती है. जबकि अन्य लोगों को कोई खास गतिविधि करते समय अस्थमा के लक्षण महसूस होते हैं.
घरघराहट होना अस्थमा का प्रमुख लक्षण माना जाता है जिसमें मरीज जब सांस लेता है तो सीटी जैसी आवाज आने लगती है. और इसके अलावा सांस फूलना, हंसने या व्यायाम करने के दौरान खांसी आना, सीने में जकड़न व दर्द, बार-बार गला साफ करने का मन करना, अत्यधिक थकान महसूस करना यह सब अस्थमा के लक्षण हैं.
डॉक्टर गजेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि एलर्जी होने से अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है. करीब 80 फीसद मामलों में अस्थमा एलर्जिक होता है लोगों की कुछ चीजों से एलर्जी अस्थमा का कारण बन जाती है. एलर्जी में धूल, परागकण, फफूंदी और पालतू जानवरों की रूसी जैसी चीजें शामिल है.
डॉक्टर ने बताया कि अस्थमा को कभी भी ठीक नहीं किया जा सकता. हां लेकिन कुछ उपाय जरूर है जिनसे इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है. आमतौर पर इन्हेल्ड स्ट्रॉयड और अन्य एंटी इम्फ्लमेंटरी दवाएं अस्थमा के लिए अत्यंत प्रभावी दवाएं हैं. इनहेलर्स से दवा सीधे फेफड़ों में पहुंचती है और अत्यंत कम दवा की मात्रा की जरूरत पड़ती है. इसीलिए अस्थमा के उपचार के लिए इनहेलेशन थेरेपी को सबसे सुरक्षित असरदार और बेहतरीन माना गया है.
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अस्थमा से बचाव के लिए मरीज को बारिश, सर्दी, धूल भरी आंधी, ज्यादा गर्म और नम वातावरण से बचना चाहिए. इस तरह के वातावरण में फफूंदी के फैलने की संभावना बढ़ जाती है. धूल मिट्टी और प्रदूषण से बचें घर से बाहर निकलने पर मास्क को साथ रखें और धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों से दूर रहें.