लखनऊ: विश्व श्रवण दिवस (World Hearing Day 2023) प्रत्येक वर्ष 3 मार्च को मनाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस वर्ष की थीम दी है-‘सभी के लिए कान और सुनने की देखभाल.’ World Hearing Day के मौके पर डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ के ईएनटी और पीएमआर विभाग ने नि:शुल्क श्रवण (कान) जांच एवं रोगी जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया है. 12 वर्ष की आयु तक जिन बच्चों को सुनने में कठिनाई होती है, वे ईएनटी ओपीडी में जाकर अपनी सुनने की क्षमता की जांच करा सकते हैं. बहरेपन के सुधार के लिए विभिन्न निवारक और चिकित्सीय उपायों के बारे में भी सलाह दी जाएगी.
ईएनटी विशेषज्ञों के अनुसार शोर का की सेहत का दुश्मन है. ये शोर कैसा भी हो सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकता है. 90 डेसिबल से ऊपर की ध्वनि को शोर माना जाता है. डॉक्टरों की सलाह है कि इससे अधिक शोर वाली जगहों पर नहीं रहना चाहिए. यदि आप ऐसी जगह हैं जहां 90 डेसिबल से ज्यादा शोर है तो ईयर प्लग या ईयर प्रोटेक्टर इस्तेमाल करना चाहिए.
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पटाखे- 140 से 150 डेसिबल- इससे कान के पर्दे पर असर, सिर दर्द
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कान के पास चिल्लाना- 110 डेसिबल-कान में दर्द
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तेज आवाज संगीत सुनना- 105 से 110 डेसिबल, 10 मिनट में सिर व कान में दर्द
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सायरन-120 डेसिबल, कान और सिर में दर्द
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हॉर्न – 100 डेसिबल, सिर दर्द, 15 मिनट में सुनाई देने पर असर
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मोटर साइकिल-95 डेसिबल, 20 मिनट के बाद सिर व कान दर्द
सिविल अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. पंकज श्रीवास्तव बताते हैं कि लगातार ईयरफोन पर गाने सुनने से भी कान को नुकसान पहुंचता है. 50 मिनट से अधिक ईयरफोन पहनना घातक हो सकता है. इसके साथ ही वॉल्यूम को 60 फीसदी ही रखना चाहिए, इससे ऊपर कान के पर्दे को नुकसान पहुंच सकता है. अधिक ईयरफोन का इस्तेमाल कान में वैक्स की सामान्य प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाता है. ईयरफोन की जगह हेडफोन को ज्यादा बेहतर माना जाता है.
विशेषज्ञों के अनुसार कान में वैक्स (सामान्य भाषा में मैल) संक्रमण से बचाने का काम करता है. इसलिये कान को ज्यादा कुरेदना नहीं चाहिये. वैक्स के कारण बाहर की धूल व अन्य महीन कण में कान के अंदर नहीं जा पाते हैं. ईयर बड्स या अन्य चीजें कान के वैक्स को अंदर धकेल देती हैं. इसलिये ईयर बड्स को कान में नहीं डालना चाहिए. किसी भी तरह की समस्या होने पर ईएनटी विशेषज्ञ से मिलना चाहिए.