World Tourism Day 2023 Special: उत्तर प्रदेश के पर्यटन में जितनी विविधता है, उतनी कहीं नहीं, यहां का हर क्षेत्र अपने अन्दर एक विशेषता समाये हुए है. और जब बात ईको टूरिज्म की हो तो यूपी के कहने की क्या, एक से एक दुलर्भ वन्य जीव आपकों यहां आसानी से वन क्षेत्रों में चहलकदमी करते दिख जायेंगे.नदी के खूबसूरत किनारों से लेकर अनदेखे पंछियों का समूह और प्रकृति के अद्भुत खजाने के विहंगम दृश्य. ये सब यूपी के ईको टूरिज्म का हिस्सा है.और जब बात पीलीभीत के चूका की हो तो इन सबका आनंद और भी कई गुना बढ़ जाता है. चूका बीच में सैलानियों के आने का इंतजार खत्म होने वाला है. 15 नवंबर से सैलानी यहां की खूबसूरती का आनंद ले सकेंगे.
रुहेलखंड के तराई में बसे पीलीभीत का स्वरूप बेहद मनोहर है.यहां मैदानों की आधुनिकता भी है और पहाड़ के जैसे मौसम की कशिश भी.और जब बात नैसर्गिक मनोरम दृश्य के रुप में मशहूर चूका की हो तो कहने ही क्या. अपनी खूबसूरती की बदौलत चूका सैलानियों के बीच मिनी गोवा के नाम से भी प्रसिद्ध है.टाइगर रिजर्व में महोफ रेंज के जंगल में स्थित चूका में प्रकृति ने दिल खोलकर अपनी दौलत लुटायी है.यहां का जर्रा-जर्रा अपने अन्दर इतनी खूबसूरती संजोये है, कि पर्यटक इस माहौल में आकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.
राजधानी लखनऊ से सीतापुर, शाहजहांपुर, बरेली और पीलभीत से चूका पहुंचा जा सकता है, वहीं नई दिल्ली से पर्यटक मुरादाबाद, बरेली और पीलीभीत आकर चूका पहुंच सकते हैं. हवाई मार्ग की बात करें तो लखनऊ एयरपोर्ट इसके सबसे करीब है. पीलीभीत मुख्यालय से 37 किलोमीटर स्थित पर्यटन स्थल चूका बीच का मुख्य प्रवेश द्वार मुस्तफाबाद गेस्ट है. यहां से सैलानी अपने वाहन को खड़ा कर जंगल के वाहन से घूमते हैं.
सैलानी 15 नवंबर से 15 जून के दौरान यहां घूमने आ सकते हैं. वन विभाग की ओर से 26 जंगल सफारी वाहनों की व्यवस्था की गई है. एक वाहन से अधिकतम छह लोग भ्रमण पर जा सकते हैं. वाहन का खर्च 3300 रुपए प्रवेश काउंटर पर जमा करना पड़ता है. इसके बाद सैलानी चूका बीच के अलावा जंगल के पांच अन्य स्थलों को निहारते हैं .जंगल की सैर करने के लिए दिन में दो समय निर्धारित किए गए हैं, जिसमें सुबह छह बजे से तीन घंटे का समय होता है. शाम को तीन बजे से छह बजे तक भ्रमण का समय है। जंगल में बाघों की दुनिया भी निराली है। जंगल में चहलकदमी करते बाघ सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं.
Also Read: Aaj Ka Rashifal 27 सितंबर 2023: मेष, वृषभ, मिथुन, धनु और मकर राशि वालों का बेहतर गुजरेगा दिन, आज का राशिफलवास्तव में चूका उत्तर प्रदेश के ईको टूरिज्म के प्रमुख स्थानों में सबसे शानदार नगीने की तरह है. इसका रमणीय स्थल 14 किलोमीटर तक जंगल में फैला हुआ है.यहां विलुप्त प्रजाति के वन्य जीव जंतुओं की आमद तो है ही प्रकृति की आबो-हवा भी सुहानी है.यहां 22 किलोमीटर लंबा और तीन से पांच किलोमीटर चौड़ा शारदा सागर बांध भी है, जहां बनबसा बैराज से सीधे पानी आता है.इसका अथाह जल प्रवाह समंदर की लहरों का एहसास कराता है.किनारे घूमने पर समुद्र के किनारे बीच पर चहलकदमी करने जैसा अनुभव होता है.इसीलिए इसे मिनी गोवा भी पुकारा जाता है.वहीं शारदा सागर से तीन नदियां और तीन नहरें निकली हैं.इनके चलते यह इलाका काफी मनोरम नजर आता है.
ईको टूरिज्म स्पॉट चूका बीच आज अपनी सुन्दरता के कारण सैलानियों की पहली पसन्द बना हुआ है.साल के ऊंचे एवं मोटे वृक्ष इस इलाके को बेहद घना बना देते हैं.शारदा सागर जलाशय के किनारे-किनारे प्राकृतिक बैरियर से घिरे होने के कारण यहां मानव हस्तक्षेप नगण्य है.अपनी प्राकृतिक माहौल के कारण पीलीभीत ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में चूका जैसा रमणीक स्थल उपलब्ध नहीं है. यहां के जंगल में लुप्त प्रजाति के वन्य जीवों की भरमार है.इनमें सबसे अहम बाघ है, जिसका यह पसन्दीदा क्षेत्र है.रात के समय आम तौर पर बाघ की गर्जना भी सुनाई देती है.इसके अलावा यहां बारासिंहा या स्वैम्प डियर, चीतल या स्पौटेड डियर, सांभर, पाढ़ा यानी हॉग डियर और काकड़ यानी बार्किंग डियर अठखेलियां करते देखे जा सकते हैं.
यहां का मदमस्त माहौल उन्हें बेहद रास आता है.वहीं विभिन्न प्रकार की चिड़ियां की बदौलत चूका में रौनक छायी रहती है.इसके साथ ही यह इलाका बंगाल फ्लोरिकन, जंगली सुअर, लंगूर, जंगली मुर्गी, मोर, नीलगाय, भालू, नीलगाय और गिद्ध सहित अन्य वन्य जीवों से गुलजार रहता है. इसी तरह चूका की सैर करते वक्त सैलानियों सामना नाइट जार से भी हो जाता है.नाइट जार यानी एक तरह का उल्लू. घने अंधेरे में इसकी आंखे ऐसी चमकती है कि काफी दूर से ही दिखाई देती हैं और जब पर्यटक इसके पास पहुंचते हैं तो यह उनकी नजरों से ओझल हो जाता है.पर्यटकों के साथ इस तरह खेलना इसकी आदत में शुमार है.
सागौन, साल, असना, अर्जुन, कचनार, कंजू, हर्र बहेडा, कुसुम, सिरस, हल्दू, खैर, गूलर, ढाक, सेमल, शीशम के वृक्षों से घिरे इस घने जंगल के बीच से निकलती सड़क से होते हुए जब चूका के प्राकृतिक माहौल में पर्यटक दाखिल होते हैं, तो जैसे-जैसे शहरी कोलाहल, प्रदूषण और तनाव की जिन्दगी दूर होती जाती है, उन्हें मन को शांति प्रदान करने वाले माहौल का सुखद एहसास होता है. कहीं उदय होते सूरज का नजारा उनकी यादों में हमेशा के लिए जगह बना लेता है तो कहीं पानी में नजर आती सूरज की किरणें दिल को मोह लेती हैं.सुबह के वक्त ऊंचे-ऊंचे पेड़ों से छनकर धूप जब नीचे पहुंचती है तो उसकी किरणें भी सतरंगी हो जाती हैं.
चूका आने वाले पर्यटक यहां सुविधाजनक तरीके से वन्य जीवों का दीदार कर सकें और उन्हें रहने के लिए बेहतर प्राकृतिक माहौल मिले, इसके लिए प्रदेश सरकार ने खास इंतजाम किए हैं. जगह-जगह वॉच टावर लगाये गये हैं, जिनसे सैलानी यहां की सुन्दरता का नजारा देख सकें. वहीं प्रकृति विथिका में यहां के वन्य जीवों, पक्षियों और जड़ी बूटी के चित्रों का संग्रह है. इसके साथ ही चूका बीच पर ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए अरण्य विहार, नेचर इंटरप्रिटेशन सेंटर, 25 फीट ऊंचे पेड़ों पर बनाए गए ट्री-हट, बैम्बू हट और वॉटर हट का निर्माण कराया गया है.सैलानियों की आमद से ये हमेशा गुलजार रहते हैं. और पर्यटक इनकी तारीफ करना नहीं भूलते.
वहीं ऑनलाइन बुकिंग सुविधा शुरू होने से अब सैलानी अपने आगमन के दौरान रुकने की व्यवस्था को लेकर पहले से ही निश्चिंत हो जाते हैं. इससे वह अपनी सुविधा के अनुरूप अग्रिम बुकिंग कराते हुए अरण्य विहार, ट्री हट, बैम्बू हट या वॉटर हट का चयन कर लेते हैं. पर्यटकों की सुविधा के मद्देनजर सोलर लाइट और उच्च क्षमता के जनरेटर की भी व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर चूका बीच में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने की विशेष पहल की जा रही है.प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से चूका बीच में बनी हट और उनकी विशेषताओं की वीडियोग्राफी भी करायी गयी है.
दरअसल एक ओर बेहद खूबसूरत जंगल तो दूसरी ओर दूर-दूर तक हिलौरे मारता हुआ शारदा डैम का पानी, पहली ही नजर में पर्यटकों का मन मोह लेता है.यहां देशी पक्षियों के साथ साइबेरियन पक्षी भी अपना बसेरा करते हैं. मुंबई और दिल्ली से आयी टीम यहां पानी में तैरने वाला हट का सर्वे भी कर चुकी है. इस तरह चूका ईको टूरिज्म स्पट्स स्थल के पूरे नेटवर्क पर नजर डालें तो इसमें चूका स्पाट-वन क्षेत्र, लग्गा-भग्गा-वन क्षेत्र, वाइफरकेशन-नहरों का नेटवर्क, नेचर ट्रेल-वनक्षेत्र अन्तर्गत जैव विविधता.शारदा सागर-मछलियों एवं विभिन्न प्रकार के रंग बिरंगी पक्षी, वनक्षेत्र से लगा हुआ जलाशय का तट, शारदा नदी का विहंगम दृश्य, गोमती नदी का उद्गम स्थल-फूलहर झील, पसगंवा पक्षी जलाशय, तराई क्षेत्र में जैव विविधता, वनक्षेत्र के आस पास बंगाली तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विविधता समाये हुए है.
चूका की इन्हीं विशेषताओं को देखते हुए शासन स्तर पर बनाए गए टूरिज्म कैलेंडर में भी पीलीभीत टाइगर रिजर्व के ईको पर्यटन केंद्र चूका बीच को जगह दी गई है.टूरिज्म कैलेंडर में चूका बीच के पिकनिक स्पॉट को यह कहकर दर्शाया गया है कि यहां पर सैर करने से मन को सुकून और शांति मिलती है.यहां के जंगल में देशी-विदेशी टूरिस्ट सैर कर प्राकृतिक सुंदरता का आनंद उठाते नजर आते हैं.प्रदेश सरकार अब इसे टूरिज्म कैलेंडर में जगह देकर और भी लोकप्रिय बनाना चाहती है.इसलिए विभिन्न स्तरों पर काम किया जा रहा है.
दरअसल विख्यात पर्यटन स्थल चूका को प्रदेश के ईको टूरिज्म सर्किट में शामिल किया गया है. प्रदेश में कुल 38 ऐसी जगहें चिह्नित की गई हैं, इसमें चूका भी शामिल है. मुख्यमंत्री ने चूका पर विशेष ध्यान देने का ऐलान किया. उनके निर्देश के बाद यहां के लिए योजना भी तैयार की गई. इसी कड़ी में ईको पर्यटन केंद्र चूका को देश और प्रदेश की राजधानी सहित बड़े शहरों से बेहतर तरीके से जोड़ने का काम किया गया. दरअसल कुछ वर्ष पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं चूका का दौरा कर चुके हैं. यहां के खूबसूरत नजारों ने उनका भी मन मोह लिया था. उन्होंने चूका को यूपी के ईको टूरिज्म का प्रमुख केन्द्र बनाने का निर्णय किया. मुख्यमंत्री ने कहा है कि कुदरत ने जो चीजें हमें दी हैं, उन्हें सहेज कर रखें और उसमें व्यवधान न करें.
चूका बीच आने वाले सैलानियों के लिए ठहरने की भी बेहतर व्यवस्था है. इसमें चूका बीच में बनी वाटर, ट्री, बैंबो और थारू हट बुक कर सकते हैं. वन निगम ऑनलाइन वेवसाइट www.uptourism.gov.in पर जाकर बुकिंग कर सकते हैं. इसके बाद चूका घूमने आने वाले लोगों को रुकने में दिक्कत नहीं हो और वहां पर घूमने पर सभी जानकारियां मिल सकें, इसके लिए नई और प्रभावी व्यवस्था की गई. अपनी इन तमाम खूभियों के कारण चूका बच्चों से लेकर युवाओं और बुजुर्गों तक को मुग्ध करने में सक्षम है. एक ही स्थान पर विशाल जलाशय, सघन वन और ऊंची पर्वत श्रृंखला के बीच दुलर्भ वन्य जीवों का जमावड़ा चूका को बेहद खास बनाता है.