उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने ट्रांसजेंडर्स को बड़ा तोहफा दिया है. सरकार ने 2006 के यूपी राजस्व संहिता में संशोधन को मंजूरी दे दी है. इसके मुताबिक नये नियम के तहत अब ट्रांसजेंडर्स उत्तर प्रदेश में अपनी पैतृक कृषि पर खेती करने का अधिकार होगा.
राजस्व विभाग के अधिकारी ने के मुताबिक कैबिनेट ने इस सप्ताह की शुरूआत में ही यूपी राजस्व संहिता 2006 में संशोधन कर तीसरे लिंग को नामकरण में शामिल करने के लिए मंजूरी दे दी. जबकि पहले यह बेटा, बेटी विवाहित, अविवाहित और विधवा तक ही सीमित था. पर अब नये संशोधन के विधायिका के पास होते ही यह कानून बन जाएगा. उन्होंने कहा कि विधेयक को आज विधानसभा में पेश किए जाने की संभावना है.
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राजस्व विभाग के अधिकारी के अनुसार मार्च 2019 में ही राज्य कानून आयोग ने सरकार के समक्ष ट्रांसजेंडर्स को पैतृक संपति में अधिकार देने का प्रस्ताव रखा था. राज्य कानून आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल ने राज्य सरकार इस ओर ध्यान देने के लिए कहा था ताकि ट्रांसजेंडर्स को अधिकार मिल सके.
यूपी राजस्व संहिता संशोधन के बाद ट्रांसजेंडर्स अपने पिता की संपत्ति के उत्तराधिकारी हो सकतें और उसपर उनका अधिकार रहेगा. राजस्व विभाग ने कहा कि यूपी राजस्व संहिता (संशोधन) अधिनियम, 2020 की धारा 4 (10), 108 (2), 109 और 110 में संशोधन किए गए हैं. इस कानून के बन जाने के बाद ट्रांसजेंडर्स भी अपने पैतृक संपत्ति पाने के हकदार होंगे. इससे ना केवल ट्रांसजेंडर्स को सामाजिक अस्थिरता से बचाया जा सकेगा, बल्कि उन्हें समाज में समान अधिकार मिलेगा.
उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन बृहस्पतिवार को सदन का नजारा बदला बदला था. कोविड-19 महामारी के चलते सदस्यों ने एकदूसरे से दूरी बनाये रखने के नियम का पूरी तरह पालन किया और दर्शक दीर्घा में भी उनके बैठने का इंतजाम किया गया. इस दौरान मीडियाकर्मियों को दूर रखा गया. विधानसभा में एक सीट पर एक ही विधायक को बैठाया गया था. कुछ के बैठने की व्यवस्था दर्शक दीर्घा में थी. ये सब कुछ कोविड-19 के चलते एकदूसरे से दूरी बनाये रखने का नियम सुनिश्चित करने के मकसद से किया गया था.
Posted By: Pawan Singh