लखनऊ. यूपी के शहरों में अब लोगों की आवासीय जरूरतों का सर्वे करने के बाद ही मकान बनाए जाएंगे. योगी सरकार ने इसके लिए प्राधिकरणों से साल की कार्ययोजना मांगी है. विकास प्राधिकरणों को कार्ययोजना तैयार करते हुए शासन को उपलब्ध कराना होगा. आवास विभाग ने प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरणों को इस संबंध में निर्देश भेज दिया है. सरकार ने यह निर्णय इसलिए लिया है कि बने हुए मकानों को हाथों-हाथ बेचा जा सकें. इसके साथ ही मकानों को खंडहर होने से भी बचाया जा सकें. आवास विकास अब ऐसा मकाना बनाना चाहता है जो भविष्य में लोगों को महंगा न लेना पड़े.
लोगों का कहना है कि मौजूदा समय विकास प्राधिकरण अपने हिसाब से आवासीय योजनाएं ले आती हैं, जिसके चलते वे बिकते नहीं हैं और धीरे-धीरे खंडहर हो जाते हैं. शासन स्तर पर उच्चाधिकारियों की एक बैठक में इन बिंदुओं पर चर्चा की. बताया जा रहा है कि सभी अधिकारियों ने निर्णय लिया कि अब बिना कार्ययोजना तैयार किए मकान नहीं बनाए जाएं. मकान लोगों की जरूरत के हिसाब से बनाएं जाएं. इसके लिए सर्वे के आधार पर मकान बनाने की अनिवार्यता की जा रही है.
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विकास प्राधिकरणों को निर्देश दिया गया कि वे हर एक साल की कार्ययोजना तैयार करेंगे. इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान कब तक तैयार हो जाएंगे, बिजनेस रिफार्म एक्शन प्लान, भूमि अर्जन, भूमि जुटाव कैसे करेंगे, निवेश मित्र में होने वाले काम कैसे करेंगे, जमीन खरीदने के लिए पैसे न होने की जानकारी शासन को देंगे. इसके लिए विकास प्राधिकरणों की डिजिटल डायरी तैयार की जाएगी, जिसमें सभी जानकारियों होंगी.