योगी सरकार ने एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट के लिए हाई लेवल कमेटी की गठित, राज्य विधि आयोग को सौंपेगी रिपोर्ट
तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी अधिवक्ता संरक्षण विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करेगी और आवश्यक एवं उचित कार्रवाई के लिए राज्य विधि आयोग को अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी. इस समिति में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष द्वारा नामित सदस्य शामिल होंगे.
UP Govt, Advocate Protection Act: योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश में वकीलों की हड़ताल के बीच एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट (Advocate Protection Act) के लिए तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी (3 member high-level committee) का गठन किया है.
राज्य विधि आयोग को अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी कमेटी
यह समिति अधिवक्ता संरक्षण विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करेगी और आवश्यक एवं उचित कार्रवाई के लिए राज्य विधि आयोग को अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी. इस समिति में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष द्वारा नामित सदस्य शामिल होंगे.
30 अगस्त से शुरू हुई वकीलों की हड़ताल
इस कमेटी को हापुड़ मामले के बाद बनाए जाने का फैसला किया गया है. प्रदेश में वकीलों ने 29 अगस्त को हापुड़ में अधिवक्ताओं पर हुए पुलिस लाठीचार्ज के खिलाफ 30 अगस्त से हड़ताल का ऐलान किया. हापुड़ जनपदों में पिछले महीने वकीलों पर हुए कथित लाठीचार्ज के विरोध में लखनऊ, गाजियाबाद और हापुड़ सहित कुछ अन्य जिलों में वकील मंगलवार को भी न्यायिक कार्य से अलग रहे. उत्तर प्रदेश बार काउंसिल द्वारा 14 सितंबर को लखनऊ में मुख्य सचिव से वार्ता के बाद हड़ताल वापस लिये जाने के बावजूद वकीलों की हड़ताल जारी है. बार काउंसिल के फैसले के बाद जहां लखनऊ बार एसोसिएशन अपनी हड़ताल जारी रखे हुए है, वहीं गाजियाबाद के वकील भी सोमवार से हड़ताल में शामिल हो गए.
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संतोषजनक कार्रवाई नहीं होने का आरोप
लखनऊ बार एसोसिएशन के महासचिव कुलदीप नारायण मिश्रा ने बताया कि लखनऊ बार एसोसिएशन की आम सभा की बैठक हुई, जिसमें वकीलों ने 21 सितंबर तक न्यायिक कार्य से अलग रहने और उसी दिन अपनी भविष्य की रणनीति तय करने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि हापुड़ लाठीचार्ज में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं की गई है और इसे लेकर वकीलों में आक्रोश है.
दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग
इसी तरह गाजियाबाद में भी वकील न्यायिक कार्य से अलग रहे और अपने चैंबर बंद रखे. हड़ताल के दूसरे दिन मंगलवार को गाजियाबाद अदालत में सभी चेंबर और यहां तक कि चाय और फोटो कॉपी की दुकानें भी बंद रहीं. गाजियाबाद से हापुड़ रवाना होने से पहले जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश त्यागी ने कहा कि जब तक हापुड़ के वकीलों को न्याय नहीं मिलेगा, तब तक सभी अधिवक्ता प्रतिदिन हापुड़ जाकर धरने में शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि जब तक दोषी अधिकारियों को सजा नहीं मिल जाती, तब तक हड़ताल खत्म नहीं की जाएगी. दूसरी ओर, अधिवक्ताओं की एक अन्य समूह के पूर्व अध्यक्ष नाहर सिंह यादव ने भी सरकार द्वारा हापुड़ में वकीलों पर दर्ज मामले खारिज नहीं होने तक जिला कोर्ट बार एसोसिएशन की हड़ताल को अपना समर्थन दिया है.
अपर पुलिस अधीक्षक सहित तीन अधिकारियों को हटाया
उत्तर प्रदेश बार काउंसिल द्वारा 14 सितंबर की रात को वकीलों की प्रदेश व्यापी हड़ताल वापस लिए जाने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने 15 सितंबर को हापुड़ के अपर पुलिस अधीक्षक सहित तीन अधिकारियों को हटा दिया था. हापुड़ के पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा ने कहा कि अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) मुकेश चंद्र वर्मा, क्षेत्राधिकारी (शहर) अशोक कुमार सिसोदिया और हापुड नगर के थाना प्रभारी सतेंद्र प्रकाश सिंह को सरकार के निर्देश पर जिले से बाहर स्थानांतरित कर दिया गया है.
जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के तबादले की मांग
इस बीच हापुड़ में मंगलवार को वकीलों की हड़ताल जारी रही. वकील जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के तबादले तथा दोषी अधिकारियों के निलंबन की मांग कर रहे हैं. हापुड़ बार एसोसिएशन के सचिव नरेंद्र शर्मा ने कहा कि जिलाधिकारी प्रेरणा शर्मा, पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा और वकीलों पर लाठीचार्ज के दोषी अन्य अधिकारियों के निलंबन के तक वे अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखेंगे.
बुधवार से काम होगा शुरू
दीवानी अदालत अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष मनोज पांडेय ने बताया कि गोरखपुर में वकीलों ने भी हड़ताल जारी रखी. वकील बुधवार से अपना काम फिर से शुरू करेंगे. गोरखपुर में वकील 30 अगस्त से हड़ताल पर हैं. उन्होंने अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम की अपनी मांग जारी रखने का भी निर्णय किया. इसके लिए हर शनिवार को विरोध प्रदर्शन होगा. वकीलों की हड़ताल 29 अगस्त को हापुड़ में एक महिला वकील और उसके पिता के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा उन पर लाठीचार्ज किए जाने के बाद शुरू हुई थी.
एसआईटी की अंतरिम रिपोर्ट में वकीलों को लगी चोटों का जिक्र नहीं
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को हापुड़ जिले में वकीलों पर पुलिस लाठीचार्ज की जांच के संबंध में राज्य द्वारा गठित विशेष जांच दल द्वारा सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत प्रारंभिक रिपोर्ट पर असंतोष व्यक्त किया. मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी की पीठ ने विशेष रूप से कहा कि घटना में वकीलों को लगी चोटों का कोई उल्लेख नहीं किया गया था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी
इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि जांच रिपोर्ट में किसी भी पीड़ित वकील के बयान का कोई उल्लेख नहीं किया गया है. कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट में केवल यह बताया गया है कि उस इलाके में वकील और भीड़ नियंत्रण से बाहर थी, इसलिए लाठीचार्ज किया गया। हालांकि, किसी वकील के हथियारबंद होने का कोई जिक्र नहीं था. कोर्ट को बताया गया कि जांच अब हापुड़ से मेरठ स्थानांतरित कर दी गई है. हालांकि, हापुड़ बार एसोसिएशन की ओर से पेश वकील ने अदालत को सूचित किया कि दोषी अधिकारी को हापुड़ से मेरठ स्थानांतरित कर दिया गया है.
पीड़ित वकीलों के बयान दर्ज करने की व्यवस्था
चूंकि दोषी अधिकारी, निलंबित होने के बावजूद, उस पुलिस स्टेशन में मौजूद था जहां जांच स्थानांतरित की गई थी, यह प्रस्तुत किया गया कि वकील बयान देने के लिए उक्त पुलिस स्टेशन में जाने से डर रहे हैं. कोर्ट ने राज्य से पीड़ित वकीलों के बयान दर्ज करने की व्यवस्था करने को कहा है. न्यायालय ने विशेष रूप से अतिरिक्त महाधिवक्ता से पूछा कि क्या रिपोर्ट एक गुप्त दस्तावेज है और इसे सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए. चूंकि एएजी द्वारा कोई आपत्ति नहीं उठाई गई थी, रिपोर्ट को अदालत में उपस्थित हापुड़ बार एसोसिएशन, बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने वाले बार के सदस्यों और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, इलाहाबाद के सदस्यों को भेज दिया गया था.
जानें क्या गया है रिपोर्ट में
17 सितंबर की रिपोर्ट में वकील प्रियंका त्यागी और दो पुलिस अधिकारियों के बीच हुई उस घटना के बारे में विस्तार से बताया गया है जिसके कारण घटनाएं बनी. रिपोर्ट में घटना की व्याख्या करते हुए दो स्वतंत्र गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं. ऐसा कहा गया है कि एक कार जिसमें प्रियंका त्यागी ड्राइव कर रही थीं, उन्होंने दो पुलिस अधिकारियों की बाइक को टक्कर मार दी. इसके बाद प्रियंका त्यागी एक सह-यात्री के साथ कार से बाहर निकलीं और कथित तौर पर पुलिस अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार किया. यह आरोप लगाया गया कि प्रियंका त्यागी ने एक अधिकारी का बैज खींचने और उसकी वर्दी फाड़ने की कोशिश की.
इसके बाद, जब पुलिस द्वारा कार्रवाई शुरू की गई तो आरोप है कि प्रियंका त्यागी ने सहयोग नहीं किया. 28 अगस्त को वकीलों ने 29 अगस्त को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने का प्रस्ताव पारित किया. हालांकि आरोप है कि वकीलों ने जिला न्यायालय से तहसील चौराहे तक जुलूस निकाला, जहां उन्होंने यातायात बाधित किया और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की. इसके बाद वे पुलिस स्टेशन की ओर बढ़े, जहां आरोप है कि कुछ वकील पुलिस स्टेशन में घुस गए और अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार किया.
पुलिस अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप
रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे कथित तौर पर वकीलों ने पुलिस अधिकारियों के साथ लगातार दुर्व्यवहार किया और इस प्रकार, उनके खिलाफ कार्रवाई की गई. यह भी कहा गया है कि स्थिति को देखते हुए शहर की सभी दुकानें बंद कर दी गई. प्रभारी निरीक्षक मिस्टर संजय कुमार पांडे के आदेश पर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज किया गया। यह तथ्य कि कुछ पुलिस अधिकारियों को चोटें आईं, रिपोर्ट में दर्ज किया गया था.
हलफनामा दाखिल करने का आदेश
कोर्ट ने कहा कि अंतरिम जांच रिपोर्ट में पूरे तथ्यों का खुलासा नहीं किया गया है और यह सीआरपीसी के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है. कोर्ट ने विशेष रूप से पूछा कि रिपोर्ट में उल्लिखित दो महिला वकीलों के बयान क्यों दर्ज नहीं किए गए. कोर्ट ने राज्य को लिस्टिंग की अगली तारीख से पहले जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है.