पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी करने की कोशिश में योगी सरकार, राजस्व के घाटे की सता रही चिंता

अगले साल प्रदेश में चुनाव होने हैं. इसे लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीतियां बनाने में मशगूल हैं. उनकी रणनीतियों में महंगाई सबसे अहम मुद्दा बनकर उभरा हुआ है. प्रदेश में चुनावी बिसात बिछाए उन सभी दलों ने भाजपा को महंगाई का दोषी बनाकर हमला करना शुरू कर रखा है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 29, 2021 12:18 PM
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Lucknow News : प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों की जलन झेल रहे प्रदेशवासियों को राहत देने के लिये मंथन-चिंतन करना शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री ने पेट्रोल-डीजल पर मौजूदा वैट की दर और उससे मिलने वाले राजस्व के बारे में जानकारी मांगी थी. इस बात पर भी चर्चा की थी कि अगर तीन-चार रुपये पेट्रोल-डीजल सस्ता किया जाता है तो उससे मार्च तक के राजस्व पर क्या असर आएगा? सरकार की कोशिश है कि यह 100 रुपये पर लीटर पर आकर रुक जाए.

महंगाई बना सबसे बड़ा मुद्दा : महंगाई इस समय सबसे बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. देशभर में महंगे हुये पेट्रोल-डीजल के दामों से प्रदेश की जनता जूझ रही है. अगले साल प्रदेश में चुनाव होने हैं. इसे लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीतियां बनाने में मशगूल हैं. उनकी रणनीतियों में महंगाई सबसे अहम मुद्दा बनकर उभरा हुआ है. प्रदेश में चुनावी बिसात बिछाए उन सभी दलों ने भाजपा को महंगाई का दोषी बनाकर हमला करना शुरू कर रखा है. पेट्रो उत्पादों का बढ़ा हुआ दाम भी अहम विषय है. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव होने के कारण सरकार, प्रदेशवासियों को राहत देने के लिए निश्चित तौर पर पेट्रोल-डीजल से वैट घटाएगी. कोशिश होगी कि पेट्रोल-डीजल पांच रुपये लीटर तक सस्ता हो जाए.

इस संबंध में जानकारी देते हुये राजस्व विभाग के सूत्रों ने बताया है कि तीन-चार रुपये पेट्रोल-डीजल सस्ता किया जाता है तो उससे मार्च तक तकरीबन पांच हजार करोड़ रुपये राजस्व घट जाएगा. दरअसल, कोरोना महामारी के बाद से अचानक ही राज्य सरकारों के लिये मेडिकल के लिये तमाम योजनाएं शुरू करनी मजबूरी हो गई थीं. ऐसे में राज्य सरकारों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ तो बढ़ना ही था. इसी वजह से पेट्रो उत्पादों के मूल्यों में यह इजाफा नज़र आ रहा है.

एक नज़र वैट पर…

1. योगी सरकार ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पांच अक्टूबर 2018 को वैट की दर को घटाकर पेट्रोल-डीजल को 2.50-2.50 रुपये प्रति लीटर तक सस्ता कर दिया था. इससे करीब चार हजार करोड़ रुपये का राजस्व घटा था.

इसके बाद लोकसभा चुनाव होने के बाद 20 अगस्त 2019 को एक बार फिर वैट बढ़ा दिया गया था. तब सरकार ने पेट्रोल से 26.80 प्रतिशत वैट या न्यूनतम 16.74 रुपये प्रति लीटर व डीजल पर 17.48 प्रतिशत वैट या 9.41 रुपये प्रति लीटर में से जो भी ज्यादा हो, उसे वसूलने की अधिसूचना जारी की थी.

चुनाव बाद फिर महंगा हो सकता है पेट्रोल-डीजल : इस बारे में देखा जाए तो सरकारों ने हमेशा ही जनता को राहत देने के नाम चुनाव से पूर्व पेट्रोल-डीजल जैसी चीजों के दामों में कमी करने का निर्णय लेती है. वहीं, चुनाव जीतने के बाद वह राजस्व का घाटा पूरा करने के लिये वे दाम बढ़ाने से हिचकती भी नहीं हैं.

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