UP में बारिश और ओले से हुई तबाही का CM योगी ने की समीक्षा, किसानों की फसल नुकसान की भरपाई करेगी सरकार
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि मौसम विशेषज्ञों के अनुसार यह स्थिति अगले दो-तीन दिन और रहने की संभावना है. इसके लिए सभी आवश्यक राहत बचाव के प्रबंध किए जाएं.
लखनऊ : सीएम योगी ने शनिवार को आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में पीछले दिनों से प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में हो रही असमय वर्षा और ओलावृष्टि से उपजी स्थिति की समीक्षा की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए है. प्रदेश की अद्यतन स्थिति के संबंध में राजस्व विभाग के एक प्रस्तुतिकरण का अवलोकन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्नदाता किसानों का हित सुरक्षित रखना हमारी सरकार की प्राथमिकता है. मार्च महीने में प्रदेश के अनेक क्षेत्रों में हुई असमय वर्षा और ओलावृष्टि के कारण किसान और उनके कृषि उपज का भारी नुकसान हुआ है. फिलहाल अभी भी 24 घंटों में प्रदेश के नौ जिलों में ओलावृष्टि की सूचना है. इस संकट की घड़ी में राज्य सरकार किसानों के साथ खड़ी है.
सीएम का निर्देश मौसम के बारे में दिया जाए जानकारी
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि मौसम विशेषज्ञों के अनुसार यह स्थिति अगले दो-तीन दिन और रहने की संभावना है. इसके लिए सभी आवश्यक राहत बचाव के प्रबंध किए जाएं. राहत आयुक्त कार्यालय द्वारा असमय बरसात और ओलावृष्टि के कारण जिस भी किसान की फसल नुकसान हुई है, उसका आंकलन कर नियमानुसार क्षतिपूर्ति राशि उपलब्ध कराने में देर न करें. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि मौसम पूर्वानुमान के बारे में किसानों को समय से जानकारी उपलब्ध कराई जाए. मौसम विज्ञानियों की चेतावनियों के बारे में सुदूर गांव तक किसान को टीवी, अखबार और स्थानीय प्रशासन के माध्यम से जानकारी उपलब्ध कराई जाए. यह पूर्वानुमान 24 से 48 घंटे का हो. ऐसी स्थिति में जब लोग अलर्ट रहेंगे तो क्षति भी कम होगी.
सीएम बोलें- प्राकृतिक आपदा से हुई मौत तो तुरंत मिले आर्थिक मदद
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक आपदा के कारण यदि किसी भी प्रदेशवासी की दुःखद मृत्यु होती है और मानव-वन्य जीव संघर्ष से कोई घायल होता है तो बिना विलंब किए, तत्काल पीड़ित परिवार से संपर्क किया जाए. राहत आयुक्त स्तर से आपदा राहत कोष में पीड़ित परिवार को तुरंत आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए. उन्होंने आगे कहा कि बरसात, तेज हवा, ओलावृष्टि आदि प्राकृतिक कारणों से गेहूं आदि की फसल खराब हो सकती है. जो फसल पैदा हो रही है, उसकी गुणवत्ता पर भी बुरा असर पड़ने की आशंका है. ऐसी फसल को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत खरीद की जानी चाहिए. इसके लिए आवश्यकतानुसार नियम शिथिल किए जाने के लिए आवश्यक प्रस्ताव तैयार किया जाए. साथ ही गेहूं की फसल के संभावित नुकसान के कारण इस वर्ष भूसे की कमी हो सकती है. ऐसे में पशुपालन विभाग द्वारा समय से गोवंश चारे की व्यवस्था कर ली जाए.