Mayawati News: बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को बीएसपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अहम बैठक बुलाई है. इस बैठक में पार्टी द्वारा कई बड़े फैसले लेने का अनुमान है. इसके साथ ही यह माना जा रहा है इस बैठक में मायावती को एक बार फिर से पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाना लगभग तय है. बताते चलें कि हर 5 साल में बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है. मायावती 18 सितंबर 2003 से लगातार चुनी जा रही है. इस बैठक में पार्टी कई बड़े कदम उठा सकती है. सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद को पार्टी और भी बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती है. इसके अतिरिक्त इस कार्यकारिणी बैठक में बीएसपी सुप्रीमो जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा करेंगी और उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव में अपने वर्चस्व को बचाएं रखने पर मंथन करेगी.
मायावती ने बसपा समर्थकों को कांग्रेस से सचेत रहने की दी सलाह
बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से बयान जारी करते हुए कहा कि सपा ने 2 जून 1995 में बसपा द्वारा समर्थन वापस लेने पर मुझ पर जानलेवा हमला कराया था. इस पर कांग्रेस कभी क्यों नहीं बोलती है? उस दौरान केंद्र में रही कांग्रेस सरकार ने भी समय से अपना दायित्व नहीं निभाया था. दरअसल, उस समय केंद्र की कांग्रेस सरकार की भी नीयत खराब हो चुकी थी. जो कुछ भी अनहोनी के बाद यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाकर, पर्दे के पीछे से अपनी सरकार चलाना चाहती थी. उसका यह षड्यंत्र बसपा ने फेल कर दिया था. उस समय सपा के आपराधिक तत्वों से भाजपा सहित समूचे विपक्ष ने मानवता व इन्सानियत के नाते मुझे बचाने में जो अपना दायित्व निभाया, इसकी कांग्रेस को बीच-बीच मे तकलीफ होती रहती है. लिहाजा बसपा समर्थक कांग्रेस से सचेत रहें.
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राजनीति से संन्यास लेने पर क्या बोली मायावती
मायावती ने अपनें राजनीति से संन्यास लेने की अफवाहों पर जवाब दिया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा करते हुए कहा कि पहले भी मुझे राष्ट्रपति बनाए जाने की अफवाह उड़ाई गयी, जबकि मान्यवर श्री कांशीराम जी ने ऐसे ही आफर को यह कहकर ठुकरा दिया था कि राष्ट्रपति बनने का मतलब है सक्रिय राजनीति से संन्यास लेना जो पार्टी हित में उन्हें गवारा नहीं था. मायावती ने कहा कि अगर कांशीराम ने ऑफर ठुकरा दिया तो फिर उनकी शिष्या को यह स्वीकारना कैसे संभव है?