प्रयागराज: अब्दुल्लाह आजम (Abdullah Azam) के दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां और उनकी पत्नी तंजीन फातिमा की अर्जी पर इलाहाबाद हाईकोट में वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि जन्म प्रमाण पत्र में जन्मतिथि का नियमानुसार संशोधन कराया गया है. प्रमाण पत्र फर्जी बनाए जाने का आरोप पूरी तरह से गलत है. गौरतलब है कि आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम पर दो-दो जन्म प्रमाण पत्र रखने का आरोप है. एक प्रमाण पत्र 28 जून 2012 को रामपुर से और दूसरा जनवरी 2015 में लखनऊ से जारी हुआ है. दोनों में जन्मस्थान अलग-अलग हैं.
22 अप्रैल को राज्य सरकार रखेगी पक्ष
इस मामले में आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम (Abdullah Azam) को रामपुर की जिला कोर्ट ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में दोषी ठहराते हुए सात साल की सजा सुनाई है. इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई थी. जिस पर कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि ये पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित मामला है. ये पूरा मामला जन्म प्रमाण पत्र संशोधन का है ना कि फर्जी प्रमाण पत्र का. कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से बहस के लिए 22 अप्रैल की डेट तय की है.
रामपुर में दर्ज है एफआईआर
बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने अब्दुल्ला आजम के खिलाफ रामपुर के थाने में दो जन्म प्रमाण पत्र रखने के मामले में 2019 में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. एफआईआर में था कि जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर पासपोर्ट बनवाया. इसके बाद दूसरे प्रमाण पत्र का विदेश दौरे में इस्तेमाल किया. ये भी आरोप लगाया गया था कि आजम खां ने अपने प्रभाव से बेटे को 2017 में चुनाव लड़ने और विधायक बनाने के लिए जन्म प्रमाण पत्र जारी कराया था. वर्ष 2017 में अब्दुल्ला आजम 24 साल के थे. इस पर अब्दुल्ला आजम के लिए एक और जन्म प्रमाण पत्र बनवाया गया. जिसमें उनकी उम्र ज्यादा दिखाई गई और वो चुनाव लड़े. फिर जीत भी गए. इस मामले में आजम खां और उनकी पत्नी भी आरोपी हैं.
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