Kanpur : प्रथम सत्र में नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडिटेशन (एनबीए) और नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ), नई दिल्ली के सदस्य सचिव डॉ अनिल कुमार नासा ने एनआईआरएफ रैंकिंग के लिए जरूरी मापदंडों की जानकारी दी. सत्र की अध्यक्षता बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी के कुलपति प्रो मुकेश पांडेय ने की. यह सत्र देश भर के शैक्षणिक संस्थानों के बीच प्रतिस्पर्धी माहौल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एनआईआरएफ रैंकिंग के लिए मापदंडों के मूल्यांकन पर केंद्रित रहा.
प्रो. नासा ने बताया कि एनआईआरएफ रैंकिंग शिक्षण संस्थानों का एक व्यापक मूल्यांकन है, जो संस्थानों की स्थिति निर्धारित करने के लिए विभिन्न मापदंडों को ध्यान में रखता है. इन मापदंडों में शिक्षक-छात्र अनुपात (30%), अनुसंधान आउटपुट (30%), स्नातक आउटरीच (20%), समावेशिता और आउटरीच (10%), और धारणा (10%) शामिल हैं. इसके अलावा उन्होंने वास्तुकला, अनुसंधान, दंत चिकित्सा और कानून जैसे विशिष्ट क्षेत्रों के बारे में भी जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष पहली बार यूपी से किसी कृषि विश्वविद्यालय ने भी एनआईआरएफ रैंक के लिए आवेदन किया है, यह चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय है. उन्होंने बताया कि रैंकिंग के लिए छात्रों का प्रवेश सबसे अहम है. इसलिए सभी विश्वविद्यालयों से छात्रसंख्या के हिसाब से इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार करने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि शिक्षक, छात्रों का अनुपात दूसरा महत्वपूर्ण बिंदु है. इस पर भी सभी विश्वविद्यालयों को ध्यान देना चाहिए. इसी क्षेत्र में यूपी के विश्वविद्यालय पीछे हैं. इसी वजह से वह एनआईआरएफ रैंकिंग में टाप 100 में नहीं आ पा रहे हैं. अस्थायी शिक्षकों की नियुक्ति भी दो कम से कम दो सेमेस्टर के लिए की जानी चाहिए.
डॉ. अनिल कुमार नासा ने पंजीकरण से लेकर अंतिम रैंकिंग सूची जारी करने तक की एनआईआरएफ प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी भी दी. उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में कई चरण शामिल हैं, जिनमें पंजीकरण, डेटा कैप्चरिंग, प्रकाशन, डेटा सत्यापन, धारणा विश्लेषण और रैंकिंग की अंतिम रिलीज शामिल है. उन्होंने एनआईआरएफ के 2016 संस्करण से लेकर हाल ही में घोषित इंडिया रैंकिंग 2023 तक विभिन्न श्रेणियों और विषय क्षेत्रों में बढ़ती भागीदारी संख्या पर प्रकाश डाला.