Teele Wali Masjid Case: लक्ष्मण टीला निगरानी मामले में फैसला आज, कोर्ट ने 25 जनवरी को सुरक्षित रखा था आदेश

Teele Wali Masjid Case: लखनऊ में स्थित लक्ष्मण टीला लॉर्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव मामले में आज कोर्ट का फैसला आना है. मामले में सिविल निगरानी याचिका पर सुनवाई कर रही अपर जिला जज की अदालत के आज आने वाले फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | February 9, 2023 8:56 AM

Lucknow Teele Wali Masjid Case: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित लक्ष्मण टीला लॉर्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव मामले में आज कोर्ट का फैसला आना है. मामले में सिविल निगरानी याचिका पर सुनवाई कर रही अपर जिला जज की अदालत के आज आने वाले फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. मामले में कोर्ट ने बीते 25 जनवरी को हिंदू महासभा के वकील और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील के अलावा सरकार की ओर से डीजीसी को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया था.

लॉर्ड नागेश टीलेश्वर महादेव की गई ये मांग

दरअसल, लक्ष्मण टीला स्थित मंदिर-मस्जिद विवाद मामले की निगरानी याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था. कोर्ट ने बहस सुनने के बाद 9 फरवरी के लिए अपना फैसला सुरक्षित कर लिया. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से सिविल जज साउथ ने 25 सितंबर 2017 को पारित एक आदेश को सिविल निगरानी याचिका के माध्यम से चुनौती दी. सिविल जज साउथ की कोर्ट में लॉर्ड नागेश टीलेश्वर महादेव की ओर से दाखिल नियमित वाद में कोर्ट से अनुरोध किया गया था कि टीले वाली मस्जिद के अंदर लार्ड शेषनाग का मंदिर है, जिसको नुकसान पहुंचाया गया है.

कोर्ट ने 25 जनवरी को सुरक्षित रखा था आदेश

लॉर्ड नागेश टीलेश्वर महादेव की ओर से कहा गया है कि इस टीले वाले स्थान का मालिकाना हक दिलाया जाए और पूजा-अर्चना की अनुमति दी जाए. सिविल वाद के विरुद्ध सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से आपत्ति दाखिल की गई थी कि वाद काल बाधित है, परंतु सिविल जज साउथ की कोर्ट ने सिविल वाद विचारार्थ स्वीकार कर लिया था. कोर्ट ने गत 25 जनवरी को हिंदू महासभा के वकील व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील एवं सरकार की ओर से डीजीसी (दीवानी) को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया था.

इससे पहले की सुनवाई में हिंदू महासभा की ओर से पूर्व में प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर कहा गया कि, ‘सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ने अधिकृत निगरानीकर्ता को उनके पद से हटा दिया है, इसलिए उनकी निगरानी याचिका पोषणीय ही नहीं है. मामले में मांग करते हुए कहा गया कि, इस आधार पर सिविल अदालत के आदेश की पुष्टि करते हुए पत्रावली को सुनवाई के लिए निचली अदालत को भेजा जाए. वहीं दूसरी ओर प्रार्थना पत्र के विरोध में सुन्नी सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड की ओर से कहा कि ‘निचली अदालत का आदेश त्रुटि पूर्ण है, लिहाजा निगरानी मंजूर करते हुए निचली अदालत के आदेश को रद्द किया जाए.

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