UP: लोकसभा चुनाव से पहले जाति जनगणना पर सपा की निगाह, संसद में SP के घट रहे MP, इस रिकॉर्ड को दोहराने की कोशिश

UP Politics: समाजवादी पार्टी 19 वर्ष से लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन से जूझ रही है. जिसके चलते सांसद में लोकसभा सदस्यों की संख्या हर चुनाव में कम हो रही है. लोकसभा चुनाव 2004 में सपा ने 26.7 फीसद वोट लेकर 35 सीट जीती थीं, लेकिन इसके बाद यह आंकड़ा कभी नहीं छू सकी.

By Prabhat Khabar News Desk | February 7, 2023 11:45 AM

UP Politics News: समाजवादी पार्टी (सपा) 19 वर्ष से लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन से जूझ रही है. जिसके चलते सांसद में लोकसभा सदस्यों की संख्या हर चुनाव में कम हो रही है. लोकसभा चुनाव 2004 में सपा ने 26.7 फीसद वोट लेकर 35 सीट जीती थीं, लेकिन इसके बाद यह आंकड़ा कभी नहीं छू सकी.

लेकिन अब सपा लोकसभा चुनाव 2024 से पहले जातिगत जनगणना का मुद्दा गरमाकर सांसद में सदस्यों की संख्या बढ़ाने की कोशिश में है. इसलिए सपा जातिगत जनगणना के मुद्दे पर यूपी में आंदोलन की तैयारी कर रही है. इसके लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी गई है. पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरित्र मानस को लेकर लगातार हमलावर हैं. यह मुद्दा यूपी के साथ देश में गरमाने की तैयारी है. जिससे लोकसभा चुनाव में फायदा मिल सके.

2004 लोकसभा चुनाव का रिकॉर्ड दोहराने की कोशिश

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में 1996 में सपा ने 16 सीटें (वोट प्रतिशत 20.8), 1998 में 20 सीटें (28.7%), 1999 में 26 सीटें (24%) और 2004 में 35 सीटें (26.7%) जीती थीं.मगर, इसके बाद 2009 के चुनाव में राज्य में सपा ने 23 सीटें (23.2 %), 2014 में 5 सीटें (22.2%) और 2019 में सपा- बसपा गठबंधन से चुनाव लड़ी थी. इसमें सपा 5 सीटें (17.9%) जीती थीं. मगर, उपचुनाव में सपा रामपुर और आजमगढ़ की सीट हार गई. इससे सदन में सिर्फ 3 सांसद बचे हैं.

बिहार में जातिगत जनगणना शुरू

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बिहार की नीतीश सरकार ने 7 जनवरी से बिहार में जातिगत जनगणना शुरू करा दी है.यहां दो चरणों में जातिगत जनगणना होगी.पहले चरण में 7 जनवरी से 21 जनवरी तक,तो वहीं दूसरे चरण में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक होगी.

Also Read: Bareilly News: बरेली से आनंद विहार का किराया जेब पर भारी पड़ेगा, अब इतने में मिलेगी टिकट
यूपी में 234 पिछड़ी जातियां

उत्तर प्रदेश में 234 से अधिक पिछड़ी जातियां हैं.मगर,इसमें ओबीसी जातियों की आबादी यादव, कुर्मी,मौर्य, किसान,और साहू सबसे अधिक हैं.इनको 27 फीसद आरक्षण मिलता है. मगर, जातिगत जनगणना में पिछड़ी जातियों को आबादी बढ़ने के कारण 27 फीसद से भी अधिक ओबीसी आरक्षण मिलने की उम्मीद है.इसीलिए यूपी में बार-बार जातिगत जनगणना की मांग उठ रही है.

1931 में हुई थी जातिगत जनगणना

देश में वर्ष 1931 तक जातिगत जनगणना होती थी. मगर, वर्ष 1941 में जाति आधारित डाटा एकत्र किया गया, लेकिन जारी नहीं किया गया. देश में वर्ष 1951 से वर्ष 2011 तक जनगणना में एससी और एसटी जातियों का डाटा एकत्र कर जारी किया जाता है. मगर, अन्य जातियों का डाटा जारी नहीं किया जाता है.

रिपोर्ट मुहम्मद साजिद बरेली

Next Article

Exit mobile version