VIDEO : गुलाम अली को तो आपने कर्इ बार सुना होगा, एक बार इस छोटे उस्ताद को सुनिए

वाराणसी : मऊ जिले के रहने वाले शुभम प्रताप सिंह को सूफी गानों और भजनों का काफी शौक है. 14 साल की उम्र से ही उन्‍होंने सिंगिंग को अपना करियर बना लिया है. वे भजन संध्‍या जैसे कार्यक्रमों में अपने कथाओं को भजनों के रूप में श्रद्धालुओं को सुनाते हैं और वाहवा‍ही लूटते हैं. शुभम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 24, 2017 2:31 PM

वाराणसी : मऊ जिले के रहने वाले शुभम प्रताप सिंह को सूफी गानों और भजनों का काफी शौक है. 14 साल की उम्र से ही उन्‍होंने सिंगिंग को अपना करियर बना लिया है. वे भजन संध्‍या जैसे कार्यक्रमों में अपने कथाओं को भजनों के रूप में श्रद्धालुओं को सुनाते हैं और वाहवा‍ही लूटते हैं. शुभम के पसंदीदा गायक गुलाम अली और मास्‍टर सलीम हैं, जबकि वे भजन सम्राट अनूप जलोटा के भी जबरदस्‍त फैन हैं.

दूरभाष पर प्रभात खबर डॉट कॉम के साथ बात करते हुए शुभम ने बताया कि घरेलू परेशानियों और मां की कम्र उम्र में मृत्‍यु के बाद उनकी शादी महज 14 साल की उम्र में हो गयी. अभी 19 साल की उम में उनके कंधों पर दो छोटे बच्‍चों की भी जिम्‍मेवारी है. उनके परिवार में दादी, पिता और पत्‍नी के अलावे उनके दो छोटे-छोटे बच्‍चे हैं. जिनक भरण पोषण का जिम्‍मा उनके ही कंधों पर है.

शुभम बताते हैं कि बचपन से ही उनको गाना गाने का शौक था. वे स्‍कूल के कल्‍चरल प्रोग्राम में गाना गाते थे तो उनकी काफी तारिफ होती थी. उनके परिवार में वे पहले व्‍यक्ति हैं जिन्होंने गायकी को अपना करियर बनाया है. शुभम भोगपुरी और हिंदी दोनों भाषाओं में गजल गाते हैं. कुछ दिनों बाद नवरात्र में उनका एक एलबम भी बाजार में आने वाला है. जिसमें वे भोजपुरी भी भजन गाते सुने जा सकते हैं.

शुभम ने सोशल मीडिया को अपनी काबलियत दुनिया के सामने लाने का प्‍लेटफार्म बनाया है. शुभम ने बताया कि पैसों की तेगी की वजह से वे किसी से भी संगीत की शिक्षा नहीं ले पाये. यू-ट्यूब के माध्‍यम से उन्‍होंने बड़े बड़े गायकों का वीडियो देखा और सुना. उसी से उन्‍होंने अपनी गायकी में सुधार लायी. इंटर पास शुभम की इच्‍छा है कि वे बीएचयू से संगीत में ग्रेजुएशन करें, लेकिन समय और पैसों के अभाव के कारण यह उनके लिए संभव नहीं हो पा रहा है.

शुभम की मातृभाषा भोजपुरी है, लेकिन भोजपुरी गानों में अश्‍लीलता के कारण वे भोजपुरी गाना पसंद नहीं करते. लोगों की मांग पर उन्‍होंने भोजपुरी भाषा में अपना पहला एलबम निकालने का फैसला किया है. शुभम के पिता पेशे से किसान हैं, उनकी आर्थिक मदद के लिए शुभम को दिन रात परिश्रम करना पड़ता है.

शुभम के अनुसार बाबा रामदेव की संस्‍था की ओर से आयोजित भजन रत्‍न में उनका चयन हुआ था. वे टॉप 50 तक भी पहुंच गये थे, लेकिन बीच में उनका गला खराब हो गया और वे चयनित नहीं हो सके. शुभम के फेसबुक लाइव को हजारो लोगों ने पसंद किया, जबकि कमेंट बॉक्स में कई लोगों ने जमकर तारिफ की. शुभम के वीडियो को दर्जनों लोगों ने अपने वाल पर भी शेयर किया. छोटे उम्र के इस कलाकार की लोग तारिफ करते नहीं थकते. आप भी शुभम का गाना सुनें और आनंद उठायें.

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