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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से अहमदाबाद रवाना, अब दारोमदार सीएम योगी आदित्यनाथ पर

वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन की वाराणसी यात्रा पूरी कर अहमदाबाद रवाना हो गये. वहीं, राज्यपाल राम नाईक एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ रवाना हो गये. अपने लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के महीनों बाद के इस अहम दौरे के दौरानउन्होंने वाराणसी के विकास के प्रति अपनागहरा समर्पण जताया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरेके […]

वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन की वाराणसी यात्रा पूरी कर अहमदाबाद रवाना हो गये. वहीं, राज्यपाल राम नाईक एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ रवाना हो गये. अपने लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के महीनों बाद के इस अहम दौरे के दौरानउन्होंने वाराणसी के विकास के प्रति अपनागहरा समर्पण जताया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरेके दौरान बिनाकिसी का नाम लिये अपने राजनीतिक विरोधियों पर निशाना साधा औरकाशी पर तोहफों कीबारिश कर दी. उन्होंने स्पष्ट कहा कि उनके लिए वोट नहीं देश अहम है.प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी ने अपने दौरे के दौरानउत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफभी की. उन्होंने कहा कि योगीजी ने छह महीने में यूपी में कमाल कर दिखाया. यानी मोदीनेजिनउम्मीदों के साथ याेगी को सीएम बनाने का फैसला लिया था, वह अबभी कायम है.

योगी से क्या हैं उम्मीदें और क्या हैं चुनौतियां?

नरेंद्र मोदी के लिए 2019के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर योगी आदित्यनाथ दूसरे अहम शख्स हैं.पहलेअहम शख्स अमित शाह हैं, जिनके नेतृत्व में अभी संगठनचल रहा है और वेकम से कम जनवरी 2019 तक (अपनेकार्यकाल तक) तो पद पर बने ही रहेंगे. शाह पर जहां पूरे देश में पार्टी का दारोमदार है, वहीं योगी आदित्यनाथ पर देश केसबसे बड़े सूबेउत्तरप्रदेश कादारोमदार है, जहां पार्टी ने पिछली बार 80 में 72 सीटेंहासिल कीं थी.

पिछले चुनाव में अमित शाह उत्तरप्रदेश के प्रभारी महासचिव थे और उनके नेतृत्व में ही राज्य में हाशिये पर खड़ी पार्टी ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए बाकी दलों को हाशिये पर भेज दिया और फिर पौने तीन साल बाद विधानसभा चुनाव में भी उसी तरह की प्रचंड जीत दिलायी.

अब स्थिति भिन्न है. मुख्यमंत्री के रूप में फ्रंट फुट पर सीधे योगी आदित्यनाथ हैं. नरेंद्र मोदी और अमित शाह के हर कार्य प्रदर्शन व रणनीति को योगी कोमाइनस कर वोटर कसौटी पर तो नहीं ही कसेंगे. ऐसे में योगी आदित्यनाथ सरकार का कार्यप्रदर्शन औरयूपी भाजपा का हर कदम 2019 में पार्टी की संभावनाओं को प्रभावित करेगा. मोदीअभी अगले डेढ़ साल में कई बार अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करेंगे और हर दौरे के साथ चुनावीसक्रियता बढ़ती ही दिखेगी. यह बात तब और महत्वपूर्ण हो जाती है, जब कुछ हलकों मेंयह चर्चा है कि भाजपा 2018 के अंत में मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के साथ आम चुनाव करा सकती है.

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संतुलनबनाने की कोशिश

पार्टी नेठाकुर मुख्यमंत्री के बाद एकब्राह्मण चेहरा महेंद्र नाथ पांडेय कोप्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है.अगड़ी जाति के दो बड़े वर्ग को जिनका संयुक्त रूप से 20 प्रतिशत वोट है उन्हें ध्यान में रख कर भाजपा ने संतुलन बनाने की कोशिश की है.वहीं, पिछड़ी जातिके केशव प्रसाद मौर्यडिप्टी सीएम हैं. पार्टी ने उत्तरप्रदेश में दलित नेताओं को भी अच्छी जगह दी है और कुछ को केंद्र की सरकार में भी शामिलकिया है. यानी सभी वर्ग तकभाजपा अपनी पैठ बनानेमें कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है.

लेकिन, शाह के मिशन 350 के लक्ष्य को पाने के लिए योगी आदित्यनाथ को पार्टी के मौजूदा संख्या बल को कायम रखना होगा. और यह तब बहुत आसान नहीं होगा जब केंद्र एवं राज्य दोनों जगह सरकार में होने के कारण पार्टी को एंटी इन्कंबेंसी फैक्टर का भी सामना करना पड़ेगा.

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