इन 8 गलतियों BHU प्रशासन की बढ़ायी मुश्किलें

छेड़खानी के बाद लाठीचार्ज को लेकर पैदा विवाद अब थमता नहीं दिख रहा है. चीफ प्रॉक्टर ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा दे दिया है. गुरूवार शाम छात्रा के साथ छेड़खानी की घटना सामने आयी और शनिवार होते – होते बीएचयू सुलगने लगा. इस बीच कमिश्नर ने जांच रिपोर्ट सौंप दी और पूरी घटना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 27, 2017 12:29 PM

छेड़खानी के बाद लाठीचार्ज को लेकर पैदा विवाद अब थमता नहीं दिख रहा है. चीफ प्रॉक्टर ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा दे दिया है. गुरूवार शाम छात्रा के साथ छेड़खानी की घटना सामने आयी और शनिवार होते – होते बीएचयू सुलगने लगा. इस बीच कमिश्नर ने जांच रिपोर्ट सौंप दी और पूरी घटना के लिए बीएचयू प्रशासन को जिम्मेवार ठहराया. रिपोर्ट में कहा गया कि छात्रा की शिकायत पर संवेदनशीलता नहीं दिखायी गयी. बीएचयू के पूरे विवाद में विश्वविद्यालय की ओर से यह आठ चूक भारी पड़ गयी.

1. गुरूवार की शाम को छात्रा के साथ जब छेड़खानी हुई और छात्रा ने इसकी शिकायत सुरक्षाकर्मी से की. इस शिकायत को लेकर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी ? चूंकि इस तरह की घटनाएं पहले भी हो चुकी थी. लिहाजा लंबे समय से छात्राओं के बीच मामले को लेकर आक्रोश जमा था.
2.छात्रा के साथ छेड़खानी ने सारे सब्र के बांध तोड़ दिये और छात्राएं धरने पर बैठी गयीं. छात्राओं की मांग बहुत सामान्य थी और इसे आसानी से पूरा किया जा सकता था. दर्ज एफआईआर में कहा कि मैं 6.20 बजे भारत कला भवन के करीब थी. मैंने सलवार सूट पहन रखा था. अचानक दो मोटरसाइकिल सवार युवक आए और मेरे सूट में हाथ डाल दिया. फिर वे गाड़ी भगाकर फरार हो गए, अंधेरा होने की वजह से मैं रजिस्‍ट्रेशन नंबर नहीं देख सकी.”
3.पीड़‍िता ने कहा, ”मैं एकदम बेसुध होकर रो रही थी, मेरे दोस्‍तों ने गार्ड्स से संपर्क किया लेकिन उनका रिएक्‍शन अजीब था उन्‍होंने इस बारे में तंज कसा कि हम शाम 6 बजे के बाद हॉस्‍टल से बाहर क्‍यों थे.” सुरक्षा गार्ड की यह लापरवाही दर्शाता है कि अपने काम के प्रति सुरक्षा गार्ड लापरवाह है. कुलपति को अविलंब कार्रवाई करनी चाहिए थी.
4. घटना को पांच से ज्‍यादा दिन हो गए हैं और वाराणसी पुलिस ने अभी तक पीड़‍िता का बयान तक दर्ज नहीं किया है. हालांकि पुलिस थाना प्रभारी संजीव मिश्रा का दावा है कि 21 सितंबर को घटना हुई और अगले दिन एफआईआर दर्ज हो गयी. उन्‍होंने कहा, ”जब तक हम शिकायतकर्ता तक पहुंच पाते, वह 23 सितंबर को अपने घर, दिल्ली चली गई.”
5. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ वाराणसी में थे. मोदी को धरने की वजह से रास्ता बदलना पड़ा. प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र वाराणसी पड़ता है. अगर वह रुककर छात्राओं के साथ मुलाकात कर कार्रवाई का आश्वासान देते तो संभवत: मामला इतना नहीं बिगड़ता.
6. सबसे बड़ी गलती पुलिस ने लाठीचार्ज कर की. लाठीचार्ज ने बीएचयू कैंपस को संघर्ष के मैदान में बदल दिया गया. भी़ड़ हटाने के लिए पानी का बौछार किया जा सकता था. बताया तो यह भी जा रहा है कि लंका द्वार के सामने उस रात को सिर्फ 200-300 छात्राएं बैठे थे. इनकी संख्या बेहद कम थी और पुलिस को यह क्रुरता पूर्वक कार्रवाई नहीं करनी चाहिए थी. यहां पुलिस से चूक हुई.
7. घटना के बाद वीसी ने कहा बाहरी तत्व जिम्मेदार है. वीसी के इस गैर जिम्मेदाराना बयान ने छात्राओं को परेशानी को समझने की बजाय अलग धारा में मोड़ने की कोशिश की. ऐसे मसलों पर त्वरित एक्शन की जरूरत पड़ती है न कि अनर्गल बयानबाजी.
8. कोई फैसला नहीं लेना सबसे खराब फैसला होता है. जब मामला तूल नहीं पकड़ा हो और छोटा हो उसी वक्त सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए जो हो नहीं पाया. पूरे विवाद को समय रहते हल निकाला जा सकता था.

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