बनारस : रानी लक्ष्मीबाई की जन्मस्थली भी पहचान के लिए लड़ रही है लंबी लड़ाई
बनारस से पंकज कुमार पाठक की रिपोर्टवीरांगना रानीलक्ष्मी बाई का जन्म बनारस में हुआ था, लेकिन क्या आप जानते हैं वह जगह कौन सी थी? बनारस के किस स्थान पर उनका जन्म हुआ? बनारस में पर्यटन बढ़ रहा है लेकिन रानी लक्ष्मीबाई के जन्मस्थान की पहचान अब भी कम लोगों को है. पर्यटक तो छोड़िये, […]
बनारस से पंकज कुमार पाठक की रिपोर्ट
वीरांगना रानीलक्ष्मी बाई का जन्म बनारस में हुआ था, लेकिन क्या आप जानते हैं वह जगह कौन सी थी? बनारस के किस स्थान पर उनका जन्म हुआ? बनारस में पर्यटन बढ़ रहा है लेकिन रानी लक्ष्मीबाई के जन्मस्थान की पहचान अब भी कम लोगों को है. पर्यटक तो छोड़िये, नेताओं का भी इस जगह से रिश्ता कम है. क्या आपने कभी किसी टीवी चैनल पर लाइव या कहीं भी बनारस में रानी लक्ष्मीबाई के जन्मस्थान की चर्चा सुनी है?
प्रभात खबर अपनी चुनावी यात्रा में आपको सिर्फ चुनाव और राजनीति ही नहीं, ऐसी जगहों पर भी ले चलेगा जिसकी बात कम होती है. रानी लक्ष्मीबाई पर फिल्म बनती है, तो करोड़ों की कमाई होती है लेकिन उनके जन्मस्थान पर उनकी विशाल प्रतिमा के ऊपर छतरी लगाने वाला कोई नहीं. इस जगह की देखरेख कर रहे हरिनाथ प्रसाद गौड़ कहते हैं, मूर्ति में पक्षी गंदगी कर देते हैं. उनके सिर पर छतरी होती, तो हमारी मेहनत कम हो जाती.
रानी लक्ष्मीबाई के जन्मस्थली को लेकर भी लड़ाई लड़ी गयी. जिन्होंने अंग्रेजों से लोहा लेकर अपने राज्य की रक्षा की, उनकी जन्मस्थली ने भी अपनी पहचान के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और अब भी जारी है. पत्रकार सुशील त्रिपाठी और पत्रकार सुमंत मिश्रा ने इसके लिए गर्वनर आवास के आगे धरना दिया. इस भव्य मूर्ति के निर्माण में कई लोगों की मेहनत रही, सड़क से संसद तक आंदोलन हुआ. पत्रकार सुमंत मिश्रा बताते हैं, सरकार ने एक सफेद रंग की छोटा सा शिलापट्ट स्थापित कर दिया, इसके बाद छोड़ दिया गया.
आंदोलन और तेज हुआ, तो पर्यटन मंत्री ओम प्रकाश जी का ध्यान इस तरफ गया तो उन्होंने इस जगह का उद्धार किया. यहां महारानी लक्ष्मीबाई की एक विशाल मूर्ति स्थापित की. यहां सामने ही अस्सी घाट है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी जगह जाते हैं, लेकिन महारानी लक्ष्मीबाई के पास नहीं आते. हमारी अपील है कि एक बार पीएम और सीएम यहां आयें, देखें कि एक आंदोलन के बाद इस जगह की विरासत कैसे बचायी रखी गयी है.
उद्धव ठाकरे बनारस आनेवाले हैं, हमने अपील की है कि वह एक बार आयें और महारानी लक्ष्मीबाई को भी नमन करें. हमें उम्मीद है एक बार पीएम भी जरूर आयेंगे. हम चाहते हैं कि इस जगह को पहचान मिले.