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…..जब बोले बनारसी, विपक्ष ने तो मोदी के टक्कर का उम्मीदवार ही नहीं दिया, डर गये गठबंधन-कांग्रेस के बड़े नेता
बनारस से पंकज कुमार पाठक कांग्रेस के अजय राय पिछली बार भी मोदी से हारे थे ‘बनारस की सीट पर भइया टक्करे नहीं है. कांग्रेस फिर टिकट दे दिहिस है अजय राय के. बेचारे पिछले बार भी हारे थे और अबहूं मुश्किल लागत है. कुछ भी कहो भइया, मोदी ने काम तो किया है.’ पप्पू […]
बनारस से पंकज कुमार पाठक
कांग्रेस के अजय राय पिछली बार भी मोदी से हारे थे
‘बनारस की सीट पर भइया टक्करे नहीं है. कांग्रेस फिर टिकट दे दिहिस है अजय राय के. बेचारे पिछले बार भी हारे थे और अबहूं मुश्किल लागत है. कुछ भी कहो भइया, मोदी ने काम तो किया है.’ पप्पू के अड़ी (चाय की दुकान) पर उदय नारायण पांडेय बोल रहे हैं. मोदी के रोड शो के बाद यहां राजनीति समझना आसान-सा हो गया है.
बनारस के घाटों से लेकर चाय की दुकानों तक उम्मीदवारों की चर्चा है. पीएम मोदी को जो दो नेता टक्कर दे रहे हैं, उनमें कांग्रेस के अजय राय, जिन्हें मोदी पिछले बार मात दे चुके हैं. इन्हें 2017 के विस चुनाव में भाजपा ने हराया. दूसरी नेता हैं सपा-बसपा की शालिनी यादव. अब बनारसी चर्चा भी करें, तो क्या करें? कौन कितना मजबूत है, इस सवाल पर बनारसी बिदक जाते हैं. कहते हैं, दोनों ही पार्टियां जानती हैं कि मोदी काे हराना मुश्किल है. इसलिए दोनों पार्टियों ने कोई बड़ा नेता यहां से खड़ा नहीं किया. पिछली बार अरविंद केजरीवाल यहां से चुनाव लड़ रहे थे.
मकान टूटने का डर
चर्चाओं में एक तबका चुप है. न किसी की तारीफ करता है, न अपनी बात रखता है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ मुस्लिम, दलित वोटर चुप हैं, कई अगड़ी जातियों के लोग भी खुल कर किसी के समर्थन में बात नहीं करते. काशीविश्वनाथ कॉरिडोर में जिनके मकान गये या जिनके मकान टूटने वाले हैं, वे कहते हैं, मोदी दोबारा आयेगा, तो मकान टूटेगा ना!
पांच बार विधायक रहे हैं कांग्रेस के अजय राय
पांच बार के विधायक रहे अजय राय 2014 का चुनाव भी मोदी के खिलाफ लड़ चुके हैं. उन्हें महज 75 हजार 614 वोट ही मिले थे. जमानत जब्त हो गयी थी. वह 2017 के विस चुनाव में पिंडरा से कांग्रेस प्रत्याशी थे. भाजपा के डाॅ अवधेश सिंह से हार गये. अजय का वोटबैंक अगड़ी जातियां हैं. कांग्रेस का दावा है कि किसान, दलित, मुस्लिम भाजपा से नाराज हैं.
जातीय समीकरण
यहां करीब 70% हिंदू और 28% मुस्लिम हैं. यहां करीब 15 लाख 32 हजार वोटर हैं. करीब तीन लाख मतदाता मुसलमान, ढाई लाख ब्राह्मण, डेढ़ लाख पटेल-कुर्मी हैं.
चर्चा तो प्रियंका के मैदान में आने की थी….
चर्चा थी कि इस सीट पर कांग्रेस प्रियंका गांधी को खड़ा कर सकती है, पर टिकट अजय राय को मिला. मणिकर्णिका घाट पर मल्लाहों ने कहा, अगर मोदी की जगह पार्टी किसी बड़े चेहरे को लाती, तो संभव था कि मोदी को टक्कर मिलता, पर कांग्रेस अलग लड़ रही है, सपा-बसपा अलग. मोदी समर्थक एकजुट हैं. मोदी को नापसंद करने वाले बंट गये. इसका फायदा तो मोदी को ही मिलेगा. आप ही बताइए, वोट काहे बर्बाद करें. मोदी को ही न दे दें.
शालिनी को मेयर का चुनाव हारने का अनुभव
गठबंधन ने बनारस की सीट से शालिनी को मैदान में उतारा है. वह बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में ग्रेजुएट हैं. फैशन डिजाइनिंग की भी डिग्री है. 2017 के वाराणसी मेयर चुनाव में भी किस्मत आजमा चुकी हैं. वह चुनाव हार गयी थीं.
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