मोक्षदायिनी मां गंगा का पानी इन-दिनों काला होता जा रहा है. घाटों के किनारे बसे स्थानीय लोगों ने इसके पीछे की वजह सीवेज के गंदे पानी को बताया है. सरकार की ओर से गंगा में सफाई अभियान भी चलाया जा रहा है, बावजूद इसके कोई रिजल्ट देखने को नहीं मिल रहा है. गंगा के गंदे पानी से पूजा-पाठ स्नान से जुड़े लोगों को यहां काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दूषित हो रहे गंगा के जल में कोई भी धार्मिक कार्य करने से लोग कतरा रहे हैं.
दशाश्वमेध घाट पर रहने वाले हेमंत मिश्रा ने भी गंगा के पानी को काला होने की बात कहते हुए बताया कि पिछले 8-10 दिनों से यह हो रहा है. इसके पीछे की वजह उन्होंने सरकार की ओर से उचित सफाई नहीं किये जाने और नाला पूरी तरह से नहीं खुलना बताया है. इससे यहां स्नान करने वाले लोगों को भी काफी दिक्कतें हो रही हैं.
घाट के पुरोहित विजय शंकर तिवारी ने भी गंगा के पानी को काला होते हुए देखकर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि ये पूरा गंगा का पानी काला नजर आ रहा है. अस्सी नाले समेत बड़े बड़े नाले बह रहे हैं. पूरी कालिमा फैलती जा रही हैं. हम हमेशा सुनते रहते हैं कि सफाई की दृष्टि से इन नालों को बंद कर दिया गया है, लेकिन धरातल पर कुछ और ही देखने को मिल रहा है. गंगा के पानी में कालापन बढ़ने की वजह से न ये चरणामृत लेने लायक रह गया है, न ही स्नान के लिए रहा. अब, सरकार की ओर से गंगा सफाई के लिए किया गया हर प्रयास व्यर्थ नजर आ रहा है.
दरअसल, गंगा नदी का काला पानी सिंधिया घाट, बालाजी घाट, रामघाट, गंगा महल घाट के किनारे काला देखा गया है. गंगा का पानी महल घाट के पास सबसे ज्यादा काला था. वहीं मणिकर्णिका घाट के पास बसे स्थानीय लोगों का कहना है कि नदी का बहाव कम है और महाश्मशान घाट से निकली राख बह नहीं पा रही है, जिसकी वजह से गंदगी किनारे पर ही जमा हो रही है. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि श्रीकाशी विश्वनाथ धाम निर्माण के लिए ललित घाट के किनारे गंगा में प्लेटफॉर्म बनाया गया है, जिसकी वजह से किनारे की तरफ बहाव कम हुआ है. इस एक कारण की वजह से राख और बाकी गंदगी बह नहीं पा रही है. यह गंगा पानी में ही सीमित रह गई है.
रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी