संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी महाराज की जयंती पर आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी मंदिर में मत्था टेकने के लिए वाराणसी के सिरगोवर्धनपुर पहुंचे थे. वहां से एयरपोर्ट जाने के क्रम में BHU गेट के समीप लंका-नरिया मार्ग मोड़ पर कुछ युवकों का झुंड कांग्रेसियों के बीच में से होते हुए राहुल-प्रियंका गांधी तक उन्हें फूल देने के लिए पहुंच गया. जिससे एक बार फिर से राहुल गांधी की सुरक्षा में चूक होने का मामले सामने आया है.
हालांकि राहुल-प्रियंका गांधी ने उन्हें उत्साहवर्धित करते हुए उनका अभिवादन स्वीकार किया. इस मौके पर राहुल-प्रियंका गांधी के सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों की ओर से उन युवकों को रोके जाने में पूरी तरह से असफलता दिखी. पुलिसकर्मियों के मूकदर्शक बनकर खड़े रहने के रवैये को देखते हुए इसे सुरक्षा के स्तर पर बहुत बड़ी चूक के तौर पर देखा जा रहा है. इसमे सीधे तौर पर स्थानीय पुलिस की खामी नजर आ रही है, जबकि स्थानीय पुलिस ने उन युवकों को कांग्रेसी कार्यकर्ता बताया. पुलिस कमिश्नरेट ने इस मामले में जिससे भी चूक हुई है, उसपर कारवाई की बात कही है.
जानकारी के अनुसार राहुल-प्रियंका गांधी का वाहन जब काफिले के साथ लंका मार्ग से गुजर रहा था, तभी इस दौरान लंका में तैनात पुलिसकर्मियों के मौजूदगी के बावजूद राहुल गांधी के वाहन के पास कुछ युवक कैसे पहुंच गए और उन्हें पुलिस आखिर नियंत्रित क्यों नहीं कर पाई. इसपर लंका गेट पर तैनात पुलिस से सवाल करने पर जवाब मिला कि वे युवक कांग्रेसी कार्यकर्ता ही थे.
बता दें कि 2019 से ही गांधी परिवार की सुरक्षा व्यवस्था से स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) को केंद्र सरकार के निर्णय के बाद से हटा लिया गया है. केंद्र सरकार की ओर से गांधी परिवार को जेड प्लस सिक्योरिटी दी गई है. इसके तहत सीआरपीएफ के विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कमांडो गांधी परिवार की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात रहते हैं. इस क्रम में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की सुरक्षा में सीआरपीएफ के कमांडो का घेरा रहता है.
इस लिहाजे से लंका में राहुल गांधी के पास तक फूल-माला लेकर युवकों के पहुंचने के सवाल पर वीआईपी सुरक्षा व्यवस्था के जानकारों ने कहा कि सड़क पर मूवमेंट के दौरान वीआईपी की सिक्योरिटी का ध्यान तो स्थानीय पुलिस को ही रखना पड़ता है. क्या पता कि उस फूल-माला में कोई विस्फोटक सामग्री ही हो. प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन होना चाहिए. खासतौर से चुनावी मौसम में वीआईपी की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए. पुलिस को पूरी तरह से अतिरिक्त सतर्कता बरतना चाहिए, कोई भी भले ही वीआईवी का कितना भी करीबी क्यों न हो, लेकिन हमें सुरक्षा मानकों का हर हाल में गंभीरता से पालन करना चाहिए. वहीं, वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के अफसर इस मसले पर फिलहाल कुछ कहने से कतराते नजर आए.
अनौपचारिक रूप से उनका कहना था कि कार्यकर्ता तो कांग्रेस के ही थी. कितना कंट्रोल किया जाए. सुबह से ही वीआईपी का जमावड़ा लगा हुआ है. देखते हैं कि किससे, कहां और कैसी चूक हुई है. उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी. गौरतलब है कि हाल ही में लुधियाना में सुरक्षा में चूक की वजह से राहुल गांधी के वाहन पर फेंका गया झंडा उनके चेहरे पर जा लगा था. इसे दिल्ली की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने गंभीरता से लिया था. सुरक्षा के स्तर पर इसे लोकल पुलिस और इंटेलिजेंस की चूक माना गया था.
इस पूरे मामले पर जब कांग्रेस महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे से बातचीत की तो महानगर अध्यक्ष ने बताया कि यह निश्चित रूप से चूक माना जाएगा, लेकिन फिर भी क्या किया जाए, अपने नेता को देखकर कार्यकर्ता होश खो देते हैं, लेकिन फिर भी भविष्य में सावधान रहने की जरूरत है.
रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी