त्रैलोक्य नगरी काशी में मंगलवार को महाशिवरात्रि पर्व पर चहुंओर अदभुत नजारा रहा. अपने आराध्य बाबा विश्वनाथ और आदिशक्ति के मिलन की घड़ी का समय आ गया, जब बाबा विश्वनाथ दूल्हे के रूप में सज-धजकर सामने आए. भोलेनाथ और माता पार्वती के विवाह के साक्षी बनने के लिए पूरी काशी नगरी और उनके शादी शिव बारात में शामिल होने के लिए भूत, प्रेत, जिन्न, जानवर और देवी-देवता के प्रतीक के साथ नागरिकों का सैलाब उमड़ पड़ा.
महाशिवरात्रि पर बाबा काशी विश्वनाथ और माता गौरी की प्रतिमा का विशेष वर-वधु के रूप मे श्रृंगार किया गया. दुल्हा बने बाबा विश्वनाथ की प्रतिमा को सेहरा लगाया गया था. वहीं माता गौरा विशेष गुजरात से आये गुलाबी लहंगे को पहन कर दुल्हन बनीं थीं.
काशी में बाबा विश्वनाथ का विवाहोत्सव मनाने की यह परंपरा 357 वर्षों से चली आ रही है. जिसका इस साल भी पूरे विधि-विधान से निर्वहन किया गया. दोपहर में भोग आरती के बाद बाबा काशी विश्वनाथ और माता गौरा की प्रतिमा का श्रृंगार कर आरती की. इसके बाद टेढीनीम महंत आवास पर लोकपरंपरा के अनुसार काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि पूर्व महंत ने बताया कि महाशिवरात्रि पर विवाह की रस्म विधि विधान से महंत आवास पर सुबह से शुरू होकर रात्रि दस बजे तक होगी. महंत आवास पर बाबा के विवाह की परंपरा का निर्वाह करने के उपरांत महंत परिवार के सदस्य काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती के विवाह का रस्म पूर्ण करने के लिए प्रस्थान करेंगे.
रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी