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Varanasi Lok Sabha Election Result 2024: पीएम नरेंद्र मोदी की जीत का अंतर घटा, 2019 में 4.79 लाख वोटों से रहे थे आगे

Varanasi Lok Sabha Election Result 2024: भोलेनाथ की नगरी काशी के वासियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार अपना आशीर्वाद दिया है. वाराणसी सीट से सात बार कांग्रेस जीत चुकी है. इससे पहले बीजेपी छह बार जीती थी. पीएम की जीत के साथ अब स्कोर 7-7 बराबर हो गया है.

वाराणसी: पीएम नरेंद्र मोदी वाराणसी लोकसभा सीट (Varanasi Lok Sabha Election Result 2024) से विजयी घोषित किए गए हैं. उन्हें कुल 612970 वोट मिले. नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के अजय राय को 152513 वोट से हराया. अजय राय को 460457 वोट मिले. पीएम मोदी की ये वाराणसी से तीसरी जीत है. हालांकि जीत का अंतर बहुत अधिक नहीं है. 2019 के आंकड़े देखें तो पीएम मोदी की जीत का अंतर 3.19 लाख कम हुआ है. पीएम मोदी को 2019 में 6.74 लाख वोट मिले थे. जबकि समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव को 195159 वोट मिले थे. पीएम मोदी ने 4.79 लाख से अधिक वोट से जीत हासिल की थी. 2024 में पीएम मोदी को 6.14 लाख वोट मिले हैं. इस तरह कुल वोट संख्या में भी 60 हजार की कमी आई है. 2014 में पीएम मोदी को 581022 वोट मिले थे. उन्होंने अरविंद केजरीवाल को 209238 वोट से हराया था.

चर्चित है वाराणसी लोकसभा सीट बाबा भोलेनाथ की नगरी और भारत की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी (Varanasi Lok Sabha Election Result 2024) देश में सबसे चर्चित लोकसभा सीट है. क्योंकि यहां से पीएम नरेंद्र मोदी के तीसरी बार चुनाव मैदान में थे. वाराणसी लोकसभा सीट से कई बड़े नेता चुनाव जीत चुके हैं. इनमें पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र अनिल शास्त्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी का नाम प्रमुख है, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने इस लोकसभा सीट को एक अलग ही पहचान दे दी है.

कांग्रेस और बीजेपी की जीत का स्कोर 7-7 से बराबर
वाराणसी लोकसभा सीट का इतिहास देखें तो यहां 7 बार कांग्रेस, 6 बार बीजेपी काबिज रही है. एक बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और एक बार जनता दल ने भी यहां जीत हासिल की है. 1957 और 1962 में कांग्रेस के रघुनाथ सिंह ने जीत हासिल की. 1967 में सीएमपी के सत्यनारायण सिंह, 1971 में कांग्रेस के राजाराम शास्त्री ने जीत हासिल की. 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर में युवा तुर्क कहे जाने वाले चंद्रशेखर यहां से सांसद बने. इसके बाद 1980 में कांग्रेस वापस यहां काबिज हो गई और कमलापति त्रिपाठी सांसद बने. 1989 में अनिल शास्त्री ने जनता दल के टिकट पर दिल्ली में वाराणसी (तब बनारस) का प्रतिनिधित्व किया.

1991 में हुई बीजेपी की काशी में एंट्री
1991 में काशी की राजनीति में बीजेपी की एंट्री हुई. श्रीश चंद्र दीक्षित यहां से चुनाव जीते. इसके बाद 1996, 1998, 1999 में बीजेपी के शंकर प्रसाद जायसवाल ने लगातार जीत हासिल की. 2004 में यहां से राजेश मिश्रा कांग्रेस को वापस फाइट में लाए. लेकिन 2009 में बनारस से बीजेपी ने अपने कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी को मैदान में उतारा. बीजेपी के इस दांव का जवाब किसी के पास नहीं था. इलाहाबाद से बनारस चुनाव लड़ने आए मुरली मनोहर जोशी ने सपा के मुख्तार अंसारी को यहां से पटकनी दी. इसके बाद काशी से बीजेपी की जीत का जो सिलसिला शुरू हुआ है, उसे पीएम नरेंद्र मोदी लगातार रिकार्ड पर रिकार्ड बनाकर कायम रखे हुए हैं. 2014 में जब नरेंद्र मोदी पहली बार काशी आए तो किसी को उम्मीद नहीं थी कि उन्हें यहां की जनता जिताकर प्रधानमंत्री के पद पर पहुंचाएगी. लेकिन सिर्फ 2014 ही नहीं 2019 में भी वो इस सीट से संसद पहुंचे. अब 2024 में एक बार फिर काशी से संसद पहुंचने के लिए मैदान में हैं.

दुनिया भर की नजर इस हाईप्रोफाइल सीट पर
यूपी की 80 लोकसभा सीटों में काशी वीवीआईपी सीट के रूप में अपना स्थान दर्ज करा चुकी है. जब पहली बार पीएम नरेंद्र मोदी यहां से चुनाव मैदान में उतरे तो आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल उन्हें चुनौती देने आ गए. लेकिन उन्हें 3.37 लाख वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. 2019 में पीएम मोदी के सामने कांग्रेस से अजय राय और सपा-बसपा गठबंधन से पूर्व बीएसएफ कर्मी तेज बहादुर सिंह चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन पीएम मोदी की जीत को दोनों ही चुनौती नहीं दे पाए. काशी की जनता ने दोबारा पीएम मोदी के सिर पर जीत का ताज पहना दिया था.

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