अल्मोड़ा (उत्तराखंड) : कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन क्षेत्र में टाइगर ने एक बुजुर्ग महिला पर हमला कर दिया जिससे महिला की मौत हो गई. महिला वन क्षेत्र में जलौनी लकड़ी बीनने गई थी. वन विभाग के कर्मचारियों को क्षत विक्षत हालत में महिला का शव मिला. शव के अवेशषों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है. वन विभाग की दो टीमें क्षेत्र में गस्त कर रही हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार सल्ट क्षेत्र के झड़गांव निवासी परि देवी (65) पत्नी स्व. केशव दत्त घर पर अकेले रहती थी. शुक्रवार दोपहर रोज की तरह वह जंगल में लकड़ी बीनने निकली. रात होने के बाद भी घर वापस न लौटने पर शनिवार सुबह गांव के लोगों ने आसपास के क्षेत्रों में खोजबीन की लेकिन उसका कोई सुराग नहीं लगा. इसके बाद गांव के ग्राम प्रधान ने वन विभाग को परि के गायब होने की सूचना दी.
सूचना पर वन क्षेत्राधिकारी जौरासी, विक्रम सिंह कैड़ा अपनी टीम के साथ परि की तलाश में निकले. मरचूला से धूमाकोट जाने वाले रास्ते में दो किलोमीटर आगे कालागढ़ टाइगर रिर्जव वन क्षेत्र में परि का शव क्षत विक्षत अवस्था में मिला. वन विभाग की टीम ने शव के अवशेष कब्जे में लेकर उन्हें पोस्टमार्टम के लिए भेजा है. फिलहाल वन विभाग ने टाइगर का मूवमेंट पता करने के लिए घटनास्थल के आसपास छह ट्रैप कैमरे लगाए हैं. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि टाइगर की छानबीन के लिए ड्रोन कैमरे की मदद भी ली जाएगी. ग्रामीणों ने भी टाइगर को पकड़ने की मांग की है.
सल्ट क्षेत्र में वन्य जीवों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है. शनिवार को झड़गांव निवासी परि की टाइगर के हमले में जान चली गई. इससे पहले एक मार्च को सल्ट विकास खंड के हही कूपी गांव में तेंदुए ने भी एक महिला पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया था. कुछ पालतू मवेशी भी तेंदुए ने मारे थे. जिससे गांव में भय का माहौल बन गया था.वन विभाग की टीम ने यहां डेढ़ माह तक कैप किया था.
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कालागढ़ टाइगर रिर्जव वन क्षेत्र में टाइगर के हमले में मारी गई बुजुर्ग महिला परि विधवा थी और कोई संतान न होने के कारण वह गांव में अकेली रहती थी. जंगल से रोजाना जलौनी लकड़ी बीनकर उसे लोगों को बेचती थी. और उसी कमाई से अपना घर चलाती थी. कई साल से परि जंगल जाकर लकड़ी बिनने का काम कर रही थी. इसलिए उसे अकेले जंगल जाने में डर भी नहीं लगता था और आखिर उसी जंगल में उसकी मौत हो गई. अकेली बुजुर्ग महिला की इस तरह मौत से ग्रामीण भी काफी दुखी है.
वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए वन विभाग ने प्रदेश में कई वन क्षेत्रों को आरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया है. इसमें से एक कालागढ़ टाइगर रिर्जव वन क्षेत्र भी है. जहां पर टाइगर का मूवमेंट रहता है. काफी संख्या में टाइगर इस क्षेत्र में रहते भी हैं. इस आरक्षित वन क्षेत्र से जलौनी लकड़ी या किसी भी तरह की वन संपदा चुनने पर प्रतिबंध होता है. इसके बाद भी कुछ ग्रामीण इन्हीं क्षेत्रों में जलौनी लकड़ी आदी बीनने चले जाते हैं जिससे उनकी जान पर जोखिम बन जाता है.
गर्मी का मौसम शुरू होने के साथ ही जिले में पर्यटन सीजन भी शुरू हो गया है. ऐसे में देश विदेश के पर्यटक टाइगर रिर्जव आदि देखने पहुंच रहे हैं. कालागढ़ टाइगर रिजर्व में भी इन दिनों में भारी संख्या में पर्यटकों की आवाजाही हो रही है. कुछ पर्यटक वाहन सड़क किनारे खड़े कर वन्य जीवों के दिखने का इंतजार करते हैं.और शनिवार को यहां महिला पर टाइगर के हमले का मामला भी प्रकाश में आया है. ऐसे में वन विभाग के लिए यहां पहुंचे पर्यटकों की सुरक्षा बड़ी चुनौती बन गई है. इसके साथ ही वन विभाग का टाइगर रिर्जव वन क्षेत्र में ग्रामीणों को भी जाने से रोकना होगा. हालांकि वन विभाग का कहना है वह ग्रामीणों के साथ ही पर्यटकों को भी सचेत कर रहे हैं. 30 वन कर्मियों की दो टीमें क्षेत्र में लगातार गस्त करेंगी जिससे पर्यटकों या ग्रामीणों को टाइगर आदि से किसी तरह का खतरा ना रहे. पुलिस प्रशासन की भी इसमें मदद ली जा रही है.
शनिवार को महिला पर हमले की घटना कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन क्षेत्र में हुई है. टाइगर रिजर्व वन क्षेत्र टाइगर की सुरक्षा और उसके रहने के लिए बनाया गया है. अगर वन विभाग की जांच में पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है कि बुजुर्ग महिला को मारने वाला टाइगर ही है. तो वन विभाग शायद उसे पकड़ने के लिए क्षेत्र में पिंजरा लगाएगा, लेकिन वन विभाग के लिए भी एक बड़ी समस्या है कि टाइगर के घर से ही उसे पकड़कर आखिर वन विभाग कहां भेजेगा.