Uttarakhand Tunnel Collapse: टनल हादसे के महीनों बाद जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, पैनल डिजाइन में खामी पाई गई
Uttarakhand tunnel collapse: उत्तराखंड में पिछले साल नवंबर में टनल हादसा हुआ था. जिसमें 41 मजबूर 17 दिनों तक फंसे हुए थे. सिल्कयारा सुरंग ढहने की जांच के लिए गठित पैनल ने हादसे के करीब एक महीने बाद जो रिपोर्ट दिया है, उसमें बड़ा खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में पैनल ने डिजाइन में खामी को […]
Uttarakhand tunnel collapse: उत्तराखंड में पिछले साल नवंबर में टनल हादसा हुआ था. जिसमें 41 मजबूर 17 दिनों तक फंसे हुए थे. सिल्कयारा सुरंग ढहने की जांच के लिए गठित पैनल ने हादसे के करीब एक महीने बाद जो रिपोर्ट दिया है, उसमें बड़ा खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में पैनल ने डिजाइन में खामी को उजागर किया है.
पैनल ने सुरंग हादसे को लेकर 70 पेज की रिपोर्ट सरकार को सौंपी
सिल्कयारा सुरंग ढहने की जांच के लिए गठित पैनल ने सरकार को 70 पेज की रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें परियोजना को लेकर कई सवाल उठाए गए हैं. पैनल ने कहा, हादसे की स्थिति में भागने को कोई भी रास्ता और अलार्म सिस्टम नहीं था. वहीं सुरंग बनाने का काम कर रही कंपनी राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास निगम (NHIDCL) ने रिपोर्ट को खारिज कर दिया. एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशू मनीष खलखो ने कहा, हम निष्कर्षों से सहमत नहीं हैं.
NHIDCL ने कहा, सुरक्षा उपायों का पूरा ध्यान रखा गया
एनएचआईडीसीएल के प्रोजेक्ट मैनेजर दीपक पाटिल ने कहा कि उन्होंने श्रमिकों के बचाव के लिए बिछाए गए पाइपों के माध्यम से इंजीनियरों और विशेषज्ञों को सुरंग के अंदर भेजा गया और वहां की स्थिति के बारे में अवलोकन किया गया. जैसे कि कितना पानी जमा है, बिजली, सुरंग में तैनात मशीनें, विभिन्न स्थानों पर ऑक्सीजन का स्तर, जहरीली गैसें. हमने निरीक्षण के दौरान मास्क और ऑक्सीजन के साथ सभी उपाय किए.
जांच-पड़ताल के बाद शुरू होगा टनल खुदाई का काम
एनएचआईडीसीएल के प्रोजेक्ट मैनेजर दीपक पाटिल ने बताया, टनल खुदाई का काम दोबारा शुरू करने से पहले अंदर की स्थिति का अवलोकन करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले कैमरे भेजेंगे. स्थिति से अवगत होने के बाद सुरंग से पानी निकालने नये पंप और ऑपरेटर लगाएंगे. ये सारे काम पूरा होने के बाद ही सुरंग का काम दोबारा शुरू किया जाएगा.
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पैनल ने श्रमिकों के लिए उचित ट्रेनिंग का दिया सुझाव
रिपोर्ट में श्रमिकों के लिए उचित प्रशिक्षण की व्यवस्था करने का सुझाव दिया गया है. इसमें कहा गया है कि विशेषज्ञों की एक तकनीकी सलाहकार समिति गठित की जानी चाहिए और नियमित अंतराल पर सुरंग का दौरा करना चाहिए. रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरंग ढहने की स्थिति के लिए आपातकालीन योजनाएं तैयार की जानी चाहिए. पैनल ने कहा, निर्माण कार्य पूरे होने के बाद भी नियमित निरीक्षण, रखरखाव और समय पर मरम्मत से छोटी-मोटी समस्याओं को बड़ा रूप लेने से रोका जा सकता है.
क्या है मामला
दरअसल पिछले साल नवंबर में 4.5 किलोमीटर लंबी सिल्कयारा सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था. जिसमें 41 मजदूर करीब 17 दिनों तक फंसे हुए थे. जिसमें झारखंड, बिहार और यूपी के भी मजदूर शामिल थे.