Wedding News in Bihar शहीद भाई के 16 गरुड़ कमांडो साथियों की निगहबानी में सब इंस्पेक्टर सुनीता की शादी हुई. दोस्ती की मिसाल पेश करते हुए चार कमांडो ने सिर पर चादर तानी, तो 12 ने सुनीता के कदमों में अपनी हथेली बिछा दी. उन्हीं हथेलियों पर पैर रखते हुए सुनीता जयमाल स्टेज तक पहुंची. इस दौरान लोग 16 कमांडो की भावना को देख हतप्रभ थे. चार मार्च की रात नगर के आनंदनगर मुहल्ले के लोगों के लिए यादगार बन गयी.
सात साल पूर्व 18 नवंबर 2017 को जम्मू के बांदीपुरा सेक्टर में पाकिस्तानी आतंकियों के साथ लड़ते हुए काराकाट थाने के बदीलाडीह गांव निवासी एयरफोर्स के गरुड़ कमांडो ज्योति प्रकाश निराला शहीद हुए थे. अशोक चक्र से सम्मानित शहीद की तीसरी बहन सुनीता की शादी थी और अपने शहीद साथी की बहन की शादी में देश के कोने-कोने में पदस्थापित 16 गरुड़ कमांडो आये थे. शहीद दोस्त की बहन के प्रति इनका प्यार व समर्पण देख लोग फुले नहीं समा रहे थे. लोगों ने कहा कि आज शहीद गरुड़ कमांडो की आत्मा भी प्रफुल्लित हो रही होगी.
अपने साथियों को धन्यवाद दे रही होगी कि मेरे यारों ने मेरे परिवार को मेरी कमी महसूस नहीं होने दी. तो, वहीं साथी गरुड़ कमांडो ने कहा- युगों तक तेरी शहादत का जिक्र रहेगा, शहीद ज्योति प्रकाश निराला तू अमर रहेगा, तू अमर रहेगा. पूरी रात भाई के रूप में 16 कमांडो रस्मों में भाग लेते रहे और फिर बहन की विदाई के बाद देश की रक्षा करने के लिए अपने कार्य स्थल की ओर लौट चले.
बेटे के साथी गरुड़ कमांडो आते हैं, तो गर्व से चौड़ा हो जाता है सीना
अशोक च्रक से सम्मानित शहीद गरुड़ कमांडो ज्योति प्रकाश निराला की पैतृक गांव काराकाट थाने के बदीलाडीह गांव है. वर्ष 2019 में भी शहीद निराला की दूसरी बहन शशिकला की शादी में 11 गरुड़ कमांडो गांव पहुंचे थे. उस समय भी कमांडो ने शशिकला को अपनी हथेलियों पर ही चला कर वरमाला स्टेज तक पहुंचाया था. चार मार्च 2024 को तीसरी बहन सब इंस्पेक्टर सुनीता की शादी में भी लगभग वही दृश्य उत्पन्न हुआ, लेकिन इस बार कमांडो की संख्या 16 थी. अब चौथी शिक्षिका बहन बिंदु कुमारी की शादी में कितने आते हैं, यह गांव में चर्चा होने लगी है.
शहीद ज्योति के पिता ने क्यों कहा मेरे एक नहीं कई बेटे हैं
कमांडो भाइयों के इस कृत्य को देख भावुक हुए शहीद ज्योति प्रकाश निराला के पिता तेज नारायण सिंह ने कहा कि जब भी मेरे बेटे के साथी यहां आते हैं, तो मुझे मेरे बेटे की कमी नहीं खलती, बल्कि मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. मैं इस दुनिया का इकलौता ऐसा पिता हूं, जिनके इतने पुत्र और मेरी बेटियों के इतने भाई हैं. मैं इनके आगमन से बहुत खुशी महसूस करता हूं.गौरतलब है कि करीब सात वर्ष पूर्व 18 नवंबर 2017 को जम्मू के बांदीपुरा सेक्टर के एक घर में पाकिस्तानी आतंकियों के छुपने की सूचना पर वहां तैनात एयरफोर्स के गरुड़ कमांडो की टुकड़ी ने ऑपरेशन चंद्रवीर चलाया था. इस ऑपरेशन में कुल छह में से पांच पाकिस्तानी आतंकियों को गरुण कमांडो ज्योति प्रकाश निराला ने अकेले मार गिराया था.
तीन बहनों में इकलौता भाई था शहीद
लेकिन, आतंकियों की एक गोली उनके सिर में आ लगी थी. इलाज के दौरान वह शहीद हो गये थे. उनके इस अदम्य साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत वीरता पुरस्कार अशोक चक्र एयरफोर्स से सम्मानित किया गया था. शहादत के बाद उस समय सभी की जुबान पर एक सवाल था कि तीन बहनों की शादी कैसे होगी, क्योंकि चार बहनों का इकलौता भाई शहीद हो गया और उसके रहते मात्र एक बहन की शादी हुई थी.
शहीद को बिहार सरकार ने दिया था 11 लाख रुपये का चेक
शहीद ज्योति प्रकाश निराला की पत्नी सुषमा को उस समय राज्य सरकार ने 11 लाख रुपये का चेक बतौर सहायता दिया था. शहीद के पिता तेज नारायण सिंह ने चीख कर कहा था कि शहीद जवान की चार में से तीन बहनें कुंवारी हैं, सभी स्नातक हैं. सरकार को इनके लिए कुछ रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना चाहिए. मेरा बेटा था, तो मुझे इसकी कोई चिंता नहीं थी. लेकिन, अब इनका कौन सहारा बनेगा. हालांकि बहनें होनहार हैं. अपने दम पर सुनीता सब इंस्पेक्टर बनी है, तो बिंदु बीपीएससी से शिक्षका.
देश की सीमाओं से बिक्रमगंज पहुंचे थे कमांडो
गरुड़ कमांडो अशोक चक्र से सम्मानित शहीद जवान ज्योति प्रकाश निराला की बहन सब इंस्पेक्टर सुनीता की शादी में भाई की कमी न खले, इसके लिए देश की सीमाओं पर तैनात 16 गरुड़ कमांडो चार मार्च को बिक्रमगंज पहुंचे. उनका नेतृत्व प्रथम बैच के गरुड़ कमांडो जेडब्ल्यूओ आरसी प्रसाद ने किया. वह असम के जोरहाट से अपने शहीद साथी की बहन की शादी में शामिल होने आये थे, तो जोधपुर से एसजीटी प्रभाकर रंजन, जम्मू से एसजीटी नरेंद्र सक्सेना व एलएसी विपिन कुमार रवि, झाबुआ से एसजीडी पिंटू कुमार, ग्वालियर से एसजीटी सतीश ग्वालियर, बागडोगरा से शौर्य चक्र से सम्मानित एससीटी देवेंद्र मेहता व एसजीटी अनीश दुबे, चंड़ीगढ़ से एसजीटी गौरव झा, मसीमारा से एलएसी शुभम व तुलसी यादव, नादिया से एलएसी सूरज, पठानकोट से एलएसी हरिशंकर यादव व आदमपुर से एलएसी एसबी सिंह बिक्रमगंज पहुंचे. शहीद जवान ज्योति प्रकाश निराला के पिता तेज नारायण सिंह से मंगलवार को सभी ने विदा ली और अपनी ड्यूटी पर रवाना हो गये.