मरीज के परिजनों ने जूनियर डॉक्टरों को पीटा
कोलकाता. महानगर में सरकारी व निजी अस्पतालों में मानो हंगामों का दौर चल रहा है. आये इन अस्पतालों में चिकित्सकीय लापरवाही के आरोप पर हंगामा व तोड़-फोड़ की जाती है. सोमवार को भी सियालदह स्थित नील रतन सरकार अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद परिजन वार्ड में कार्यरत जूनियर डॉक्टरों के साथ गाली […]
कोलकाता. महानगर में सरकारी व निजी अस्पतालों में मानो हंगामों का दौर चल रहा है. आये इन अस्पतालों में चिकित्सकीय लापरवाही के आरोप पर हंगामा व तोड़-फोड़ की जाती है. सोमवार को भी सियालदह स्थित नील रतन सरकार अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद परिजन वार्ड में कार्यरत जूनियर डॉक्टरों के साथ गाली गलौज करते हुए हाथापाई पर उतर गये. आरोप है मौके पर कार्यरत एक महिला जूनियर डॉक्टर के साथ भी हाथापाई की गयी. इस घटना में आठ से 10 जूनियर डॉक्टर घायल हुए हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मृतक का नाम अजय मल्लिक (17) है. वह महानगर के मल्लिक बाजार का रहनेवाला था. पीलिया की शिकायत पर उसे पहले बेलियाघाटा स्थित अाईडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उसके परिजनों ने बेहतर चिकित्सा के लिए मरीज को सोमवार सुबह 10 बजे एनआरएस अस्पताल में दाखिल कराया, जहां उसे जनरल मेडिसीन विभाग में दाखिल किया गया था. दोपहर में उसकी मौत हो गयी.
परिजनों का आरोप है कि मौत से पहले अजय की नाक से रक्त निकल रहा था. कई बार चिकित्सकों को कहने के बाद भी उसकी सही चिकित्सा नहीं का जा रही थी. इसके बाद परिजनों ने वार्ड में कार्यरत जूनियर डॉक्टरों को गाली गलौज की. महिला जूनियर डॉक्टर सह अन्य जूनियर चिकित्सकों के साथ उलझ गये. इस घटना में एक जूनियर चिकित्सक सिर में चोट लगी और सिर फट गया. इसके बाद गुस्साये जूनियर डॉक्टरों ने भी परिजनों पर हमला किया. अस्पताल में स्थित पुलिस फाड़ी के जवान मौके पर पहुंच कर हालात को काबू में किया. वहीं पुलिस ने मरीज के एक परिजन को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है.
हड़ताल पर गये चिकित्सक, आश्वासन के बाद िलया वापस
घटना के बाद जूनियर डॉक्टर कार्य बंद कर हड़ताल पर चले गये, जिसके कारण दोपहर से लेकर शाम तक अस्पताल का इमरजेंसी विभाग पूरी तरह से ठप था. शाम के छह बजे तक इमरजेंसी विभाग में किसी भी मरीज को दाखिल नहीं किया गया. घटना की सूचना पाकर मौके तृणमूल कांग्रेस विधायक ताथ स्टेट मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ निर्मल मांझी पहुंच कर जूनियर डॉक्टरों से बात की. उन्होंने कॉलेज प्रिंसिपल के साथ बैठक भी की और जूनियर डॉक्टरों को कार्य पर वापस लौटने कोे कहा, लेकिन छात्र लौटने से इनकार कर दिये. हालांकि बाद में 48 घंटे के अंदर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के आश्वासन पर सभी काम पर लौटे.