कोलकाता: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व केंद्रीय रेल राज्य मंत्री अधीर चौधरी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस में आंतरिक द्वंद खुलकर सामने आ गया है. पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी सत्ता का केंद्रबिंदु संभालने के लिए नेताओं के कद को छोटा बड़ा करने लगती हैं.
संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि जिस तरह तृणमूल सांसद शुभेंदू अधिकारी का इस्तेमाल पिछले लोकसभा चुनाव में तृणमूल की ओर से किया गया था, आज क्या वैसा दिखाई देता है. शुभेंदू अधिकारी एक बार फिर मेदिनीपुर के नेता बन गये हैं. जिस तरह उनकी लोकप्रियता बढ़ रही थी, पार्टी सुप्रीमो को वह रास नहीं आया.
मुकुल राय अभी दीदी के सबसे बड़े मैनेजर बनकर सामने आये हैं. लेकिन ‘बैलेंस-काउंटर बैलेंस’ के लिए इस बार लोकसभा के उम्मीदवारों की सूची बनाते वक्त उनके सुझावों को दरकिनार कर दिया गया. उनके ही बेटे को लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया, लेकिन ममता बनर्जी ने अपने भतीजे को टिकट दे दिया. मुकुल राय का बेटा जो कि विधायक है उसे टिकट देने से परहेज किया गया. ममता बनर्जी के भतीजे को टिकट मिल सकता है तो मुकुल राय के बेटे को क्यों नहीं.
इससे पहले दिनेश त्रिवेदी को तो पार्टी से निकालने तक की नौबत आ गयी थी, लेकिन उन्हें फिर से टिकट दे दिया गया, लेकिन मुकुल राय के बेटे को टिकट नहीं मिला. इसी तरह के फैसलों से पार्टी के भीतर नाराजगी काफी बढ़ रही है. यह भी सही है कि मुकुल राय ने उनसे किसी तरह का संपर्क करने की कोशिश नहीं की है. यदि उन्होंने इसकी कोशिश की होती तो आज वह तृणमूल से पूरी तरह बाहर हो जाते. दरअसल ममता बनर्जी पूरी तरह आशंकित रहती हैं. उन्हें हमेशा ही डर लगा रहता है. वह यह नहीं सोचती कि वह माकपा के 34 वर्षो के शासन को खत्म करने वाली नेत्री हैं. पहले वह जहां जाती थी लोगों की भीड़ लग जाती थी. आज उन्हें भीड़ इकट्ठा करने के लिए फिल्मी कलाकारों की सहायता लेनी पड़ती है.