रजिस्ट्रेशन, सिक्यूरिटी मनी, इन्वेंटरी ऑर्डर के नाम पर ठग लिये 11 लाख
लेंसकार्ट की फ्रेंचाइजी लेने को ऑनलाइन अप्लाई करते ही जाल में फंसी अर्की
आसनसोल. सालानपुर थाना क्षेत्र के हिंदुस्तान केबल्स अपर केशिया इलाके की निवासी व ऑप्टिमेट्री(आंखों में पावर देखने) का कोर्स कर रही अर्की सरकार लेंसकार्ट कंपनी की फ्रेंचाइजी लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करते ही साइबर क्राइम से शातिरों के मकड़जाल में फंस गयी. फ्रेंचाइजी देने के नाम पर शातिरों ने रजिस्ट्रेशन, सिक्यूरिटी मनी, इन्वेंटरी ऑर्डर आदि के नाम पर उससे 11,02,350 रुपये ऑनलाइन पेमेंट के जरिये ले लिये. पेमेंट करने के बाद अर्की ने उनसे संपर्क करने का प्रयास किया, तो विफल रही. तब उसे समझ में आया कि वह साइबर ठगी का शिकार हो चुकी है. इसकी शिकायत उसने साइबर क्राइम थाना आसनसोल में जाकर की. इस शिकायत के आधार पर केस नंबर 66/24 में भारतीय न्याय संहिता की धारा 419/420/406/467/468/ 471/120बी और बीएनएस की धारा 319(2)/318(4)/316(2)/338/336(3)/340(2)/61(2) के तहत अज्ञात आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी. ठगी से अर्की के अपने पैरों पर खड़ा होने होकर व्यापार करने का सारा सपना टूट गया.
ध्यान रहे कि साइबर क्राइम के शातिरों ने किसी को लूटने के लिए सोशल मीडिया में ऐसा जाल बिछा रखा है कि आपकी जरा-सी चूक से ही आपका सारा पैसा उड़ा लिया जायेगा. यह हर दिन हो रहा है. पहले ये लोग अधिकतम एक-दो लाख रुपये तक की ही ठगी करते थे. लेकिन आजकल शातिर करोड़ों की ठगी आसानी से कर रहे हैं और लोग अपनी गाढ़ी कमाई सहज ही गंवा दे रहे हैं. जब तक लोग समझ पाते हैं कि वे ठगी के शिकार हो रहे हैं, तब तक काफी देर हो चुकी होती है.आवेदन करते ही आया शातिरों का फोन
अर्की ने अपनी शिकायत में पुलिस को बताया कि तीन जुलाई 2024 को उसने लेंसकार्ट की फ्रेंचाइजी लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया. फिर उसे 9800466373/9831070361 नंबर से कॉल आया और support@lenskartfranchis.com के माध्यम से सभी आधिकारिक दस्तावेज साझा किये गये. कॉल करनेवाले ने खुद को लेंसकार्ट कंपनी का अधिकारी बताया. कुछ समय बाद रजिस्ट्रेशन, सिक्यूरिटी मनी, इन्वेंटरी ऑर्डर के नाम पर पैसे मांगे गये. विश्वास में आकर अर्की ने अपने अनेकों खातों से और अपने दोस्त से उधारी लेकर उसके खाते से भी ठगों के बताए गये खातों में तीन जुलाई से लेकर दो अगस्त 2024 तक कुल 11,02,350 रुपये भेजे. ठगों के निर्देशानुसार सारे पैसे भेजने के बाद जब वह उनसे संपर्क करना चाही तो विफल रही. उसके बाद उन्हें समझ में आया कि वह साइबर ठगी की शिकार हो गयी हैं.क्या कहते हैं साइबर एक्सपर्ट, कैसे बचें
साइबर एक्सपंर्ट आर रवि कुमार ने बताया कि गूगल पर जब भी हम कुछ सर्च करते है तो उससे जुड़ी जानकारी अनेकों के साथ साझा हो जाती है. आप कुछ भी गूगल पर सर्च करते हैं तो आपको हर वक्त मोबाइल पर उसी चीझ का विज्ञापन लगातार दिखता रहता है. साइबर अपराधी भी आपके हर जरूरत पर निगरानी कर रहे हैं. सोशल साइट पर वे आपको आपकी जरूरत के सामानों की लगातार जनाकारी देते रहेंगे. एकबार आप बिना समझे उनके साझा किए गए विज्ञापनों में फंस गये तो फिर आपको भगवान ही बचा सकते हैं. आपको इसतरह लगेगा कि आप सीधे कंपनी से जुड़े हैं और वहां का अधिकारी आपसे बात कर रहा है. अगर आप उनके झांसे में फंस भी जाते हैं तो पैसे का भुगतना करते समय सही तरीके से देखिए कि पैसा कंपनी के खाता में जा रहा है या किसी व्यक्तिगत के खाते में जा रहा है. थोड़ी सी सावधानी से आप एसप्रकर की ठगी से बच सकते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है