कोलकाता : आईआईटी खड़गपुर ने भारतीय शास्त्रीय संगीतकी शिक्षा की परंपरा का संरक्षण करने के लिए प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकार पंडित अजय चक्रवर्ती के साथ साझेदारी की है.
प्रयास के पीछे के तर्कों का विश्लेषण करते हुए परियोजना के प्रमुख शोधकर्ता पल्लब दासगुप्ता ने कहा कि संगीत की अन्य विधाओं की तरह शास्त्रीय संगीत में कोई स्वरलिपि नहीं होती जिसके चलते किसी उस्ताद द्वारा अपनाई गई कोई विशेष शैली हमेशा उनके साथ ही खत्म हो जाती है.
आईआईटी खड़गपुर में प्रायोजित शोध और औद्योगिक परामर्श के डीन दासगुप्ता ने कहा कि हर कलाकार की अपनी एक अनोखी शैली होती है जो वह अपने शिष्यों को विरासत में देता है.
उन्होंने कहा, एक विशिष्ट गायिकी केवल एक उस्ताद और उसके शागिर्दों तक ही सीमित रहती है. वह कभी भी दूसरे लोगों तक नहीं पहुंच पाती. दासगुप्ता ने कहा कि पंडितजी हमारे प्रयासों के लिए बेहतरीन मल्टीमीडिया विषयवस्तु उपलब्ध करा रहे हैं.
उन्होंने कहा, राग सीखने के अलग-अलग तरीकों को समझने के लिए हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीकों पर भी विचार करने की जरूरत है. इस परियोजना में आईआईटी खड़गपुर के विभिन्न विभागों के अनुसंधानकर्ताओं की एक टीम पंडित चक्रवर्ती की मदद करेगी.