कोलकाता : निगम रखेगा चिकन-मटन की गुणवत्ता पर नजर, की जाएगी 16 टीमें गठित
कोलकाता : कचरे के डंपिंग ग्राउंड में फेंके गये मृत पशुओं के मांस के कारोबार की घटना सामने आने के बाद अब कोलकाता नगर निगम ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. मांस के इस कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए निगम की ओर से बड़ी पहल की गयी है. खाद्य पदार्थों में मिलावट तथा चिकन-मटन […]
कोलकाता : कचरे के डंपिंग ग्राउंड में फेंके गये मृत पशुओं के मांस के कारोबार की घटना सामने आने के बाद अब कोलकाता नगर निगम ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. मांस के इस कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए निगम की ओर से बड़ी पहल की गयी है. खाद्य पदार्थों में मिलावट तथा चिकन-मटन की गुणवत्ता पर नजर रखने के लिए निगम जल्द ही 16 बोरो में 16 टीमें गठित की जायेगी.
इस टीम में फूड सेफ्टी अधिकारी तथा वेटनरी विशेषज्ञों को शामिल किया जायेगा. निगम मुख्यालय में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया है. बैठक में मेयर परिषद सदस्य (स्वास्थ्य) अतिन घोष, राज्य के फूड सेफ्टी कमिशनर गोधुली मुखर्जी, मैनेजर मार्केट, ठोस कचरा प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) सह निगम के अन्य आला अधिकारी बैठक में शामिल हुए. बैठक के बाद अतिन घोष ने कहा कि खाद्य पदार्थों में हो रही मिलावट, मांस की गुणवत्ता की मानकों को तय करने तथा नजरदारी के लिए उक्त टीम गठित की जायेगी. 19 फूड सेफ्टी अधिकारी को नियुक्त किया जायेगा. वर्तमान निगम के पास ऐसे 13 अधिकारी हैं. श्री घोष ने कहा कि इसके लिए राज्य सरकार की ओर से हमें पाच करोड़ रुपये मिले हैं. सरकारी फंड की मदद से हम अपने विभिन्न लेब्रोटरी को भी अपडेट कर लगेंगे.
मांस का होगा डीएनए टेस्ट : चिकन-मटन की जांच के लिए निगम अपने लैब को और अधिक विकसित करेगा. वहीं, मांस वाकई में चिकन या मटन का है या अन्य किसी पशु का, इसकी जांच के लिए डीएनए टेस्ट किया जायेगा. इस कार्य लिए पश्चिम बंगाल मत्स्य व पशुपालन विज्ञान विश्वविद्यालय की मदद ली जायेगी. साथ ही निगम के लैब में भी इसकी व्यवस्था रखी जायेगी.
बोरो स्तर पर तैयार किया जायेगा स्लाॅटर हाउस : श्री घोष ने बताया पशुओं को मारने से पहले बोरो स्तर पर सभी 16 बोरो में स्लाटर हाउस तैयार किया जायेगा. जहां वेटरनरी विशेषज्ञ यह जांच करेंगे कि पशुओं की किसी प्रकार की बीमारी है या नहीं.
चिड़िखाना के लिए विशेष योजना : अतिन घोष ने बताया कि अलीपुर चिड़ियाघर एक्ट 2013 के अनुसार यहां पशु पक्षियों की मौत होने पर यहीं दफनाना होगा. जानवरों के खाने के बाद शेष बचे मांस को केमिकल प्रोसेस के बाद दी बाहर निकालना होगा.
श्री घोष ने कहा कि इस काम में चिड़ियाघर प्रबंधन हमारी मदद लेना चाह रहे हैं, लेकिन चिड़ियाखाना एक्ट के अनुसार यह कार्य उनका है, इसलिए प्रबंधन को ही करना होगा.